नई दिल्ली। दिल्ली में पानी की समस्या जगजाहिर है और यह समस्या गर्मियों में और अधिक विकराल रूप धारण कर लेती है। हालांकि, दिल्ली में इस कमी को दूर करने के लिए पर्याप्त पानी है, लेकिन सरकार की अदूरदर्शिता की वजह से दिल्ली वालों को गला तर करना भी मुश्किल हो जाता है। एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक केवल यमुना के खादर से ही लोगों को रोजाना 200 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी प्राप्त हो सकता है। पर सरकारी मशीनरी इस दिशा में कोशिश करने के बजाए रेणुका बांध के निर्माण पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इससे पर्यावरण की तो अनदेखी हो ही रही है, सरकारी खजाने का भी दुरुपयोग हो रहा है। ‘प्रिजर्व एंड यूज सॉल्यूशन ऑफ यमुना वाटर’ नामक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि दिल्ली से गुजर रही यमुना के खादर में प्रचुर मात्रा में जल है। मानसून के दिनों में तो यमुना खादर के पूरे क्षेत्र में पानी फैल जाता है।
यमुना खादर जल संरक्षण के लिए अनुकूल है, क्योंकि काफी रेत है जो पानी को तेजी से संरक्षित कर लेता है। इंजीनियरिंग तकनीकी के जरिए खादर में पानी को पूरी तरह से फैलाया जा सकता है। अगर सिर्फ एक महीने ही खादर में मानसून के पानी को संरक्षित कर दिया जाए तो पूरे साल तक दिल्ली को रोजाना 200 एमजीडी पानी मिल सकता है। खास बात यह है कि इस पानी के उपयोग के लिए किसी बड़े सयंत्र को स्थापित करने की जरूरत भी नहीं है, सिर्फ ट्यूबवेल के जरिए पर्याप्त पानी निकाला जा सकता है। सचिवालय तक पहुंची रिपोर्ट : जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री सचिवालय में भी दिया जा चुका है और इस पर सचिवालय ने जल संशाधन मंत्रालय को काम करने का निर्देश भी दे दिया है। फिलहाल, इस रिपोर्ट पर सेंट्रल वॉटर कमीशन कार्य कर रहा है।
यमुना खादर पर रिपोर्ट तैयार करने वाले दीवान सिंह का कहना है कि यदि खादर के पानी का उपयोग किया जाए तो राजधानी में सलाना नौ हजार करोड़ रुपए की धनराशि बचाई जा सकती है और इस बड़ी धनराशि का उपयोग बुनियादी समस्याओं से निजात दिलाने में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रेणुका बांध के निर्माण पर चार हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है, लेकिन इस परियोजना के पूरा होने तक लगभग सात हजार करोड़ खर्च हो जाएंगे। जबकि, इस बांध से महज 240 एमजीडी पानी ही प्राप्त होगा। इसके अलावा, बांध का निर्माण करने के लिए लाखों पेड़ों की बलि भी देनी होगी, जिससे पर्यावरण संतुलन की समस्या खड़ी हो जाएगी।
लगभग पौने दो करोड़ दिल्ली वालों का गला तर करने के लिए रोजाना 1100 एमजीडी पानी की जरूरत है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड फिलहाल 800-850 एमजीडी पानी की ही आपूर्ति कर पाता है, यानि 250 एमजीडी पानी की फिर भी जरूरत रहती है। यदि इस स्टडी रिपोर्ट को अमली जामा पहना दिया जाए तो काफी हद तक पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है।
यमुना खादर जल संरक्षण के लिए अनुकूल है, क्योंकि काफी रेत है जो पानी को तेजी से संरक्षित कर लेता है। इंजीनियरिंग तकनीकी के जरिए खादर में पानी को पूरी तरह से फैलाया जा सकता है। अगर सिर्फ एक महीने ही खादर में मानसून के पानी को संरक्षित कर दिया जाए तो पूरे साल तक दिल्ली को रोजाना 200 एमजीडी पानी मिल सकता है। खास बात यह है कि इस पानी के उपयोग के लिए किसी बड़े सयंत्र को स्थापित करने की जरूरत भी नहीं है, सिर्फ ट्यूबवेल के जरिए पर्याप्त पानी निकाला जा सकता है। सचिवालय तक पहुंची रिपोर्ट : जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री सचिवालय में भी दिया जा चुका है और इस पर सचिवालय ने जल संशाधन मंत्रालय को काम करने का निर्देश भी दे दिया है। फिलहाल, इस रिपोर्ट पर सेंट्रल वॉटर कमीशन कार्य कर रहा है।
सालाना नौ हजार करोड़ की हो सकती है बचत
यमुना खादर पर रिपोर्ट तैयार करने वाले दीवान सिंह का कहना है कि यदि खादर के पानी का उपयोग किया जाए तो राजधानी में सलाना नौ हजार करोड़ रुपए की धनराशि बचाई जा सकती है और इस बड़ी धनराशि का उपयोग बुनियादी समस्याओं से निजात दिलाने में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रेणुका बांध के निर्माण पर चार हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है, लेकिन इस परियोजना के पूरा होने तक लगभग सात हजार करोड़ खर्च हो जाएंगे। जबकि, इस बांध से महज 240 एमजीडी पानी ही प्राप्त होगा। इसके अलावा, बांध का निर्माण करने के लिए लाखों पेड़ों की बलि भी देनी होगी, जिससे पर्यावरण संतुलन की समस्या खड़ी हो जाएगी।
प्रतिदिन 1100 एमजीडी पानी की है जरूरत
लगभग पौने दो करोड़ दिल्ली वालों का गला तर करने के लिए रोजाना 1100 एमजीडी पानी की जरूरत है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड फिलहाल 800-850 एमजीडी पानी की ही आपूर्ति कर पाता है, यानि 250 एमजीडी पानी की फिर भी जरूरत रहती है। यदि इस स्टडी रिपोर्ट को अमली जामा पहना दिया जाए तो काफी हद तक पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है।
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