“यमुना बचाओ” के योद्धाओं द्वारा यमुना तथा दिल्ली के जलस्रोतों के पानी के दुरुपयोग को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंदर खन्ना को एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में राज्य के पर्यटन विभाग की यमुना नदी पर निर्मित किये जाने वाले “कृत्रिम बीच” की योजना का कड़ा विरोध किया गया है। “यमुना जिये अभियान” (YJA) के कार्यकर्ता ने उपराज्यपाल को शिकायती ज्ञापन में बताया कि इस प्रस्तावित “रेतीले बीच” के निर्माण हेतु यमुना के उथले इलाके से 2,00,00 (दो लाख) गैलन पानी की आवश्यकता होगी। YJA के समन्वयक श्री मनोज मिश्रा ने कहा कि सरकार और उसके विभिन्न विभाग “दिल्ली की जीवनरेखा” से नित-नये खिलवाड़ करने की योजनायें बनाते रहते हैं, यह प्रस्तावित “बीच” भी एक टाली जा सकने वाली योजना है। वे कहते हैं कि “यह हमारी सामान्य समझ के बाहर है कि एक ऐतिहासिक शहर, जिसकी एक गहरी सांस्कृतिक विरासत है और पर्यटन के लिये प्राचीन इतिहास की समृद्ध परम्परा है, वहाँ पर प्रदेश का पर्यटन विभाग नये मौलिक विचार छोड़कर, विदेशी पर्यटकों की खातिर इस प्रकार की ऊलजलूल योजनायें बनाता रहता है…”।
उपराज्यपाल को लिखे पत्र में संगठन ने कहा है कि यह इस प्रकार की “अव्यावहारिक योजनाओं” का तीसरा उदाहरण है, पहला था यमुना के आर-पार एक “सिग्नेचर ब्रिज” के निर्माण का, दूसरा था नदी के आसपास “टाइम्स ग्लोबल विलेज” बसाने का और अब यह तीसरा “कृत्रिम बीच” बनाने का…”। सवाल उठता है कि क्या दिल्ली का पर्यटन विभाग मौलिक और नये विचार खो चुका है? क्यों विभाग बार-बार दिल्ली की जीवनरेखा के साथ इस प्रकार के दुस्साहसी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण प्रस्ताव लेकर आता है? कार्यकर्ताओं ने इस बात का भी उल्लेख किया कि एक तरफ़ तो इस प्रस्तावित बीच के निर्माण में दो लाख गैलन पानी की आवश्यकता पड़ेगी, वहीं दूसरी ओर दिल्ली जल बोर्ड अकेले दिल्ली शहर की पानी की जरूरतों को ही पूरा नहीं कर पा रहा, यह पानी कैसे उपलब्ध करवायेगा? कुल मिलाकर इस योजना की न तो आवश्यकता है, न ही उपयोगिता है न ही यह व्यावहारिक है। कार्यकर्ताओं ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं है, लेकिन प्रेस-मीडिया को इसकी जानकारी लीक हो गई और यह खबर बाहर आ गई। YJA ने कहा कि हमारी मुख्य आपत्ति इस बात को लेकर है कि इस प्रकार की बड़ी योजनायें बाले-बाले चुपचाप बना ली जाती हैं और उसे इरादतन मीडिया में लीक भी कर दिया जाता है। शहरी नियोजन का यह बदतरीन नमूना है, और यह तरीका किसी भी तरह से महानगर के विकास और पर्यटन में सहायक सिद्ध नहीं होगा।
अनुवाद – सुरेश चिपलूनकर
Tags - ‘Save Yamuna’ crusaders write to Delhi’s L-G, Protest against proposal to create an artificial beach on the riverbed
उपराज्यपाल को लिखे पत्र में संगठन ने कहा है कि यह इस प्रकार की “अव्यावहारिक योजनाओं” का तीसरा उदाहरण है, पहला था यमुना के आर-पार एक “सिग्नेचर ब्रिज” के निर्माण का, दूसरा था नदी के आसपास “टाइम्स ग्लोबल विलेज” बसाने का और अब यह तीसरा “कृत्रिम बीच” बनाने का…”। सवाल उठता है कि क्या दिल्ली का पर्यटन विभाग मौलिक और नये विचार खो चुका है? क्यों विभाग बार-बार दिल्ली की जीवनरेखा के साथ इस प्रकार के दुस्साहसी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण प्रस्ताव लेकर आता है? कार्यकर्ताओं ने इस बात का भी उल्लेख किया कि एक तरफ़ तो इस प्रस्तावित बीच के निर्माण में दो लाख गैलन पानी की आवश्यकता पड़ेगी, वहीं दूसरी ओर दिल्ली जल बोर्ड अकेले दिल्ली शहर की पानी की जरूरतों को ही पूरा नहीं कर पा रहा, यह पानी कैसे उपलब्ध करवायेगा? कुल मिलाकर इस योजना की न तो आवश्यकता है, न ही उपयोगिता है न ही यह व्यावहारिक है। कार्यकर्ताओं ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं है, लेकिन प्रेस-मीडिया को इसकी जानकारी लीक हो गई और यह खबर बाहर आ गई। YJA ने कहा कि हमारी मुख्य आपत्ति इस बात को लेकर है कि इस प्रकार की बड़ी योजनायें बाले-बाले चुपचाप बना ली जाती हैं और उसे इरादतन मीडिया में लीक भी कर दिया जाता है। शहरी नियोजन का यह बदतरीन नमूना है, और यह तरीका किसी भी तरह से महानगर के विकास और पर्यटन में सहायक सिद्ध नहीं होगा।
अनुवाद – सुरेश चिपलूनकर
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