वर्षा: बुन्देली लोकगीत

कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी।

सावन गरजे भादों बरसे

बिजुरी चमके न्यारी (कन्हैया)

मोर जो नाचे पपीहा बोले

कोयल कूके प्यारी (प्यारी)

नन्हीं-नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे

छाई घटा अंधियारी (कन्हैया)

सब सखियां मिल गाना गाए

नाचे दे दे तारी (कन्हैया)

2 राते बरस गओ पानी

काय राजा तुमने ना जानी।

अंटा जो भीजे अटारी भींजी,

भींजी है धुतिया पुरानी (काय राजा---)

बाग जो भींजे बगीचा भींजे

माँलिन फिरे उतरानी (काय राजा---)

कुंआ है भर गओ, तला है भर गओ

कहरिन फिरे बौरानी (काय राजा---)

गैयां भीजी बछिया भींजीं

नदियन बढ़ गओ पानी (काय राजा-- )

संकलन/टायपिंगनीलम श्रीवास्तव,महोबा
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Post By: pankajbagwan
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