अच्छी वर्षा के लिए पढ़ी जाने वाली 'नमाज -ए -इस्तिश्ता'
अच्छी बारिश की दुआओं के लिये की जाने वाली विशेष नमाज़ को अरबी में कहते हैं 'नमाज -ए -इस्तिश्ता', जो कि पैगम्बर मोहम्मद साहब की परम्परा के अनुरूप है। इस्लामी सूत्रों के मुताबिक पैगम्बर मोहम्मद ने अपने जीवन में भी अल्लाह से अच्छी बारिश की दुआ करते हुए यह विशेष प्रार्थना की थी। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए जब किसी इलाके में बारिश नहीं होती है, तब विश्व भर में फ़ैले इस्लाम के अनुयायी यह विशेष नमाज़ पढ़ते हैं, उनकी मान्यता है कि अल्लाह उनकी बात सुनता है और इस प्रार्थना के पश्चात अच्छी बारिश होती है।
पिछले कुछ वर्षों से मालेगाँव (महाराष्ट्र) मे लगातार अच्छी बारिश के लिये दुआओं और प्रार्थनाओं का दौर जारी था। यह प्रक्रिया इतनी आम हो चली थी, कि गैर-मुस्लिम भी इन विशेष प्रार्थनाओं में हिस्सा लेने लगे थे। स्थानीय जमीयतुल उलेमा सचिव मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी ने चर्चा में बताया कि 7 जून के बाद लगातार 2 माह तक पानी न गिरने और भीषण सूखे की आशंका के चलते इस विशेष नमाज़-ए-इस्तेस्का का आयोजन किया गया, और इस पहल को मालेगाँव के सभी धर्मों के लोगों का उत्साहजनक समर्थन मिला। हजारों लोगों ने लगातार दो दिनों तक मालेगाँव के बाहरी इलाके में स्थित ईदगाह मैदान में इस विशेष नमाज़ को अता किया। इसके बाद उसी दिन शाम को जो भारी बारिश आरम्भ हुई वह अगले दिन की शाम तक जारी थी।
मौलाना ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हालांकि मालेगाँव की औसत वर्षा तो अभी नहीं हुई है, लेकिन मानसून के दो माह बीतने के बाद इस बारिश ने मालेगाँव और आसपास के इलाकों में आशा की नई किरण जगाई है। पहले यह तय किया गया था कि यह नमाज़ लगातार तीन दिन अता की जायेगी, लेकिन भारी बारिश हो जाने के बाद तीसरे दिन की नमाज़ रद्द कर दी गई, और इसकी बजाय उत्साहित लोगों को सम्बोधित करते हुए मुफ़्ती इस्माईल ने विभिन्न मस्जिदों में अल्लाह और पैगम्बर मोहम्मद के प्रति इस बारिश हेतु शुक्रिया अदा करने का निर्देश दिया।
अच्छी बारिश की दुआओं के लिये की जाने वाली विशेष नमाज़ को अरबी में कहते हैं 'नमाज -ए -इस्तिश्ता', जो कि पैगम्बर मोहम्मद साहब की परम्परा के अनुरूप है। इस्लामी सूत्रों के मुताबिक पैगम्बर मोहम्मद ने अपने जीवन में भी अल्लाह से अच्छी बारिश की दुआ करते हुए यह विशेष प्रार्थना की थी। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए जब किसी इलाके में बारिश नहीं होती है, तब विश्व भर में फ़ैले इस्लाम के अनुयायी यह विशेष नमाज़ पढ़ते हैं, उनकी मान्यता है कि अल्लाह उनकी बात सुनता है और इस प्रार्थना के पश्चात अच्छी बारिश होती है।
पिछले कुछ वर्षों से मालेगाँव (महाराष्ट्र) मे लगातार अच्छी बारिश के लिये दुआओं और प्रार्थनाओं का दौर जारी था। यह प्रक्रिया इतनी आम हो चली थी, कि गैर-मुस्लिम भी इन विशेष प्रार्थनाओं में हिस्सा लेने लगे थे। स्थानीय जमीयतुल उलेमा सचिव मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी ने चर्चा में बताया कि 7 जून के बाद लगातार 2 माह तक पानी न गिरने और भीषण सूखे की आशंका के चलते इस विशेष नमाज़-ए-इस्तेस्का का आयोजन किया गया, और इस पहल को मालेगाँव के सभी धर्मों के लोगों का उत्साहजनक समर्थन मिला। हजारों लोगों ने लगातार दो दिनों तक मालेगाँव के बाहरी इलाके में स्थित ईदगाह मैदान में इस विशेष नमाज़ को अता किया। इसके बाद उसी दिन शाम को जो भारी बारिश आरम्भ हुई वह अगले दिन की शाम तक जारी थी।
मौलाना ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हालांकि मालेगाँव की औसत वर्षा तो अभी नहीं हुई है, लेकिन मानसून के दो माह बीतने के बाद इस बारिश ने मालेगाँव और आसपास के इलाकों में आशा की नई किरण जगाई है। पहले यह तय किया गया था कि यह नमाज़ लगातार तीन दिन अता की जायेगी, लेकिन भारी बारिश हो जाने के बाद तीसरे दिन की नमाज़ रद्द कर दी गई, और इसकी बजाय उत्साहित लोगों को सम्बोधित करते हुए मुफ़्ती इस्माईल ने विभिन्न मस्जिदों में अल्लाह और पैगम्बर मोहम्मद के प्रति इस बारिश हेतु शुक्रिया अदा करने का निर्देश दिया।
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