यमुना हैं सूर्यपुत्री

अक्षर यात्रा की कक्षा में य वर्ण पर चर्चा जारी रखते हुए आचार्य पाटल ने कहा- 'मार्कण्डेयपुराण' की कथा के अनुसार विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य की पुत्री को यमुना कहते हैं। एक शिष्य ने पूछा- गुरूजी, अपने देश में तो पवित्र नदी का नाम यमुना है। फिर सूर्य पुत्री को यमुना क्यों कहा गया।

आचार्य ने बताया- संज्ञा ने अपने पति सूर्य के तेज के भय से अपनी आंखें बंद कर लीं। इससे सूर्य क्रुद्ध हो गए और शाप दिया। जिससे इसका पुत्र 'यम' सब लोकों का नियमन करने वाला बना। फिर संज्ञा ने सूर्य की ओर चंचल दृष्टि से देखा और सूर्य के शाप से पुत्री यमी नदी के रू प में बहने लगी और यमुना कहलाई। 'श्रीमद्भागवतपुराण' के अनुसार श्रीकृष्ण के बडे भाई बलराम ने अपने हल से यमुना को दो भागों में बांट दिया इसलिए वे यमुनाभिद् कहे गए। जौ के दाने को यव कहा है। जौ भी युगल भाव लिए होता है। एक अंगुली के 1/6 अथवा 1/8 नाप को भी यव कहते हैं। 'लक्षणशास्त्र' में हाथ की अंगुलियों में बने जौ के दाने के चिह्न को सौभाग्यसूचक माना है। जौ की शराब को यवसुरा कहते हैं।

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