नई दिल्ली। यमुना सौन्दर्यीकरण व इसकी सफाई के लिए दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों की कमेटी का शीघ्र गठन किया जाएगा। इनका काम यमुना की सफाई व सौन्दर्यीकरण के लिए बेहतरीन मॉडल पर विचार कर उसे अन्तिम रूप देना होगा। तभी इस दिशा में काम आगे शुरू किया जा सकेगा। सचिव स्तर के अधिकारियों की कमेटी के मुखिया केन्द्र सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव होंगे। सचिवों की कमेटी को अपनी रिपोर्ट महीने भर के भीतर देनी होगी।
दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार मिलकर यमुना जल के शुद्धिकरण के साथ-साथ दिल्ली में इसमें तटीय क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण कर विस्तृत योजना बनाना चाहते हैं। इसके लिए केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल का खाका तैयार किया है। पीपीपी मॉडल पर काम करने से यमुना सौन्दर्यीकरण का खर्च दिल्ली सरकार को वहन नहीं करना होगा। यमुना के शोधित जल से निजी कम्पनियाँ अपना फायदा निकाल सकेगी। निजी कम्पनियों को इस काम में शामिल करने से यमुना सौन्दर्यीकरण परियोजना निर्धारित समय से पूरी हो सकेगी जिससे परियोजना व्यय में बढ़ोतरी नहीं होगी।
अब तक इस विषय में हुई सचिव स्तर की बैठक में यमुना किनारे की जमीन पर हुए अनधिकृत कब्जे व अनधिकृत कालोनियाँ आड़े आ रही हैं। दिल्ली में यमुना के किनारे की जमीन डीडीए तथा दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र की है। अनधिकृत कब्जों को हटाने पर भी विचार किया जा रहा है।
यमुना सौन्दर्यीकरण के विभिन्न मुद्दों पर जो कमेटी बनेगी उसमें केन्द्र सरकार के शहरी विकास सचिव, जहाजरानी व भूतल परिवहन सचिव, पर्यावरण सचिव तथा दिल्ली सरकार के शहरी विकास सचिव को शामिल किया जाएगा। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को भी इसमें शामिल किया जाएगा। दिल्ली में यमुना के किनारे विस्तृत भूमि का बड़ा हिस्सा डीडीए के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए सौन्दर्यीकरण मामले में डीडीए की हिस्सेदारी महत्त्वपूर्ण है। इस कमेटी के बनने की सूचना एक सप्ताह के भीतर निकाली जाएगी। सचिवों की कमेटी को यमुना सौन्दर्यीकरण के मॉडल का प्रशासनिक पक्ष भी तैयार करना होगा। महीने भर में इस कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने के बाद इस विषय पर मन्त्री समूह की बैठक शुरू हो जाएगी, तभी इस विषय में तैयार किए मॉडल को अन्तिम रूप दिया जा सकेगा। उधर यमुना सौन्दर्यीकरण के लिए स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) बनाने पर मुख्यमन्त्री कार्यालय काम कर रहा है तथा डीएमआरसी को एसपीवी बनाने का जिम्मा दिया जाने पर विचार किया जा रहा है। अब सचिवों के समूह को तय करना है कि पीपीपी मॉडल से यमुना सौन्दर्यीकरण होगा या एसपीवी मॉडल से।
दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार मिलकर यमुना जल के शुद्धिकरण के साथ-साथ दिल्ली में इसमें तटीय क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण कर विस्तृत योजना बनाना चाहते हैं। इसके लिए केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल का खाका तैयार किया है। पीपीपी मॉडल पर काम करने से यमुना सौन्दर्यीकरण का खर्च दिल्ली सरकार को वहन नहीं करना होगा। यमुना के शोधित जल से निजी कम्पनियाँ अपना फायदा निकाल सकेगी। निजी कम्पनियों को इस काम में शामिल करने से यमुना सौन्दर्यीकरण परियोजना निर्धारित समय से पूरी हो सकेगी जिससे परियोजना व्यय में बढ़ोतरी नहीं होगी।
अब तक इस विषय में हुई सचिव स्तर की बैठक में यमुना किनारे की जमीन पर हुए अनधिकृत कब्जे व अनधिकृत कालोनियाँ आड़े आ रही हैं। दिल्ली में यमुना के किनारे की जमीन डीडीए तथा दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र की है। अनधिकृत कब्जों को हटाने पर भी विचार किया जा रहा है।
यमुना सौन्दर्यीकरण के विभिन्न मुद्दों पर जो कमेटी बनेगी उसमें केन्द्र सरकार के शहरी विकास सचिव, जहाजरानी व भूतल परिवहन सचिव, पर्यावरण सचिव तथा दिल्ली सरकार के शहरी विकास सचिव को शामिल किया जाएगा। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को भी इसमें शामिल किया जाएगा। दिल्ली में यमुना के किनारे विस्तृत भूमि का बड़ा हिस्सा डीडीए के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए सौन्दर्यीकरण मामले में डीडीए की हिस्सेदारी महत्त्वपूर्ण है। इस कमेटी के बनने की सूचना एक सप्ताह के भीतर निकाली जाएगी। सचिवों की कमेटी को यमुना सौन्दर्यीकरण के मॉडल का प्रशासनिक पक्ष भी तैयार करना होगा। महीने भर में इस कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने के बाद इस विषय पर मन्त्री समूह की बैठक शुरू हो जाएगी, तभी इस विषय में तैयार किए मॉडल को अन्तिम रूप दिया जा सकेगा। उधर यमुना सौन्दर्यीकरण के लिए स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) बनाने पर मुख्यमन्त्री कार्यालय काम कर रहा है तथा डीएमआरसी को एसपीवी बनाने का जिम्मा दिया जाने पर विचार किया जा रहा है। अब सचिवों के समूह को तय करना है कि पीपीपी मॉडल से यमुना सौन्दर्यीकरण होगा या एसपीवी मॉडल से।
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