विकल्प फाउंडेशन एक गैर सरकारी समाजसेवी संस्था है जो विगत 10 वर्षो से पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य करती है। विकल्प फाउंडेशन एवं श्री बांके बिहारी ग्रुप ऑफ इन्स्टीटयूटशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में जल संरक्षण पर सेमिनार का आयोजन इन्स्टीटयूट के सेमिनार हॉल में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप मे अरूण तिवारी जी संयोजक गंगा जल बिरादरी ने व्यक्तव्य में कहा कि नदियां धरती की रक्त शिरायें हैं। इन नदियों को नाला न बनने दें। नदियां पवित्र बनी रहे इसलिए जल प्रदूषण को रोकना होगा और नदियों की अविरलता और पवित्रता को बनाये रखना होगा। उन्होंने कहा कि पानी बहता रहता है तो निर्मल रहता है रूक जाता है जो सड़ जाता है। सिल्ट जमा हो जाने से नदियों का जल स्तर उठ जाता है। और बाढ़ की समस्या बढ़ जाती है। हमें इन्हें रोकने हेतु सार्थक प्रयास करने होंगे।
हमारी धरती पत्रिका के सम्पादक सुबोध नन्दन शर्मा जी ने जल संरक्षण और पौधा रोपण के माध्यम से वर्षों जल संरक्षण को बढ़ाने की आवश्यकता बताई। आसित कौशिक जी ने कहा कि सूरज सबसे ज्यादा पानी भारत के दक्षिण क्षेत्र से सोखता है और वर्षा के माध्यम से उत्तरी भारत में जल को छोड़ता है। हमें दक्षिण क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए जिससे सूरज की किरणों के द्वारा जल के अवशोषण को रोका जा सके।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 अश्वनी शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में राजस्थान के चुरू का उदाहरण देकर बताया कि वहां आज भी ऐसी स्थिति है कि लोग मिट्टी के नीचे पॉलीथीन या अन्य माध्यम से सतह बनाकर मिटटी द्वारा सोखी गई ओस की बूदों का संरक्षण करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ और आस-पास के क्षेत्रों में इंडस्ट्री और सीवेज का गैर शोधित और प्रदूषित जल सीधे नदियों और जमीन के नीचे छोड़े जाने के कारण बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ गयी है। जिस कारण क्षेत्र में प्रदूषित जल जनित बिमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है।
कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट निशा तायल जी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मास्टर ऑफ सोशल वर्क के छात्र छात्राओं का विशेष योगदान रहा। संस्था के महासचिव अमित मोहन ने कार्यक्रम में शामिल मीडिया, अतिथिगण और कॉलेज प्रशासन का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्व श्री योगेश्वर सैनी, श्यामसुन्दर, राजपुरोहित, रूचिरा सिंह, अंकुर, सुभाष, संजीव कुमार भारत उदय, मनीषा पाल, लाल सिंह, सुरेन्द्र, गुरूदास, प्रशान्त तायल, नरेन्द्र शर्मा, प्रंशसा आदि का सहयोग रहा।
हमारी धरती पत्रिका के सम्पादक सुबोध नन्दन शर्मा जी ने जल संरक्षण और पौधा रोपण के माध्यम से वर्षों जल संरक्षण को बढ़ाने की आवश्यकता बताई। आसित कौशिक जी ने कहा कि सूरज सबसे ज्यादा पानी भारत के दक्षिण क्षेत्र से सोखता है और वर्षा के माध्यम से उत्तरी भारत में जल को छोड़ता है। हमें दक्षिण क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए जिससे सूरज की किरणों के द्वारा जल के अवशोषण को रोका जा सके।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 अश्वनी शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में राजस्थान के चुरू का उदाहरण देकर बताया कि वहां आज भी ऐसी स्थिति है कि लोग मिट्टी के नीचे पॉलीथीन या अन्य माध्यम से सतह बनाकर मिटटी द्वारा सोखी गई ओस की बूदों का संरक्षण करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ और आस-पास के क्षेत्रों में इंडस्ट्री और सीवेज का गैर शोधित और प्रदूषित जल सीधे नदियों और जमीन के नीचे छोड़े जाने के कारण बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ गयी है। जिस कारण क्षेत्र में प्रदूषित जल जनित बिमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है।
कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट निशा तायल जी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मास्टर ऑफ सोशल वर्क के छात्र छात्राओं का विशेष योगदान रहा। संस्था के महासचिव अमित मोहन ने कार्यक्रम में शामिल मीडिया, अतिथिगण और कॉलेज प्रशासन का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्व श्री योगेश्वर सैनी, श्यामसुन्दर, राजपुरोहित, रूचिरा सिंह, अंकुर, सुभाष, संजीव कुमार भारत उदय, मनीषा पाल, लाल सिंह, सुरेन्द्र, गुरूदास, प्रशान्त तायल, नरेन्द्र शर्मा, प्रंशसा आदि का सहयोग रहा।
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