क्या वर्षा जल संचयन से औद्योगिक उत्पाद की लागत कम की जा सकती है? बात कुछ अजीब सी लगती है, लेकिन है बिल्कुल सच, और यह उदाहरण पेश किया है पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में दुर्गापुर में स्थित एक इस्पात ईकाई ने। जिले में स्थित एक द्वितीयक इस्पात ईकाई के 200 तापीय डिपोलीमेराइजेशन संयंत्र साल के सात महीने पूरी तरह वर्षाजल पर ही निर्भर रहते हैं। यह उपलब्धि तब हासिल हुई है जबकि बर्दवान जिले में पिछले तीन सालों में वर्षा दर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। दुर्गापुर पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है। दुर्गापुर शहर पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में स्थित है, जो कि दिल्ली से कोलकाता के मुख्य रेलवे लाइन में पड़ता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से जुड़ा हुआ है और कोलकाता महानगर से 158 किमी की दूरी पर है। यहां का मौसम उष्णीय है और साल के तीन महीने जुलाई, अगस्त एवं सितंबंर में कुल बारिश का 80 प्रतिशत से ज्यादा बरसता है। जिले में औसत सलाना वर्षा लगभग 1330 मिमी होती है।
इस औद्योगिक ईकाई के सकारात्मक पहल को देखते हुए आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के पास दुर्गापुर नगर निगम के वार्ड संख्या 28 की चार एकड़ परती जमीन को वर्षा जल संचयन के प्रयोजन के लिए मुफ्त में उपलब्ध कराया है। ‘एलिगेंट स्टील रोलिंग मिल्स’ के महाप्रबंधक श्री सुमंत भट्टाचार्य का दावा है कि उनके संयंत्र में प्रतिमाह रुपये 9 लाख पानी के बिल की बचत होती है। इस नयी प्रणाली से संयंत्र को प्रतिदिन 400 किलोलीटर पानी आपूर्ति की जाती है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया से हमारे संयंत्र संचालन का विचार पूरी तरह बदल चुका है। इससे हमें दोतरफा फायदा हो रहा है। एक तो अब संयत्र पूरे साल काम करता है और कंपनी को पानी का बिल भी कम चुकाना पड़ता है। इस तरह कंपनी के उत्पाद की लागत भी पहले के मुकाबले कम हुई है।
असल में इस विचार की शुरूआत तब हुई जब दो साल पहले तक हर साल मानसून के दौरान संयंत्र का एक हिस्सा पानी से डूब जाता था। संयंत्र ऐसे स्थल पर स्थित है जो कि थोड़ा निचला इलाका है। इस तरह निकट के इलाके बिधाननगर एवं विश्वकर्मा नगर में बरसने वाले पानी का काफी हिस्सा बहकर संयंत्र में प्रवेश कर जाया करता था। बारिश के पानी से हर साल संयंत्र के काफी कीमती उपकरण पानी में डूब जाया करते थे और काफी नुकसान होता था। इससे साल के करीब 4 महीने उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता था। इससे निपटने के लिए संयंत्र के प्रबंधकों ने बारिश के पानी को संयंत्र में आने से रोकने की योजना बनायी। साथ ही उस पानी को सहेजकर उपयोग करने की भी योजना बनी। इसके बाद संयंत्र के पास में खाली पड़े जमीन को उपयोग करने के लिए कंपनी ने नगर निगम से गुहार लगायी। नगर निगम ने कोई स्थायी निर्माण न करने के शर्त पर कंपनी को मुफ्त में 4 एकड़ जमीन उपलब्ध करा दी। इस 4 एकड़ जमीन में वर्षा जल संचयन के लिए एक तालाब की खुदाई की गई। इस तरह कंपनी ने दोहरे फायदे का भरपूर लाभ उठाना शुरू किया। कंपनी का दावा है कि इस तरह की पहल करने वाली वह क्षेत्र की पहली कंपनी है।
बारिश के एकत्र पानी को ट्रीटमेंट करके संयंत्र के भट्ठियों एवं कूलिंग प्रणाली में उपयोग लायक बनाया जाता है। वर्षाजल में खनिज की मात्रा न्यूनतम होने के कारण पानी के ट्रीटमेंटट के दौरान पानी का पीएच मान का नियंत्रित करना कम लागत वाला होता है। कंपनी के अध्यक्ष ऋषि कुमार का कहना है कि, सरकारी नियंत्रण वाली दुर्गापुर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड से पहले संयंत्र को पानी की आपूर्ति होती थी लेकिन अब साल के सात महीने में कंपनी को करीब रुपये 60 लाख की बचत होती है। इस तरह अब मानसून के दौरान भी उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित नहीं होती है और बारिश के पानी का पूरा उपयोग भी हो जाता है। हालांकि तालाब का जलग्रहण क्षेत्र काफी ज्यादा है लेकिन अभी फिलहाल उसमें एकत्र होने वाले पानी में से प्रति वर्ष करीब 85,000 किलोलीटर का ही उपयोग हो पाता है। इस तरह संयंत्र में जल आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता भी कम हुई है।
इस इस्पात ईकाई की उपलब्धि से दुर्गापुर नगर निगम भी काफी उत्साहित है। निगम के जल आपूर्ति के प्रभारी श्याम प्रसाद कुंडू का कहना है कि यह प्रयास काफी काबिले तारीफ है और उम्मीद करते हैं कि यहां की अन्य कंपनियां भी एलिगेंट स्टील्स के उदाहरण को अपनाएंगी।
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