यमुना की जमीन पर डंप होगा कचरा

1. डीडीए की तकनीकी समिति ने दी सैद्धांतिक मंजूरी
2. नगर निगमों ने मांगी थी डंपिंग ग्राउंड के लिए भूमि


यमुना क्षेत्र में कचरा डंप करने से और जहरीली होगी यमुनानई दिल्ली। यमुना खादर क्षेत्र में तीन डंपिंग ग्राउंड (कचरा निष्पादन केंद्र) बनाए जाएंगे। दिल्ली के दो नगर निगमों के इस प्रस्ताव को डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) की तकनीकी समिति ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। हालांकि डीडीए के कई अधिकारियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है, लेकिन दिल्ली में जमीन की कमी का हवाला देते हुए इसे मंजूरी दे दी गई है।

दिल्ली में डंपिंग ग्राउंड की कमी को देखते हुए पूर्वी और दक्षिण निगम ने डीडीए से जमीन की मांग की थी। पिछले दिनों हुई डीडीए की तकनीकी समिति की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया। प्रस्ताव रखा गया कि जोन-ओ (यमुना व खादर क्षेत्र) में तीन डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन दी जाए, लेकिन बैठक में डीडीए के अतिरिक्त आयुक्त ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यमुना खादर क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड बनाने से पर्यावरण प्रदूषित होगा। साथ ही, इससे क्षेत्र का भूजल भी प्रदूषित होगा।

बावजूद इसके, तकनीकी समिति ने जमीन न मिलने के कारण डंपिंग ग्राउंड प्रोजेक्टों में हो रही देरी के मद्देनज़र सैद्धांतिक रूप से इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक (बैठक की कार्यवाही की प्रति दैनिक जागरण के पास है) डीडीए दोनों निगमों को तीन अलग-अलग जगहों पर कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए जमीन आवंटित करेगा। जमीन का चयन डीडीए और नगर निगमों द्वारा मिल कर किया जाएगा। साथ ही, दोनों निगम डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेगा। इसके बाद डीडीए भूमि उपयोग में परिवर्तन (सीएलयू) किया जाएगा। यदि एनओसी नहीं मिलती है तो नगर निगम यह जमीन डीडीए को लौटा देगा।

1. 8000 टन कचरा दिल्ली में रोजाना निकलता है
2. 20,000 टन आने वाले समय में होने का है अनुमान
3. 28 हेक्टेयर में फैली है गाजीपुर साइट
4. 19.2 हेक्टेयर में फैली है भलस्वा साइट
5. 12.8 हेक्टेयर है ओखला साइट का क्षेत्रफल
6 डंपिंग ग्राउंड से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस व बदबू फैलती है।

10 नई साइट की है जरूरत


नगर निगम ने दिल्ली सरकार, डीडीए व केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को बताया है कि कूड़ा निस्तारण के लिए 10 नई लैंडफिल साइट की जरूरत है। डीडीए से भूमि उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं पुराने डंपिंग ग्राउंड


राजधानी से निकलने वाले कचरे को डालने के लिए दिल्ली में अभी तक केवल तीन क्षेत्र ही हैं। इसमें पूर्वी दिल्ली में गाजीपुर, दक्षिणी दिल्ली में ओखला और उत्तरी दिल्ली में भलस्वा शामिल हैं। हालांकि उत्तरी दिल्ली में नरेला-बवाना रोड पर लैंडफिल साइट हैं, लेकिन वहां कचरा नहीं डाला जाता है। वहां केवल कचरे से बिजली बनाने का प्लांट लग रहा है। इन तीनों डंपिंग ग्राउंड पर कचरा डालने की जगह अब नहीं बची है। फिलहाल तीनों क्षेत्रों में 30 से 50 मीटर ऊंचा कूड़े का पहाड़ बन गया है।

अदालत में भी पहुंची है समस्या


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए वर्ष 2010 में नगर निगम, डीडीए और दिल्ली सरकार को चार नए डंपिंग ग्राउंड तलाश करने के निर्देश दिए थे और मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था। डीडीए ने उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली में सुल्तानपुर डबास, पूठ खुर्द, हमीदपुर गांव, बख्तावरपुर रोड, पल्ला गांव, ओखला के पास, भाटी माइंस, जैतपुर पहाड़ी, घिटोरिनी, मांडी गांव आदि में डंपिंग ग्राउंड बनाया जा सकता है।

यमुना को मैला करने की साजिश


जोन-ओ, वह क्षेत्र है जो पूरी तरह से यमुना की जमीन है। मास्टर प्लान में इस क्षेत्र को यमुना क्षेत्र माना जाता है, लेकिन इस जमीन पर पहले राष्ट्रमंडल खेलगांव बनाया गया, फिर मिलेनियम डिपो बनाया गया। अब डंपिंग ग्राउंड बना कर यमुना को और मैला करने की तैयारी है। इसका व्यापक विरोध किया जाएगा।

मनोज मिश्र संयोजक, यमुना जिये अभियान

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