बारिश में कोई भी फल या सब्जी बिना धोए इस्तेमाल नहीं करें। इसी प्रकार कटी-फटी और खुली फल-सब्जियाँ न खदीदें। बारिश का मौसम आरम्भ होने से पूर्व ही अपने घर की छत, नालियों और आस-पास के गड्ढों को ठीक करा लें।
ऋतुएँ प्रकृति का अमूल्य उपहार होती हैं। वर्षा की पहली ही फुहार मन को आनंदित कर देती है। लेकिन इस ऋतु में आहार-विहार पर सर्वाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। तभी यह निरापद हो सकती है अन्यथा बीमार पड़ते देर नहीं लगती।वर्षा ऋतु में उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो पाचक रस उत्पन्न करने वाले तथा शीघ्र पचने वाले हों। जिन खाद्य पदार्थों में जलीय अंश कम हो, उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए। बारिश के मौसम में कुछ विशेष किस्म की सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहती हैं। इनमें तुरई, लौकी, टिंडी, भिंडी, बैंगन, मूली, कद्दू, सहजन परवल आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा अदरक और पुदीना भी हितकर रहता है।
इस ऋतु में बिना चोकर निकले आटे की रोटियों का सेवन करना चाहिए। दालों में उड़द की दाल ठीक रहती है। दलिया-खिचड़ी का सेवन भी किया जा सकता है। वर्षा ऋतु में जब तक आम आते हों, उनका सेवन करना चाहिए। इसके अलावा नींबू की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। जामुन का सेवन भी लाभदायक है। इस मौसम में भुने चने, भुने हुए भुट्टे का सेवन लाभदायक रहता है।
बारिश के मौसम में चाट-पकौड़ी से परहेज करना चाहिए। विशेषकर ठेले-खोमचे वालों से तो कदापि न खरीदें। कचौड़ी, समोसा, आलू बड़ा, पकौड़े आदि हजम नहीं होते। इसी प्रकार मिठाइयों का सेवन भी कम करना चाहिए। वर्षा ऋतु में अधिकांश बीमारियाँ दूषित जल के इस्तेमाल से होती हैं। इसलिए पेयजल का शुद्ध एवं कीटाणुरहित होता नितान्त आवश्यक है। नदी या तालाब का पानी बिना फिल्टर किए नहीं पीना चाहिए। बेहतर होगा कि पानी को उबालकर और छानकर सेवन करें।
बारिश के दिनों में दिन में नहीं सोना चाहिए और न ही रात्रि-जागरण करना चाहिए। रात में भरपूर नींद लें। इन दिनों में नदी, नाले और तालाब में तैरना नहीं चाहिए। एक तो उनका जल दूषित होता है, दूसरे नदी-नालों का बहाव भी इन दिनों तेज हो जाता है जिससे कोई अप्रिय हादसा घटित हो सकता है।
इस ऋतु में सदैव सूखे वस्त्र धारण करें। गीले कपड़ों से सर्दी-जुकाम और चर्म रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। इसी प्रकार ओढ़ने और बिछाने के बिस्तर आदि भी सूखे होने चाहिए। जूते-मौजे भी सूखे होने चाहिए। बारिश में बासी भोजन पूर्णतः निषिद्ध है। सदैव शुद्ध ताजा, व शाकाहारी भोजन ही करें। मांसाहार का सेवन इस ऋतु में ठीक नहीं है। भोजन गर्म होना चाहिए।
इस मौसम में मक्खी, मच्छर और कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। मच्छरों से मलेरिया, डेंगू, पीतज्वर, कालाजार, आदि रोग होने की आशंका रहती है इसलिए इनसे बचाव करना चाहिए। बेहतर होगा कि इनकी उत्पत्ति रोकें। इसके लिए घर और आसपास के गड्ढों में पानी जमा न होने दें। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। पानी भरे गड्ढों में क्रूड ऑयल या मिट्टी का तेल छिड़क दें। इसके अलावा रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएँ या अन्य किसी साधन, उपकरण का इस्तेमाल करें जिनसे मच्छरों से बचाव होता हो।
समस्त खाद्य सामग्री और पेय पदार्थों को ढककर रखें याद रखें कि पर्याप्त सफाई नहीं रखी गई तो हैजा, पीलिया, डायरिया आदि रोग हो सकते हैं।
बारिश में कोई भी फल या सब्जी बिना धोए इस्तेमाल नहीं करें। इसी प्रकार कटी-फटी और खुली फल-सब्जियाँ न खदीदें। बारिश का मौसम आरम्भ होने से पूर्व ही अपने घर की छत, नालियों और आस-पास के गड्ढों को ठीक करा लें।
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