जो व्यक्ति विशेष रूप से जो इंजीनियरी की पृष्ठ भूमि रखते हैं, भविष्य में एम.बी.ए. पाठ्यक्रम करना चाहते हैं, एम.बी.ए. - विद्युत प्रबंधन विषय चुन सकते हैं। आने वाले वर्षों में यह पाठ्यक्रम करियर का अत्यधिक आकर्षक विकल्प बनेगा।
विद्युत, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक सबसे महत्वपूर्ण घटक है। भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास अधिकांशतः विद्युत क्षेत्र के कार्य-निष्पादन एवं विकास पर निर्भर करता है। जैसा कि अनुमान लगाया गया है, वर्तमान आर्थिक विकास को अगले 25 वर्षों में बनाए रखने के लिए भारत को विद्युत उत्पादन में वर्तमान 1.6 लाख मेगा वाट से वृद्धि करके 8 लाख मेगा वाट करने की आवश्यकता है। सुधारोत्तर युग में, भारतीय विद्युत क्षेत्र ने पूर्व राज्य विद्युत बोर्डों (एस.ई.बी.) की पुनर्संरचना रचना के संबंध में आमूल परिवर्तन देखे हैं। आज सरकारी कंपनियों के साथ-साथ अनेक निजी संस्थाओं ने भारतीय विद्युत क्षेत्र में, विशेष रूप से उत्पादन एवं वितरण क्षेत्र का एक बहुत बड़ा भाग अपने हाथ में ले लिया है और आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में कई निजी संस्थाएं देखने को मिलेंगी।तीव्रता से विस्तारशील विद्युत क्षेत्र इंजीनियरी, वाणिज्य, वित्त, लेखा, मानव संसाधन, विधि एवं संभार तंत्र आदि जैसे विषयों की वैविध्यपूर्ण पृष्ठभूमि रखने वाले योग्य, प्रतिभावान, सक्षम एवं युवा स्नातकों तथा स्नातकोत्तरों को व्यापक अवसर देता है। चूंकि विद्युत क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है और इसमें कई कार्यकलाप शामिल हैं, इसलिए इस क्षेत्र में उपलब्ध करियर के सभी अवसरों को इस एक लेख में समाहित करना कठिन प्रतीत होता है। इस लेख को, केवल विद्युत प्रबंधन में स्नातकों तथा स्नातकोत्तरों (एम.बी.ए. - विद्युत स्नातकों) के लिए उपलब्ध रोजगार के अवसरों पर विचार-विमर्श करने तक ही सीमित रखा गया है, क्योंकि विद्युत क्षेत्र के विस्तार की सीमा, विविधता तथा जटिलताएं विद्युत प्रबंधकों के लिए विद्युत के व्यापक कार्यकलापों के दक्षतापूर्ण एवं प्रभावी रूप में प्रबंधन की चुनौतियां खड़ी करता है।
एम.बी.ए. - विद्युत स्नातकों के लिए रोजगार के अवसर
1990 के दशक के मध्य में अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ ही भारत में एम.बी.ए. डिग्री बहुत लोकप्रिय हुई है, किंतु विद्युत प्रबंधन में एम.बी.ए., तुलनात्मक रूप से एक नया पाठ्यक्रम है। विद्युत प्रबंधन में डिग्रीधारी व्यक्तियों के लिए निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। सार्वभौमिकरण एवं उदारीकरण के इस युग में, तीव्र गति से पनप रहे भारतीय विद्युत क्षेत्र की बढ़ रही जटिलताओं से निपटने के लिए और अधिक विद्युत प्रबंधकों की आवश्यकता के बढ़ने की संभावना है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें एम.बी.ए. विद्युत स्नातकों की अत्यधिक आवश्यकता होती है, जैसे-विद्युत संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण प्रभाव निर्धारण, विद्युत ऑडिटिंग, विद्युत कुशल प्रणालियां/प्रौद्योगिकी, विद्युत उत्पादन, संचरण, वितरण, विद्युत क्षेत्र विधियां, विद्युत नीतियां, विद्युत सुरक्षा, विद्युत मूल्य-निर्धारण, विद्युत अर्थशास्त्र, विद्युत टैरिफ तथा विद्युत ट्रेडिंग आदि।
सार्वजनिक क्षेत्र में अवसर:
नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, दामोदर वैली कॉर्पोरेशन पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन, ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसे कई सरकारी संगठन, विभिन्न राज्य स्तरीय विद्युत उत्पादन कंपनियां तथा विद्युत वितरक एम.बी.ए. विद्युत स्नातकों को रोजगार के पर्याप्त अवसर दे रहे हैं। ये कंपनियां अपनी रिक्तियां अग्रणी समाचार पत्रों/स्थानीय समाचारपत्रों में विज्ञापित करती हैं और अपनी वेबसाइट पर देती हैं। ये कंपनियां सामान्यतः स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर 60: या इससे अधिक अंक मांगती हैं। इनकी पात्रता शर्तें पूरी करने वाला व्यक्ति शुल्क राशि जमा कराने के बाद पद के लिए आवेदन कर सकता है। उनकी भर्ती-प्रक्रिया में मुख्यतः तीन चरण लिखित परीक्षा, सामूहिक विचार-विमर्श और व्यक्तिगत साक्षात्कार शामिल होते हैं। कभी-कभी एक तकनीकी साक्षात्कार भी लिया जाता है, अंतिम चयन उम्मीदवार के सम्पूर्ण कार्य-निष्पादन पर निर्भर होता है। अजा/अजजा/अपिव/भूतपर्व सैनिकों/ शारीरिक विकलांग व्यक्तियों को आरक्षण सरकारी नियमानुसार दिया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपनियां कैम्पस साक्षात्कार के माध्यम से कुछ विशिष्ट बी-स्कूलों से उम्मीदवारों को लेती हैं। चयनित उम्मीदवारों को प्रारंभ में एक अथवा दो वर्षों के लिए परिवीक्षा पर कार्य करना होता है और परिवीक्षा अवधि के सफल समापन पर उन्हें नियमित वेतनमान में समाहित कर लिया जाता है।
निजी क्षेत्र में अवसर:
भारतीय विद्युत क्षेत्र में निजी क्षेत्र की एक अहम भूमिका है। जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है। कई ऐसे बड़े नाम हैं जो इस क्षेत्र में अपनी सुदृढ़ उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं। इस समय, निजी क्षेत्र की, राष्ट्र की कुल स्थापित क्षमता में, प्रतिशतता 19% है और अगले 6 से 7 वर्षों में इसमें लगभग 5 गुना वृद्धि होने की आशा है। इसके अतिरिक्त, विद्युत उत्पादन के अलावा, निजी क्षेत्र अब विद्युत संयंत्र तथा अन्य सुविधाएं स्थापित करने के लिए सरकार को और तकनीकी सहायता भी दे रहे हैं, अति वृहद् विद्युत परियोजनाओं का वित्त पोषण कर रहे हैं, स्वच्छ उर्जा विकास व्यवस्था विकसित कर रहे हैं; विद्युत आपूर्ति कर रहे हैं और ऊर्जा संसाधन प्रबंधन आदि कार्य कर रहे हैं। इस तरह तीव्र गति से विकासशील निजी क्षेत्र में एम.बी.ए. - विद्युत स्नातकों के लिए रोजगार की व्यापक संभावनाएं विद्यमान हैं। जहां तक उनके चयन मानदंड का संबंध है, यह मानदंड हर कंपनी में भिन्न-भिन्न है। तथापि, इनमें से अधिकांश कंपनियां पात्र उम्मीदवारों को व्यक्तिगत साक्षात्कार के आधार पर लेती हैं। निजी कंपनियां भी कैम्पस चयन के लिए उच्च ख्यातिप्राप्त बी-स्कूलों से सम्पर्क करती हैं।
विद्युत परामर्श कार्य
एम.बी.ए. -विद्युत स्नातक, पर्याप्त अनुभव एवं विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद एक स्वतंत्र विद्युत परामर्शदाता के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। विद्युत परामर्शदाता विद्युत उत्पादकों तथा वितरकों को विद्युत संयंत्र लगाने, संयंत्र की दक्षता, अधिकतम संसाधन मिश्रण, विद्युत की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता, पर्यावरण पर प्रभाव, खतरनाक गैस उत्सर्जन कम करने, संचरण एवं वितरण क्षति को कम करने, विद्युत ऑडिटिंग, सरकारी मानदंडों का अनुपालन एवं प्रयोक्ताओं को विद्युत की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने जैसे विभिन्न मामलों पर सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त, कई ऐसे अन्य कार्य तथा परिचालन क्षेत्र हैं, जिन पर वे विशेषज्ञ परामर्श दे सकते हैं। वे वाणिज्यिक एवं औद्योगिक संस्थापनाओं को भी अपनी सेवाएं देते हैं।
चूंकि एक विद्युत परामर्शदाता को विद्युत क्षेत्र के विविध प्रकार के जटिल, तकनीकी एवं महत्वपूर्ण मामलों का मूल्यांकन करना होता है, इसलिए एक परामर्शदाता के रूप में कार्य प्रारंभ करने से पहले उसे पर्याप्त अनुभव, कौशल एवं ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक होता है। जन्मजात नवोद्यम कुशाग्रताधारी विद्युत प्रबंधन स्नातक के लिए यह क्षेत्र एक आकर्षक करियर विकल्प हो सकता है।
अध्यापन
अच्छा शैक्षिक रिकॅार्ड, विशेष रूप से पीएच.डी. डिग्री या उच्च स्तर का प्रकाशित कार्य रखने वाले एम.बी.ए. विद्युत स्नातक, छात्रों को विद्युत प्रबंधन पाठ्यक्रम कराने वाले किसी भी विश्वविद्यालय/संस्थान में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। निजी विश्वविद्यालयों के बड़ी संख्या में खुलने के कारण और चूंकि ये विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों की प्रतिष्ठा एवं कुशाग्रता के कारण उन्हें वरीयता देते हैं इसलिए उनके लिए अतिथि संकाय के रूप में व्यापक अवसर होते हैं। यू.जी.सी-नेट परीक्षा में निर्धारित उत्तीर्णता अंक अध्यापन व्यवसाय के लिए एक वांछनीय योग्यता होती है।
वेतन
वेतन, किसी एम.बी.ए. -विद्युत स्नातक द्वारा चुने जाने वाले क्षेत्र पर निर्भर होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी विभाग या सार्वजनिक क्षेत्र में अथवा किसी विश्वविद्यालय या किसी ऐसे अन्य संगठन में कार्य करने को वरीयता देता है जहां सरकारी नियम लागू होते हैं तो वह सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित वेतनमान के अनुसार परिलब्धियां प्राप्त करने का हकदार होता है। उसका वेतन पदनाम एवं कार्य-प्रकृति पर निर्भर होता है। निजी क्षेत्र, राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों में युवा एम.बी.ए. विद्युत स्नातकों को कंपनी की ख्याति के आधार पर अच्छे वार्षिक पैकेज पर रखा जाता है। तथापि, विद्युत परामर्शदाता के रूप में कार्य प्रारंभ करने वाले व्यक्तियों को प्रारंभिक चरण पर संघर्ष करना पड़ सकता है, किंतु उनका ज्ञान एवं निरंतर प्रयास अंत में उन्हें सफलता दिलाने में सहायक होते हैं। एक सुस्थापित परामर्शदाता के लिए वेतन की कोई सीमा नहीं होती।पाठ्यक्रम विवरण एवं पात्रता मानदण्ड
एम.बी.ए.- विद्युत प्रंबधन पाठ्यक्रम छात्रों में व्यवसाय कुशाग्रता का विकास करने और उन्हें विद्युत क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन के लिए अपेक्षित संकल्पना, सिद्धांतों के ज्ञान एवं प्रबंधकीय कौशल से सम्पन्न करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। इसका लक्ष्य कुशल व्यवसाय पथ प्रदर्शक (लीडर) तथा विद्युत क्षेत्र को प्रभावी रूप में तथा कुशलतापूर्वक चलाने में सक्षम निर्णयकर्ताओं का विकास करना है।
कोई भी व्यक्ति इंजीनियरी की किसी भी शाखा में स्नातक होने के बाद विद्युत प्रबंधन में दो वर्षीय एम.बी.ए. पाठ्यक्रम कर सकता है या बी.ई., एम.बी.ए. डिग्री प्राप्त करने के लिए बारहवीं कक्षा परीक्षा के बाद पांच वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम कर सकता है। तथापि, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय जैसे कुछ विश्वविद्यालय केवल भौतिकी, रसायन विज्ञान एवं गणित मुख्य विषयों के रूप में लेकर स्नातक योग्यता ही मांगते हैं। अधिकांश विश्वविद्यालय/संस्थान स्नातक स्तर पर न्यूनतम प्रथम श्रेणी मांगते हैं। उम्मीदवार कैट या मैट परीक्षा में भी बैठे हों। कुछ विश्वविद्यालय अपनी निजी लिखित परीक्षा लेते हैं, किंतु कैट या मैट में न्यूनतम निर्धारित अंक प्राप्त छात्रों को उनकी परीक्षाओं में बैठने से छूट दी जाती है। उन्हें केवल सामूहिक विचार विमर्श एवं व्यक्तिगत साक्षात्कार में बैठना होता है। अंतिम चयन मास्टर मैरिट सूची के आधार पर किया जाता है। एम.बी.ए. विद्युत प्रबंधन कार्यक्रम में, प्रथम वर्ष के समापन के बाद किसी विद्युत या संबंधित कंपनी में लगभग आठ सप्ताह की ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण परियोजना अनिवार्य रूप से शामिल होती है। पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए यह एक अनिवार्य आवश्यकता होती है। एम.बी.ए. विद्युत प्रबंधन डिग्री के अतिरिक्त, कई विश्वविद्यालय विद्युत प्रबंधन में अन्य बी.बी.ए. डिग्री भी कराते हैं जो स्नातक स्तर का पाठ्यक्रम होता है। एम.बी.ए. विद्युत प्रबंधन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद अनुसंधान करने के इच्छुक पीएच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश ले सकते हैं।
विद्युत क्षेत्र से जुड़े कार्य
कोई भी एम.बी.ए.- विद्युत स्नातक निम्नलिखित किसी कार्य में अपना करियर बना सकता है:
1. विद्युत संसाधन प्रबंधन
2. विद्युत उत्पादन संचरण एवं वितरण
3. कार्बन फाइनेंसिंग मार्केट
4. विद्युत ट्रेडिंग
5. विद्युत परियोजना नियोजन एवं वित्तपोषण
6. स्वच्छ ऊर्जा विकास व्यवस्था
7. विद्युत क्षेत्र विधि एवं विनियम
8. विद्युत मांग एवं आपूर्ति तथा नीति पहलू अर्थशास्त्र
9. विद्युत नियोजन।
एम.बी.ए.-विद्युत प्रबंधन पाठ्यक्रम चलाने वाले विश्वविद्यालय/संस्थान
एम.बी.ए. - विद्युत प्रबंधन अन्य प्रबंधन पाठ्यक्रमों की तुलना में भारत में नया पाठ्यक्रम है, इसलिए इस पाठ्यक्रम को केवल कुछ विश्वविद्यालय ही चला रहे हैं। तथापि विद्युत क्षेत्र के तीव्र गति से उभरने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए कई वर्तमान एवं खुल रहे नए विश्वविद्यालयों/ संस्थानों में यह पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है।
उक्त विश्वविद्यालय/संस्थान विद्युत प्रबंधन में एम.बी.ए. प्रदान कर रहे हैं। इनके अतिरिक्त कई संस्थाएं/आई.आई.टी. जैसे आई.आई.टी. दिल्ली, आई.आई.टी. मुंबई एवं आई.आई.टी. खड़गपुर आदि विद्युत इंजीनियरी में एम.टेक डिग्री चला रहे हैं। विद्युत इंजीनियरी में एम.टेक. डिग्रीधारी व्यक्तियों को भी विद्युत क्षेत्र की सभी कंपनियों में प्रबंधकीय संवर्ग में रोजगार दिया जाता है। पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर तथा यू.पी.ई.एस., देहरादून जैसे कई अन्य विश्वविद्यालय या तो ऊर्जा प्रबंधन में या तेल एवं गैस प्रबंधन में एम.बी.ए. डिग्री चलाते हैं। यह डिग्री भी समान रूप में महत्वपूर्ण है।
जो व्यक्ति विशेष रूप से जो इंजीनियरी की पृष्ठ भूमि रखते हैं, भविष्य में एम.बी.ए. पाठ्यक्रम करना चाहते हैं, एम.बी.ए. - विद्युत प्रबंधन विषय चुन सकते हैं। आने वाले वर्षों में यह पाठ्यक्रम करियर का अत्यधिक आकर्षक विकल्प बनेगा। यह पाठ्यक्रम उन्हें भारतीय विद्युत क्षेत्र में उपलब्ध शानदार रोजगार अवसर दिलाने में उनकी सहायता करेगा।
• टिप्पणी: पात्रता मानदण्डों पर केवल व्यापक गाइड लाइन्स के रूप में विचार-विमर्श किया गया है। सभी इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि विवरण तथा सही सूचना के लिए संबंधित विश्वविद्यालय/ संस्थान की वेबसाइट या विवरण पुस्तिका देखें।
(लेखक प्रबंध संकाय, महर्षि मारकण्डेश्वर विश्वविद्यालय, अंबाला, हरियाणा में एसोशिएट प्रोफेसर हैं। ई-मेलःsharma_hemant1@rediffmail.com)
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