वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर के विविध अवसर

वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर
वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर

ये  तारीख थी 5 जून 1972 और स्थान था स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम जब सभी देशों ने एक स्वर से वायु प्रदूषण की परिभाषा की अंगीकार किया. बाद में आर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने इस पर मुहर भी लगाई यह कुछ यों थी  किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मानवीय गतिविधि के माध्यम से नुकसानदेह और/अथवा प्राकृतिक व कृत्रिम सामग्री को वातावरण में छोड़ना।  

आज वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा बन चुका है. 2019 में विश्व स्वास्था संगठन (WHO) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की 99 फीसदी आबादी उन जगहों में निवास कर रही है, जहां वायु गुणवत्ता WHO के तय किए स्तर के मुताबिक नहीं है. WHO के मुताबिक, खुले वातावरण  और घर के भीतर का वायु प्रदूषण 67 लाख अकाल मौतों के लिए जिम्मेदार है इसमें से खुले वातावरण का प्रदूषण अकेले ही 2019 में पूरी दुनिया में 42 लाख अकाल मौतों की वजह इनमें 89 फीसदी मौतें दक्षिण-पूर्व और पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्रों के निम्न मध्य आय वर्ग वाले देशों (LMIC) में हुई स्पष्ट ही स्वच्छ  ईंधन वाले परिवहन घरों में ऊर्जा की बचत के साथ हरित ऊर्जा उत्पादन और उद्योगों को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां और निवेश के साथ स्थानीय निकायों केबहतर कचरा प्रबंधन से ही हमारे स्वास्थ्य पर असर डालने वाले बाहरी प्रदूषण के जिम्मेदार कारकों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।  

घरों में हरित ऊर्जा का इस्तेमाल भी घरेलू और बाहरी वायु प्रदूषया को व्यापक रूप से घटाएगा इसलिए वायु प्रदूषण स्तर कम करके देश स्ट्रोक,हृदय रोगों फेफड़ों के कैंसर और अस्थमा समेत श्वास रोगों से पढ़ने वाले भार को भी घटा सकते हैं, इतना ही नहीं वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन और अस्थिरता, अराजकता और पारिस्थितिकी  के लिए मुश्किलों को बढ़ाने में अहम  हिस्सेदार है।  

इस लेख का उद्देश्य वायु प्रदुषण क्षेत्र के विविध परस्पर और इसके सामूहिक परिणाम पर रोशनी डालना है. दूसरे, इसके विविध विषयों में विस्तार के कारण यह बड़ी संख्या में अन्यान्य क्षेत्रों में करियर और अवसरों का मार्ग भी प्रशस्त करता है

वायु गुणवत्ता अब महज कही-सुनी बात नहीं है आज स्वच्छ वायु के लिए हमारा संघर्ष बढ़ने के साथ यह विश्वव्यापी संकट बन चुका है। सरकारें, उद्योग और समुदाय सक्रियता से वायु गुणवत्ता सुधारने की कोशिशों में जुटे हैं. इसके नतीजे में वायु गुणवत्ता मापन, भविष्यवाणी नियंत्रण और स्तर प्रबंधन आदि से करियर के अवसरों का ऐसा खजाना खुल गया है, जहां बेहतर स्वास्थ्य और अधिक पर्यावरण अनुकूल रहन-सहन सुनिश्चित करने के लिए पेशेवर नवाचार करने में हाथ मिला रहे हैं.परंपरागत रूप से वायु प्रदूषण और गुणवत्ता विज्ञान और तकनीक का क्षेत्र रहे है. वायु प्रदूषण और गुणवत्ता के क्षेत्र में वे करियर संभावनाएं युवाओं की तरफ देख रही है. 

पर्यावरण वैज्ञानिक (Environmental Scientists)

वायु प्रदूषण और गुणवत्ता के विशेषज्ञ वैज्ञानिक वायु गुणवत्ता डाटा एकत्र करने के साथ उनके स्रोत, कारणों और परिणामों का पता लगाने के लिए डाटा का बारीकी से  विश्लेषण करते हैं. वे वायु प्रदूषण प्रयोगशालाएं स्थापित और उन्हें संचालित करते हुए वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के विकास और क्रियान्वयन का अग्रिम मोर्चा संभालते हैं.
इस क्रम में वायु प्रदूषण निगरानी व विश्लेषण में सहायक उपकरणों का प्रयोगशाला के भीतर और खुले वातावरण में समन्वित उपयोग के जरिये प्रयोगशालाओं का संचालन उनका जिम्मा होता है

पर्यावरण इंजीनियर (Environmental Engineers )

ये वो दूरदृष्टा है, जो निर्धारित वातावरण मानकों के आधार पर वायु में मौजूद प्रदूषक तत्वों को नियंत्रण में रखने के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण प्राणलियों का खाका  खीचने उनके निर्माण और संचालन का दायित्व निभाते है उनके नवाचार समाधान अत्याधुनिक फिल्ट्रेशन प्रणालियों से लेकर रेडियो तरंगों, आयनीकरण  और अभूतपूर्व उत्सर्जन नियंत्रण और अधिशोषण तकनीकों के उपयोग तक फैले है।  

आधुनिकतम गणितीय प्रगलियों और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का उपयोग करके निर्णय सहयोग प्रणाली तैयार और लागू करना भी पर्यावरण इंजीनियरों का ही  कार्य है.
इसके अतिरिक्त स्थानीय, नगरीय और क्षेत्रीय मानकों के आधार पर पंचायतो और स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों के विभागों केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य केंद्र प्रदूषण बोर्डों  के साथ सहयोग करते हुए प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन भी इसका जिम्मा है

वायु गुणवत्ता डाटा विश्लेषक (Air Quality Data Analysts)

ये डाटा विज्ञान और सांख्यिकीय तकनीकों की मदद से वायु गुणवत्ता से जुड़े अप्रत्यक्ष रुझानों और पैटर्न का खुलासा करते हैं. इनके प्राथमिक दायत्वों में व्यापक डाटा विश्लेषण करके उनके नतीजों से संबंध  प्रदूषण मंडलों मंत्रालयों को अवगत कराना है, इसके बाद ये रिपोर्ट जनता तक पहुंचती हैं इसके अलावा, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) तय करने के लिए गणनाएं भी इन्हीं का काम है. 

तकनीक डेवलपर (Technology Developers)

ये ज्यादा सटीक और प्रभावी मापन एवं नियंत्रण के लिए नवीन उपकरण और प्रणालियों के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं. इस समय वायु गुणवत्ता मापन उपकरणों के क्षेत्र में घरेलू नवाचारों के लिए व्यापक अवसर मौजूद है ये उपकरण फिलहाल ज्यादातर आयात किए जाने से उपभोक्ताओं के लिए बहुत महंगें पड़ते हैं।  एक अन्य महत्वपूर्ण आयाम है कम जगह मेरने वाले जेब के अनुकूल बढ़िया सेंसरों का, जिन्हें घर के भीतर वायु गुणवत्ता सुधारने, मापने और इसके समाधान को या देने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

लोकनीति विशेषज्ञ (Public Policy Experts)

विज्ञानियों, इंजीनियरों, विश्लेषकों और तकनीक नवोन्मेषकों के साथ लोकनीति विशेषज्ञों की भूमिका भी शासन से जुड़ाव के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन में महत्वपूर्ण हो चली है. लोकनीति विशेषज्ञों की भूमिका भी शासन से जुड़ाव के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन में  महत्चपूर्ण हो चली है लोकनिति विशेषज्ञ के रूप में खासतौर पर पर्यावरण इंजीनियर मौजूदा शीर्ष केंद्रित कार्यप्रणाली की जगह जमीनी दृष्टिकोण वाले शासन ढांचे की स्थापना के माध्यम से कुशल और प्रभावी वायु गुणवत्ता नियमन तैयार करते हुए व्यापक प्रभाव  डाल सकते हैं इतना ही नहीं, लोकनीति विशेषज्ञों पर वायु गुणवत्ता संरक्षण नियमन के साथ जनता को साफ हवा में सांस ने की अनिवार्यता के बारे में जागरुक वाली नीतियों का आधार तैयार करने की जिम्मेदारी भी है.

सतत् विकास सलाहकार (Sustainability Consultants)

पर्यावरण इंजीनियर और वैज्ञानिक सतत् विकास विशेषता के रूप में भी न केवल शासकीय बल्कि कॉर्पोरेट सेक्टर में भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं वे व्यवसायों और संगठन के साथ साझेदारी करके उनके पर्यावरणीय फुटप्रिंट को घटाने में साझीदार बन सकते हैं. उनकी विशेषज्ञता से उद्योगों को पर्यावरण अनुकूल व्यवहार अपनाने और वायु प्रदूषण निर्धारित मानकों और सीमा के भीतर रखने में मदद मिल सकती है पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन और संबद्ध जोखिम आकलन भी सातत्य सलाहकारों का काम है देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, शोध प्रयोगशालाओं, कॉर्पोरेट जगत, उद्योगों और NGO में काम करते हुए कुछ लोगों ने वायु प्रदूषण के क्षेत्र में सफल करियर बनाया है.

वायु गुणवत्ता पेशेवर बनने का रास्ता पर्यावरण विज्ञान पर्यावरण इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग मेकैनिकल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी कमिस्ट्री और बायोलॉजी में स्नातक डिग्री से शुरू होता है. स्नातकोत्तर या पीएच.डी जैसी उच्च शिक्षा डिग्रियों से विशेषज्ञता में नया आयाम जुड़ता है और वरिष्ठ और विशेषज्ञता वाली भूमिकाएं मिलने का दरवाजा खुलता है.

इन विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएच. डी. जैसी बुनियादी अहंताओं के साथ ही कई तरह के कौशल अर्जित करना आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं. इन कौशलों में डाटा विज्ञान एवं विश्लेषण, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग, पर्यावरण कानून में अतिरिक्त डिग्री या प्रशिक्षण कोर्स के साथ संवाद में निपुणता बेहद लाभदायक है

वायु गुणवत्ता मापन, भविष्यवाणी नियंत्रण और प्रबंधन का क्षेत्र सरकारों, उद्योगों कारोबारों और वकालत समूहों के पेशेवरों के परस्पर सहयोग के बूते खूब फल- फूल रहा है. लोक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रभावी नीतियां बनाने और लागू करने में इन निकायों के बीच सहयोग आवश्यक है.

वायु गुणवत्ता नियमन को स्थापना और क्रियान्वयन में सरकारी एजेंसियों की भूमिका अहम  है वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए वैज्ञानिक, इंजीनियर और नीति विशेषज्ञ ही सुविचारित निर्णय ले सकते हैं कुशल प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों और सतत् विकास तरीके अपनाकर उद्योग वायु गुणवत्ता में अहम योगदान कर सकते हैं. आमतौर पर सतत् विकास सलाहकार लाभ बनाए रखकर पर्यावरण पर असर कम से कम करने के लिए उद्योगों के साथ साझेदारी करते हैं.

वकालत समूह और पर्यावरण संगठन भी वायु गुणवत्ता के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और नीति परिवर्तन को वकालत के अहम् औजार है. वे डाटा सार्वजनिक करने, जनसहयोग जुटते हुए प्रदूषण की जिम्मेदारी तय करने के लिए विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करते हैं सहभागिता की यह भावना से वायु गुणवत्ता में सार्थक सुधार हासिल करने के केंद्र में है यह सहयोग वायु प्रदूषण में कमी के साथ ही अनुसंधान सहयोग और सरकारी कदमों को बढ़ावा देकर परिवर्तन और करियर विकास में मददगार है.

वायु गुणवत्ता मापन भविष्यवाणियों, नियंत्रण और प्रबंधन का परिदृश्य परिवर्तनशील और निरंतर विकसित होने वाला है. कृत्रिम मेधा (AI), और मशीन लर्निंग (ML) उभरते रुझान पर्यावरण गुणवत्ता में नवाचारों और विशेषज्ञता के नए द्वार खोल रहे हैं. इन आधुनिकतम तकनीकों के समावेश से ज्यादा व्यापक डाटा की प्रोसेसिंग अपेक्षाकृत कुशलता से करके पैटर्न और वायु गुणवत्ता के रुझानों की पहचान संभव  है इससे वायु गुणवत्ता पर  कुशल और प्रभावी कानून और नीति निर्माण में मदद मिलेगी, दूसरी तरफ, तकनीकी विकास से नई चुनौतियां भी खड़ी हुई है. व्यावहारिकता, नवीनता, प्रभावोत्पादकता, कुशलता. टूटफूट , लागत में कमी और नवाचार तकनीकी या नीतियां तैयार करना ऐसी ही कुछ चुनौतियां है।  उदाहरण के लिए जैविक इंधन से चालित गाड़ियों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक कार के प्रचलन, उनके निर्माण के पर्यावरण पर प्रभाव, जरूरी  बुनियादी ढांचा बनाना और बैटरियों का निपटारा कुछ बड़ी चिंताएं हैं हम साफ और स्वस्थ हवा में सांस लेते रहे. यह सुनिश्चित करने के लिए सामने आ रही इन चुनीतियों से निपटना वायु गुणवत्ता पेशेवरों के लिए आज की  जरूरत है।  

वायु गुणवत्ता मापन, भविष्यवाणी नियंत्रण और प्रबंधन अहम नौकरियां नहीं है, बल्कि ये हमारे और आगामी पीढ़ियों के लिए ज्यादा सेहतमंद दुनिया तैयार करने का मिशन भी है चाहे यह विज्ञान, तकनीक, इंजनिरिंग या नीतिगत क्षेत्र हो, वायु गुणवत्ता के क्षेत्र में हर तरह के पेशेवरों के लिए भरपूर जगह है. सहभागिता के जरिये और उभरते खातों से अवगत रखते हुए स्वच्छ हवा, बेहतर स्वास्थय ज्यादा हरा-भरा ग्रह और सतत् विकास से युक्त भविष्य सुनिश्चित करके कोई भी सकारात्मक परिवर्तन का दूत बन सकता है. वायु गुणवत्ता में करियर फलदायक और प्रभावी रास्ता है, जो इस समझ से खुलता है कि साफ एक बेशकीमती संसाधन है और इसके संरक्षण में सहकारी दृष्टिकोण और विविध पेशेवरों का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण है. वायु गुणवत्ता का क्षेत्र अवसरों का अथाह खजाना है, बस किसी भी आकांक्षी को अपना रास्ता चुनकर बुद्धिमानी से कार्ययोजना तैयार करनी होगी.
(लेखक IIT दिल्ली में क्रमश: प्रोफेसर एमेरिटस एवं जूनियर रिसर्च फैलो हैं लेख पर अपनी प्रतिक्रिया इस ई-मेल एड्रेस पर भेजी जा सकती है- feedback.employmentnews@gmail. (com)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत है.)

 

स्रोत ; - रोजगार समाचार 21-27 अक्तूबर 2023

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Post By: Shivendra
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