इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च को विश्व जल दिवस घोषित किए जाने के 30 वर्ष पूरे हो गए हैं, जो दुनिया भर में स्वच्छ जल तक पहुंच के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व स्तर पर चार में से केवल एक व्यक्ति के पास ही साफ पीने के पानी तक पहुंच है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2000 के बाद से लगभग 1.8 बिलियन लोगों के पास तक ही बुनियादी पेयजल सेवाएं पहुंच पाई हैं, लेकिन इन सेवाओं की पहुंच, उपलब्धता और गुणवत्ता में भारी असमानताएं हैं। रिपोर्ट में पाया गया है कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास बुनियादी पानी की कमी है तकरीबन 144 मिलियन लोग अनुपचारित भूमिगत जल पीते हैं। वही गरीब लोगों की तुलना में अमीर लोगों के पास बुनियादी जल सेवाएं दोगुनी है
अफ्रीका में 2020 तक केवल 39% आबादी ही सुरक्षित रूप से पेयजल का उपयोग करती है। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका है, जहां लगभग 794 मिलियन लोगों के पास स्वच्छ पेयजल की कमी है। अधिकांश अफ्रीकी देशों के लिए साफ पानी की पहुंच धीमी रही है। यूनिसेफ का अनुमान है कि 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए इसे अपने प्रयासों को 12 गुना बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
पानी की कमी एक प्रमुख सामाजिक और आर्थिक खतरे के रूप में उभरी है, जो विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में पीने योग्य पानी को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए भारत में दुनिया की 18% आबादी रहती है, लेकिन इसके पास केवल 4% पानी है, जो इसे सबसे अधिक जल-तनावग्रस्त देशों में शामिल कराता है । वही भारत का प्रतिदुंदी देश चीन में ग्राउंड वाटर के अत्याधिक प्रयोगों ने साफ़ पानी की पहुंच पर गहरा असर डाला है।आज स्थिति ये है कि इस सबसे बड़े जनसंख्या वाले देश में 80-90% भूजल पीने योग्य नहीं है और इसके आधे से ज़्यादा जलभृत जो कृषि और घर में इत्तेमाल किये जाते है वो भी दूषित हैं।
मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका में सूखे के कारण जन मानस तक पानी की सुविधाएँ उपलब्ध कराने में समस्या खड़ी हो रही है। लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में घरेलू खर्च का औसत 0.8% पीने के पानी पर खर्च होता है, जहां के निवासी पानी में पाइप का इस्तेमाल करने के बजाये टैंकरों से पानी लेने पर अधिक खर्च करते हैं। मध्य पूर्व देशों में मरुस्थलीकरण ने अलवणीकरण के अति प्रयोग को जन्म दिया है - दुनिया के 70% अलवणीकरण संयंत्र इस क्षेत्र में स्थित हैं।
वही जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की नवीनतम मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग आधी आबादी पहले से ही कम से कम कुछ वर्षों के लिए गंभीर जल संकट के जोखिम में है. अतः हमें जल संरक्षण के उपायों पर विशेष ध्यान देने की आवश्कता है.
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