असनी गलिया अन्त विनासै। गली रेवती जल को नासै।।
भरनी नासै तृनौ सहूतो। कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।
शब्दार्थ- असनी- अश्विनी।
भावार्थ- घाघ का मानना है कि यदि चैत में अश्विनी नक्षत्र में वर्षा हो गई तो चौमासे में सूखा पड़ेगा। यदि रेवती नक्षत्र में वर्षा हुई तो आगे वृष्टि नहीं होगी। भरणी नक्षत्र में यदि पानी बरसा तो तृण का भी नाश हो जायेगा लेकिन यदि कृत्तिका नक्षत्र में पानी बरसा तो अन्त तक वर्षा अच्छी होगी।
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