वर्ल्ड कल्चर फेस्ट से यमुना को होगा नुकसान : एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी


आर्ट ऑफ लिविंग के आयोजन से यमुना और उसके पर्यावास को होने वाले सम्भावित नुकसान के मद्देनजर 100 करोड़ रुपए से अधिक के जुर्माने की अनुशंसा एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी ने की है। और एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा कि एनजीटी के पूर्व के आदेशों के उल्लंघन के लिए डीडीए के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाये।


.आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर का दिल्ली में यमुना किनारे होने वाला ‘वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल’ अब गम्भीर संकट में फँस गया है। यह आयोजन दिल्ली में यमुना नदी के उस तटीय इलाके में होना है, जो बाढ़ आने के दिनों में डूब जाता है अन्यथा खाली रहता है। इसे यमुना का फ्लड प्लेन कहा जाता है। राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने यह आशंका जताई है कि इस आयोजन के चलते यमुना नदी के क्षेत्र को गम्भीर क्षति पहुँच सकती है।

एनजीटी ने गत 19 फरवरी को स्थानीय आकलन के लिये एक समिति का गठन किया था जिसने 20 फरवरी को जमीनी हालात का मुआयना किया। समिति ने पाया कि आशंकाएँ निर्मूल नहीं हैं और इन गतिविधियों के चलते बहुत अधिक नुकसान होने की आशंका है। यद्यपि उसने कार्यक्रम रद्द करने की सिफारिश नहीं की लेकिन उसने आयोजकों पर 100 से 120 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने की अनुशंसा अवश्य की है।

समिति के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

1. यमुना नदी और डीएनडी फ्लाई ओवर के बीच के समस्त भूभाग को समतल कर दिया गया है। कई छोटे-मोटे जल क्षेत्र थे जिनको पाट दिया गया है।
2. नदी किनारे निर्माण कार्य से निकला कचरा और मलबा डाल दिया गया है।
3. वीआईपी अतिथियों के आगमन के लिये डीएनडी और फ्लड प्लेन को जोड़ते हुए दो रैंप बनाए गए हैं।
4. यमुना पर एक पंटून पुल बनाया जा चुका है जबकि एक अन्य निर्माणाधीन है।
5. अधिकांश वृक्ष या तो काट दिये गए हैं या फिर उनकी छँटाई कर दी गई है।
6. दोनों ओर फ्लड प्लेन पर पार्किंग बनाई जाएगी और आगन्तुकों के लिये 600 से अधिक शौचालय निर्मित किये जाएँगे।
7. आयोजकों के दावे के उलट कोई मलबा हटाया नहीं गया है और पूरे फ्लड प्लेन पर चारों ओर निर्माण सामग्री का मलबा-ही-मलबा फैला हुआ है।
8. समिति का मानना है कि इस आयोजन के चलते नदी के पश्चिमी तट पर करीब 50-60 हेक्टेयर जमीन बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई है।

 

एनजीटी के ऑर्डर का उल्लंघन


1. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन को इस निर्माण की जो अनुमति दी है उसके चलते यमुना के इस तटवर्ती इलाके का काफी नुकसान हुआ है। यह पर्यावरण के लिहाज से अत्यन्त संवेदनशील है। इतना ही नहीं यह एनजीटी के जनवरी 2015 में इसी सम्बन्ध में दिये गए आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। एनजीटी ने 13 जनवरी 2015 को दिये गए एक आदेश में यमुना के फ्लड प्लेन की महत्ता रेखांकित करते हुए उसे किसी भी तरह का नुकसान पहुँचाने को लेकर साफ चेतावनी दी थी।

2. समिति ने स्पष्ट कहा कि जितनी जल्दी यह आयोजन सम्पन्न हो उसके तत्काल बाद आयोजकों द्वारा इस क्षेत्र को पहुँचे नुकसान को दूूर करने की हर सम्भव कोशिश आरम्भ कर देनी चाहिए। समिति ने यह भी कहा कि चूँकि पहले ही बहुत अधिक नुकसान हो चुका है इसलिये साधारण कदमों से इसमें कोई सुधार होने की सम्भावना नहीं है। भरपाई का काम तत्काल और बहुत बड़े पैमाने पर आरम्भ करना होगा।

3. समिति ने कहा कि फ्लड प्लेन किसी नदी के पर्यावास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार को चाहिए कि वह यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी जगहों पर इस प्रकार की कोई गतिविधि न की जाये, अगर ऐसा हुआ तो उसे क्षमा कतई नहीं किया जाये। रिपोर्ट में हालांकि इस आयोजन को निरस्त करने की सिफारिश नहीं की गई है लेकिन यह अवश्य कहा गया है कि यहाँ आने वाले 35 लाख लोगों की गतिविधियों तथा उनकी सुविधाओं के लिये यहाँ किये गए निर्माण कार्य से इस पूरे क्षेत्र को जबरदस्त नुकसान पहुँच सकता है। समिति के मुताबिक उक्त क्षेत्र में यमुना और उसके आसपास जबरदस्त निर्माण कार्य चल रहा है। जो अन्तत: नदी के लिये नुकसानदेह साबित होने जा रहा है। एनजीटी की रिपोर्ट कहती है, 'आयोजकों को इस क्षेत्र का न्यूनतम सम्भव प्रयोग करते हुए एक संशोधित योजना पेश करनी चाहिए। स्थानीय साइट का एक खाका पूरे विस्तार से दी गई जानकारियों के साथ पेश किया जाना चाहिए।'

समिति कहती है, 'हमारा स्पष्ट तौर पर यह मानना है कि आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन से इस आयोजन के पहले ही 100-120 करोड़ रुपए की राशि वसूल कर ली जानी चाहिए। इस राशि को एक अलग खाते में रखकर उसकी पूरी निगरानी एनजीटी के हवाले कर दी जानी चाहिए।' समिति ने यह भी कहा कि 13 मार्च 2016 को इस आयोजन के समाप्त होने के एक साल के भीतर ही पूरे प्रभावित इलाके का पर्यावास के नजरिए से पुनर्स्थापन कर दिया जाना चाहिए।

आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना के 35वें साल पर आयोजित इस कार्यक्रम में 155 देशों के अतिथियों के आने की उम्मीद है। एनजीटी की चिन्ता है कि इतने बड़े पैमाने पर हो रहा आयोजन यमुना के पूरे फ्लड प्लेन को बुरी तरह प्रभावित करेगा। इसकी तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों को डीएनडी फ्लाईओवर से आसानी से देखा जा सकता है। एक ओर 40 फीट ऊँचा बहुमंजिला मंच बनाया गया है तो नदी के दोनों ओर तमाम रिहायशी शिविर बनाए गए हैं।

हालांकि आर्ट ऑफ लिविंग ने इन तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसने जो कुछ किया वह डीडीए के नियमों के अधीन ही था। इस बात का ख्याल रखा गया है कि किसी भी तरह की गन्दगी यमुना में न मिलने पाये। फाउंडेशन ने जोर देकर यह भी कहा कि वह तो खुद यमुना की सफाई के लिये अभियान चलाता रहा है।

बहरहाल, फाउंडेशन की इन तैयारियों को ध्यान में रखते हुए ही ‘यमुना जिये अभियान’ के कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने 11 फरवरी को एनजीटी के समक्ष एक याचिका दायर की थी। इसके बाद एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जिसने उक्त निष्कर्ष पेश किये हैं। समिति में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सी आर बालू, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ए के गोसाईं और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर बृज गोपाल शामिल थे।

 

 

 

 

Path Alias

/articles/varalada-kalacara-phaesata-sae-yamaunaa-kao-haogaa-naukasaana-enajaitai-kai-ekasaparata

Post By: RuralWater
Topic
×