वायु प्रदूषण से हो रहा हार्ट अटैक व स्ट्रोक

वायु प्रदूषण से हो रहा हार्ट अटैक व स्ट्रोक
वायु प्रदूषण से हो रहा हार्ट अटैक व स्ट्रोक

वायु पृथ्वी पर मानव और जीव-जतुओं सहित पक्षियों तथा वनस्पतियों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। स्पष्ट रूप से कहें तो ‘‘प्राण’’ ही वायु है। जैसे जल को ‘जीवन’ कहा गया है, उसी प्रकार वायु के बिना भी जीवन संभव नहीं है और वायु के अशुद्ध होने का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है, लेकिन वाहनों, एयर कडिंशनरों, उद्यगों आदि का अधिक संख्या में बढ़ने से अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन आदि जहरीली गैसों के उत्सर्जन के कारण वायु लगातार अशुद्ध (प्रदूषित) हो रही है। बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां जन्म ले रही हैं और दुनिया की करीब 91 प्रतिशत आबादी वायु प्रदूषण की जद में आ चुकी है। यानी केवल 9 फीसदी आबादी को ही शुद्ध हवा (Pure Air)  उपलब्ध हो पाती है। किंतु मानवीय गतिविधियों में सकारात्मक बदलाव न आने से ये शुद्धता कब तब संभव रहेगी ?

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 (State Of Global Air 2019) की रिपोर्ट पर नजर डालें तो वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2017 से अभी तब करीब 50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कारण दक्षिण एशियाई देशों में बच्चों की औसत आयु में 2.5 साल की कमी आ गई है, जबकि वैश्वि स्तर पर बच्चों की आयु 20 महीने तक कम हो गई है। वर्ष 2017 में तो वायु प्रदूषण से केवल भारत में ही 12 लाख लोगों की मौत हुई थी, जिसमे अधिकांश लोगों की मौत प्रदूषित वायु के कारण हुए स्ट्रोक, शुगर, हार्ट अटैक, फेंफड़ों का कैंसर आदि के कारण हुई थी। किंतु वायु प्रदूषण अब और घातक होता जा रहा है। जिसकी पुष्टि हाल ही में हुए एक शोध में हुई है।

पर्सनलाइजिंग द हेल्थ इंपैक्ट ऑफ एयर पल्यूशन, युनाइटेड किंगडम के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। जिसमें नौ शहरों के प्रतिदिन के वायु प्रदूषण के आंकड़ों को एक़ित्रत कर प्रदूषण और कम प्रदूषण वाले दिनों में विभाजित किया गया। साथ ही हर शहर में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के आंकड़ों को भी देखा गया। अध्ययन में ये बात सामने आई कि ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में 124 लोगों का हार्ट अटैक (Heart Attack) और 231 से अधिक लोगों का स्ट्रोक (Stroke) का इलाज किया गया, लेकिन कम प्रदूषण वाले दिनों में मरीजों की संख्या काफी कम थी। एक अनुमान के अनुसार ब्रिटेन (Britain) में हर साल करीब 36000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वायु प्रदूषण से विकसित देश (Developed countries) भी अछूते नहीं हैं, लेकिन गौर करने वाली ये है कि वायु प्रदूषण (Air Pollution) को कम करने के लिए सरकारी तंत्र द्वारा कोई मजबूत कदम उठते नहीं दिख रहे हैं। हां, वैश्विक मंचों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर भाषण देकर लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया जाता है। किंतु हमारे नीति निर्माताओं (Policy Makers) को समझना होगा कि किसी भी कार्य से ज्यादा जरूरी पर्यावरण को बचाना है, क्योंकि वायु शुद्ध होगी तो पर्यावरण शुद्ध रहेगा और इंसान भी बचे रहेंगे। अन्यथा विश्वभर में आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यदि ऐसा होता है तो करोड़ों लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन होगा ?

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Post By: Shivendra
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