वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (Air (Pollution Prevention and Control) Act, 1981)

(1981 का अधिनियम संख्यांक 14)


{29 मार्च, 1981}


वायु प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण और उपशमन के लिये और पूर्वोक्त प्रयोजनों को क्रियान्वित करने की दृष्टि से बोर्डों की स्थापना के लिये, उनसे सम्बन्धित शक्तियाँ और कृत्य ऐसे बोर्डों को, प्रदत्त और समनुदेशित करने के लिये और उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

जून, 1972 में स्टाकहोम में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन में, जिसमें भारत ने भी भाग लिया था, यह विनिश्चय किया गया कि पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने के लिये, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ वायु की क्वालिटी बनाए रखना और उसके प्रदूषण पर नियंत्रण रखना सम्मिलित है, समुचित कदम उठाए जाएँ;

यह आवश्यक समझा गया कि उक्त विनिश्चयों को, जहाँ तक कि उनका सम्बन्ध वायु की क्वालिटी बनाए रखने और उसके प्रदूषण पर नियंत्रण रखने से है; कार्यान्वित किया जाये;

अतः भारत गणराज्य के बत्तीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: -

अध्याय 1


प्रारम्भिक


1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “वायु प्रदूषक” से वायुमण्डल में ऐसी सान्द्रता में विद्यमान कोई ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ 1{(जिसके अन्तर्गत शोर भी है)} अभिप्रेत है जो मानव, अन्य जीवित प्राणी या वनस्पति या सम्पत्ति या पर्यावरण के लिये क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना सम्भाव्य है;
(ख) “वायु प्रदूषण” से वायुमण्डल में किसी वायु प्रदूषक का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(ग) “अनुमोदित साधित्र” से ऐसा कोई उपस्कर या गजट अभिप्रेत है जो किसी ज्वलनशील सामग्री को जलाने के लिये या किसी धुएँ, गैस या किसी कणाकार पदार्थ को उत्पन्न करने या उसका उपयोग करने के लिये प्रयुक्त होता है और राज्य बोर्ड द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये अनुमोदित है;
(घ) “अनुमोदित ईंधन” से ऐसा कोई ईंधन अभिप्रेत है जो राज्य बोर्ड द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये अनुमोदित है;
(ङ) “आटोमोबाइल” से ऐसा कोई यान अभिप्रेत है जिसे चलाने के लिये अन्तर्दहन इंजन द्वारा या शक्ति जनन की किसी रीति से ईंधन जलाकर, शक्ति प्राप्त होती है;
(च) “बोर्ड” से केन्द्रीय बोर्ड या कोई राज्य बोर्ड अभिप्रेत है;
(छ) “केन्द्रीय बोर्ड” से जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 3 के अधीन 2{गठित केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अभिप्रेत है;}
(ज) “चिमनी” के अन्तर्गत द्वार या निकास वाली ऐसी कोई संरचना भी है जिससे होकर या जिससे किसी वायु प्रदूषक का उत्सर्जन हो सकता है;

(झ) “नियंत्रण उपस्कर” से किसी वायु प्रदूषक की क्वालिटी और उसके उत्सर्जन की रीति को नियंत्रित करने के लिये कोई साधित्र, युक्ति, उपस्कर, या पद्धति अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत कोई ऐसी युक्ति भी है जो किसी औद्योगिक संयंत्र के दक्ष प्रचालन को सुनिश्चित करने के लिये प्रयोग में लाई जाती है;
(ञ) “उत्सर्जन” से किसी चिमनी, वाहिनी या धूमनाल या किसी अन्य निकास से आने वाला कोई ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है;
(ट) “औद्योगिक संयंत्र” से ऐसा कोई संयंत्र अभिप्रेत है जो किसी उद्योग या व्यापार के प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त होता है और वायुमण्डल में कोई प्रदूषक उत्सर्जित करता है;
(ठ) “सदस्य” से, यथास्थिति, केन्द्रीय बोर्ड या किसी राज्य बोर्ड का सदस्य अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत इसका अध्यक्ष भी है;
1{(ड) किसी कारखाने या परिसर के सम्बन्ध में, “अधिष्ठाता” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका उस कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और इसके अन्तर्गत किसी पदार्थ के सम्बन्ध में, वह व्यक्ति भी है जिसके कब्जे में वह पदार्थ है;}
(ढ) “विहित” से, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(ण) “राज्य बोर्ड” से अभिप्रेत है,-

(i) ऐसे किसी राज्य के सम्बन्ध में, जिसमें जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) प्रवर्तन में है और राज्य सरकार ने 1{उस अधिनियम की धारा 4 के अधीन उस राज्य के लिये कोई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गठित किया है} ऐसा राज्य बोर्ड; और
(ii) किसी अन्य राज्य के सम्बन्ध में, ऐसा राज्य बोर्ड जो वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण के लिये इस अधिनियम की धारा 5 के अधीन राज्य सरकार द्वारा गठित किया जाता है।

अध्याय 2


केन्द्रीय तथा राज्य वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण बोर्ड


2{3. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 3 के अधीन गठित केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और कृत्यों के पालन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इस अधिनियम के अधीन वायु प्रदूषण के निवारण और नियंत्रण के लिये केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन करेगा।

4. 1974 के अधिनियम 6 की धारा 4 के अधीन गठित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का इस अधिनियम के अधीन राज्य बोर्ड होना


ऐसे किसी राज्य में, जिसमें जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) प्रवर्तन में है और उस अधिनियम की धारा 4 के अधीन राज्य सरकार ने उस राज्य के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया है, ऐसा राज्य बोर्ड, इस अधिनियम की धारा 5 के अधीन गठित राज्य वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण बोर्ड समझा जाएगा और तदनुसार, वह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और कृत्यों के पालन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस अधिनियम के अधीन वायु प्रदूषण के निवारण और नियंत्रण के लिये राज्य बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन करेगा।}

5. राज्य बोर्डों का गठन


(1) ऐसे किसी राज्य में, जिसमें जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) प्रवर्तन में नहीं है, या उक्त अधिनियम प्रवर्तन में तो है किन्तु राज्य सरकार ने 3{उक्त अधिनियम के अधीन किसी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड} का गठन नहीं किया है, तो राज्य सरकार ऐसी किसी तारीख से जो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे, वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण के लिये एक राज्य बोर्ड का गठन करेगी जिसका नाम वह होगा जो उक्त अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाये और वह इस अधिनियम के अधीन उस बोर्ड को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग और समनुदिष्ट कृत्यों का पालन करेगा।

(2) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य होंगे, अर्थात:-

(क) एक अध्यक्ष, जिसे पर्यावरण के संरक्षण से सम्बन्धित विषयों की बाबत विशेष जानकारी या व्यावहारिक अनुभव हो और जिसे राज्य सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किया जाएगा :

परन्तु अध्यक्ष पूर्णकालिक या अंशकालिक, जैसा राज्य सरकार ठीक समझे, हो सकेगा;

(ख) पाँच से अनधिक ऐसी संख्या में, जो राज्य सरकार ठीक समझे, पदधारी, जो राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिये उस सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किये जाएँगे;
(ग) पाँच से अनधिक ऐसी संख्या में, जो राज्य सरकार ठीक समझे, व्यक्ति जो राज्य के भीतर कार्य करने वाले स्थानीय प्राधिकरणों के सदस्यों में से उस राज्य सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किये जाएँगे;
(घ) तीन से अनधिक ऐसी संख्या में, जो राज्य सरकार ठीक समझे, अशासकीय व्यक्ति, जो कृषि, मीन उद्योग, अथवा उद्योग या व्यापार या श्रम या किसी अन्य हित का, जिनका उस राज्य सरकार की राय में प्रतिनिधित्व होना चाहिए, प्रतिनिधित्व करने के लिये राज्य सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किये जाएँगे;
(ङ) दो व्यक्ति, जो राज्य सरकार के स्वामित्व, नियंत्रण या प्रबन्ध के अधीन कम्पनियों या निगमों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा जो उस सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किये जाएँगे;
1{(च) एक पूर्णकालिक सदस्य-सचिव, जिसके पास प्रदूषण नियंत्रण के वैज्ञानिक, इंजीनियरी या प्रबन्ध सम्बन्धी पहलुओं की ऐसी अर्हताएँ, ज्ञान और अनुभव है जो विहित किया जाये और जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी:}

परन्तु राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कम-से-कम दो सदस्य ऐसे व्यक्ति हों जिन्हें वायु की क्वालिटी के सुधार या वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन से सम्बन्धित विषयों के बारे में विशेष जानकारी या व्यावहारिक अनुभव है।

(3) इस अधिनियम के अधीन गठित प्रत्येक राज्य बोर्ड, राज्य सरकार द्वारा उपधारा (1) के अधीन अधिसूचना में विनिर्दिष्ट नाम वाला तथा शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मुद्रा वाला एक निगमित निकाय होगा, जिसे इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए सम्पत्ति के अर्जन और व्ययन करने की तथा संविदा करने की शक्ति होगी और उक्त नाम से वह वाद लाएगा या उस पर वाद लाया जाएगा।

6. संघ राज्यक्षेत्र में केन्द्रीय बोर्ड द्वारा किसी राज्य बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन किया जाना


संघ राज्यक्षेत्र के लिये कोई राज्य बोर्ड गठित नहीं किया जाएगा और किसी संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में केन्द्रीय बोर्ड उस संघ राज्यक्षेत्र के लिये इस अधिनियम के अधीन राज्य बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन करेगा:

परन्तु किसी संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में केन्द्रीय बोर्ड अपनी ऐसी सभी या किन्हीं शक्तियों और कृत्यों को इस धारा के अधीन ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को प्रत्यायोजित कर सकेगा, जिसे केन्द्रीय सरकार विनिर्दिष्ट करे।

7. सदस्यों की सेवा के निबन्धन और शर्तें


(1) इस अधिनियम में या उसके अधीन जैसा उपबन्धित है उसके सिवाय इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के सदस्य-सचिव से भिन्न कोई सदस्य उस तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिये पद धारण करेगा जिससे उसका नाम-निर्देशन राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है:

परन्तु कोई सदस्य अपनी पदावधि का अवसान हो जाने पर भी तब तक पद धारण किये रहेगा जब तक कि उसका उत्तरवर्ती अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

(2) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के सदस्य और धारा 5 की उपधारा (2) के खण्ड (ख) या खण्ड (ङ) के अधीन नाम-निर्दिष्ट सदस्य की पदावधि उसी समय समाप्त हो जाएगी जब वह राज्य सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व, नियंत्रण या प्रबन्ध के अधीन, यथास्थिति, किसी ऐसी कम्पनी या निगम के, जिसके आधार पर उसे नाम-निर्दिष्ट किया गया था, अधीन किसी पद पर नहीं रह जाता।

(3) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के सदस्य-सचिव से भिन्न कोई सदस्य-

(क) अध्यक्ष की दशा में, राज्य सरकार को, तथा
(ख) किसी अन्य दशा में राज्य बोर्ड के अध्यक्ष को,
सम्बोधित स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा किसी भी समय अपना पद त्याग सकेगा और तब अध्यक्ष का या ऐसे किसी अन्य सदस्य का स्थान रिक्त हो जाएगा।

(4) यदि इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के सदस्य-सचिव से भिन्न कोई सदस्य, बोर्ड की राय में, पर्याप्त कारण के बिना बोर्ड के तीन क्रमवर्ती अधिवेशनों में अनुपस्थित रहता है या जहाँ वह धारा 5 की उपधारा (2) के खण्ड (ग) के अधीन नाम-निर्देशित किया गया है वहाँ यदि वह राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं रह जाता है, तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अपना स्थान रिक्त कर दिया है और दोनों में से किसी दशा में ऐसी रिक्ति ऐसी तारीख से प्रभावी होगी जो राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे।

(5) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड में कोई आकस्मिक रिक्ति नए नाम-निर्देशन द्वारा भरी जाएगी और रिक्ति भरने के लिये नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति, उस अवधि के केवल शेष भाग के लिये पद धारण करेगा जिसके लिये वह सदस्य, जिसका स्थान वह लेता है, नामनिर्दिष्ट किया गया था।

(6) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड का कोई सदस्य 1{पुनः नाम-निर्देशन का पात्र होगा।}

(7) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के अध्यक्ष और (सदस्य सचिव से भिन्न) अन्य सदस्यों की सेवा के अन्य निबन्धन और शर्तें ऐसी होंगी जो विहित की जाएँ।

8. निरर्हताएँ


(1) कोई ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं होगा, -

(क) जो दिवालिया है या किसी भी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत हुआ है; या
(ख) जो विकृतचित्त है और सक्षम न्यायालय द्वारा वैसा घोषित कर दिया गया है; या
(ग) जो किसी ऐसे अपराध के लिये सिद्ध दोष ठहराया गया है या ठहराया जा चुका है जिसमें राज्य सरकार की राय में नैतिक अधमता अन्तर्ग्रस्त है; या
(घ) जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिये सिद्धदोष ठहराया गया है या किसी भी समय ठहराया जा चुका है; या
(ङ) जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं या किसी भागीदार द्वारा वायु की क्वालिटी के सुधार के लिये अथवा वायु प्रदूषण निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये मशीनरी, औद्योगिक संयंत्र, नियंत्रण, उपस्कर या किसी अन्य साधित्र के निर्माण, विक्रय या भाड़े पर लेने का कारबार करने वाली किसी फर्म या कम्पनी में कोई शेयर या हित रखता है; या
(च) जो वायु की क्वालिटी के सुधार के लिये या वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिये बोर्ड अथवा बोर्ड का गठन करने वाली सरकार के साथ अथवा राज्य में किसी स्थानीय प्राधिकरण के साथ अथवा सरकार के स्वामित्व, नियंत्रण या प्रबन्ध के अधीन किसी कम्पनी या निगम के साथ कोई संविदा करने वाली किसी कम्पनी या फर्म का निदेशक या सचिव, प्रबन्धक या अन्य वैतनिक अधिकारी या कर्मचारी है; या
(छ) जिसने राज्य सरकार की राय में सदस्य के रूप में अपनी प्रास्थिति का इस प्रकार दुरुपयोग किया है कि उसका बोर्ड में बने रहना जन साधारण के लिये अहितकर है।

(2) राज्य सरकार, लिखित आदेश द्वारा किसी भी समय ऐसे सदस्य को हटा सकेगी, जो उपधारा (1) में वर्णित किसी निरर्हता से ग्रस्त है, या ग्रस्त हो जाता है:

परन्तु राज्य सरकार द्वारा इस धारा के अधीन हटाए जाने का कोई आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि सम्बन्धित सदस्य को उसके विरुद्ध हेतुक दर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर नहीं दे दिया जाता है।

(3) धारा 7 की उपधारा (1) या उपधारा (6) में किसी बात के होते हुए भी, कोई सदस्य, जो इस धारा के अधीन हटाया गया है, यथास्थिति, उस समय तक जब तक उसका उत्तरवर्ती अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता, पद पर बने रहने का, या सदस्य के रूप में पुनः नाम-निर्दिष्ट किये जाने का, पात्र नहीं होगा।

9. सदस्यों द्वारा स्थानों की रिक्ति


यदि इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड का कोई सदस्य धारा 8 में विनिर्दिष्ट निरर्हताओं में से किसी से ग्रस्त हो जाता है तो उसका स्थान रिक्त हो जाएगा।

10. बोर्ड का अधिवेशन


(1) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, बोर्ड का अधिवेशन प्रत्येक तिमाही में कम-से-कम एक बार होगा और वह अपने अधिवेशनों में कामकाज करने के बारे में प्रक्रिया के ऐसे नियमों का पालन करेगा जो विहित किये जाएँ:

परन्तु यदि अध्यक्ष की राय में कोई अत्यावश्यक प्रकृति का काम किया जाना है तो वह ऐसे समय पर बोर्ड का अधिवेशन बुला सकता है जो वह पूर्वोक्त प्रयोजन के लिये ठीक समझे।

(2) उपधारा (1) के अधीन अधिवेशनों के कार्यवृत्तों की प्रतियाँ केन्द्रीय बोर्ड और सम्बन्धित राज्य सरकार को भेजी जाएँगी।

11. समितियों का गठन


(1) बोर्ड ऐसे प्रयोजन या प्रयोजनों के लिये पूर्णतः सदस्यों से या भागतः सदस्यों से और भागतः अन्य व्यक्तियों से गठित होने वाली इतनी समितियों का गठन कर सकेगा जितनी वह ठीक समझे।

(2) इस धारा के अधीन गठित समिति का अधिवेशन ऐसे समय और ऐसे स्थान पर होगा और वह अपने अधिवेशनों में कामकाज करने के बारे में प्रक्रिया के ऐसे नियमों का पालन करेगी जो विहित किये जाएँ।

(3) समिति के सदस्यों को, जो बोर्ड के सदस्यों से भिन्न हैं, उसके अधिवेशनों में उपस्थित होने और बोर्ड के किसी अन्य कार्य को करने के लिये ऐसी फीस और भत्ते दिये जाएँगे, जो विहित किये जाएँ।

12. बोर्ड के साथ व्यक्तियों का विशिष्ट प्रयोजनों के लिये अस्थायी रूप में सहयुक्त किया जाना


(1) बोर्ड ऐसी रीति से और ऐसे प्रयोजनों के लिये, जो विहित किये जाएँ, अपने साथ किसी ऐसे व्यक्ति को सहयुक्त कर सकेगा जिसकी सहायता या सलाह लेने की वह इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों में से किसी का पालन करने के लिये, वांछा करता है।

(2) उपधारा (1) के अधीन बोर्ड के साथ किसी प्रयोजन के लिये सहयुक्त किसी व्यक्ति को बोर्ड के उस विचार-विमर्श में भाग लेने का अधिकार होगा जो उस प्रयोजन से सुसंगत है, किन्तु उसे बोर्ड के अधिवेशन में मत देने का अधिकार नहीं होगा और किसी अन्य प्रयोजन के लिये वह बोर्ड का सदस्य नहीं होगा।

(3) उपधारा (1) के अधीन बोर्ड के साथ सहयुक्त व्यक्ति ऐसी फीसें और भत्ते प्राप्त करने का हकदार होगा जो विहित किये जाएँ।

13. बोर्ड में रिक्ति से कार्यों या कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना

बोर्ड या उसकी किसी समिति का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जा सकेगी कि यथास्थिति, बोर्ड या ऐसी समिति में कोई रिक्ति विद्यमान थी या उसके गठन में कोई त्रुटि थी।

14. राज्य बोर्डों के सदस्य-सचिव तथा उनके अधिकारी और अन्य कर्मचारी


(1) (1) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड के सदस्य-सचिव की सेवा के निबन्धन और शर्तें ऐसी होंगी जो विहित की जाएँ।

1{(2) किसी राज्य बोर्ड का, चाहे वह इस अधिनियम के अधीन गठित किया गया है या नहीं, सदस्य-सचिव ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा जो विहित किये जाएँ या जो राज्य बोर्ड या उसके अध्यक्ष द्वारा उसे समय-समय पर प्रत्यायोजित किये जाएँ।}

(3) ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए जो राज्य सरकार इस निमित्त बनाए, राज्य बोर्ड, चाहे वह इस अधिनियम के अधीन गठित किया गया है या नहीं, ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेगी जो वह इस अधिनियम के अधीन बोर्ड के कृत्यों के दक्ष पालन के लिये आवश्यक समझे।

(4) राज्य बोर्ड के उपधारा (3) के अधीन नियुक्त अधिकारियों (सदस्य-सचिव से भिन्न) तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति का ढंग, सेवा की शर्तें और वेतनमान ऐसे होंगे जो इस अधिनियम के अधीन राज्य बोर्ड द्वारा बनाए गए विनियमों द्वारा अवधारित किये जाएँ।

(5) इस अधिनियम के अधीन गठित राज्य बोर्ड, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाएँ, समय-समय पर किसी भी अर्हित व्यक्ति को बोर्ड के परामर्श के रूप में नियुक्त कर सकेगा और उसे ऐसे वेतन और भत्तों या फीसों का सन्दाय कर सकेगा, जो वह ठीक समझे।

15. शक्तियों का प्रत्यायोजन


राज्य बोर्ड, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, किन्हीं ऐसी शर्तों और निबन्धनों के अधीन रहते हुए, यदि कोई हैं, जो आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों और कृत्यों में से ऐसी शक्तियों और कृत्यों को, जो वह ठीक समझे, अध्यक्ष या सदस्य-सचिव या बोर्ड के किसी अन्य अधिकारी को प्रत्यायोजित कर सकेगा।

अध्याय 3


बोर्ड की शक्तियाँ और कृत्य


16. केन्द्रीय बोर्ड के कृत्य


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए और जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) के अधीन अपने कृत्यों के पालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय बोर्ड के मुख्य कृत्य यह होंगे कि वह देश में वायु की क्वालिटी में सुधार लाए और वायु प्रदूषण का निवारण करे, उन पर नियंत्रण करे तथा उसका उपशमन करे।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी कृत्यों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय बोर्ड-

(क) वायु की क्वालिटी में सुधार लाने और उसके प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन से सम्बद्ध किसी विषय पर केन्द्रीय सरकार को सलाह दे सकेगा;
(ख) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बना सकेगा और उसे निष्पादित करा सकेगा;
(ग) राज्य बोर्डों के क्रियाकलापों में समन्वय स्थापित कर सकेगा और उनके बीच के विवादों को सुलझा सकेगा;
(घ) राज्य बोर्डों को तकनीकी सहायता दे सकेगा और उनका मार्गदर्शन कर सकेगा, वायु प्रदूषण तथा वायू प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन की समस्या से सम्बन्धित अन्वेषण और अनुसन्धान क्रियान्वित और प्रायोजित कर सकेगा;
1{(घघ) किसी राज्य बोर्ड के ऐसे कृत्यों का पालन कर सकेगा जो धारा 18 की उपधारा (2) के अधीन किये गए आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ।}
(ङ) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के कार्यक्रमों में लगे हुए या लगाए जाने वाले व्यक्तियों के प्रशिक्षण के लिये ऐसे निबन्धनों और शर्तों पर योजना बना सकेगा और उसे संगठित कर सकेगा जो केन्द्रीय बोर्ड विनिर्दिष्ट करे;
(च) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के बारे में जन-सम्पर्क के माध्यम से व्यापक कार्यक्रम आयोजित कर सकेगा;
(छ) वायु प्रदूषण से और उसके प्रभावी निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये परिकल्पित उपायों से सम्बन्धित तकनीकी और सांख्यकीय आँकड़े एकत्र, संकलित और प्रकाशित कर सकेगा और वायु के प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन सम्बन्धी निर्देशिकाएँ, संहिताएँ या मार्ग निर्देशिकाएँ तैयार कर सकेगा;
(ज) वायु की क्वालिटी के लिये मानक अधिकथित कर सकेगा;
(झ) वायु प्रदूषण से सम्बन्धित विषयों के बारे में जानकारी एकत्र कर सकेगा और उसका प्रसार कर सकेगा;
(ञ) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन कर सकेगा जो विहित किये जाएँ।
(3) केन्द्रीय बोर्ड इस धारा के अधीन अपने कृत्यों का दक्ष पालन करने के लिये अपने को समर्थ बनाने के लिये एक या अधिक प्रयोगशालाएँ स्थापित कर सकेगा और उन्हें मान्यता दे सकेगा।

(4) केन्द्रीय बोर्ड -

(क) इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों में से कोई भी कृत्य अपने द्वारा नियुक्त समितियों को, साधारणतया या विशिष्टतया, प्रत्यायोजित कर सकेगा;
(ख) ऐसी अन्य बातें और कार्य कर सकेगा जो अपने कृत्यों के उचित पालन के लिये और साधारणतया इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये वह आवश्यक समझे।

17. राज्य बोर्डों के कृत्य


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए और जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) के अधीन अपने कृत्यों पर, यदि कोई हैं, प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, राज्य बोर्ड के कृत्य निम्नलिखित होंगे, अर्थात :-

(क) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये व्यापक कार्यक्रम की योजना बनाना तथा उसके निष्पादन को सुनिश्चित करना;
(ख) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये किसी विषय पर राज्य सरकार को सलाह देना;
(ग) वायु प्रदूषण से सम्बन्धित जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना;
(घ) वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन से सम्बन्धित कार्यक्रम में लगे हुए या लगाए जाने वाले व्यक्तियों के प्रशिक्षण को संगठित करने में केन्द्रीय बोर्ड के साथ सहयोग करना और उससे सम्बन्धित सार्वजनिक शिक्षा के कार्यक्रम बनाना;
(ङ) किसी नियंत्रण उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र या विनिर्माण प्रक्रिया का सभी युक्तियुक्त समयों पर निरीक्षण करना और वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये कार्यवाही करने की बाबत ऐसे व्यक्तियों को, आदेश द्वारा ऐसे निदेश देना जैसे वह आवश्यक समझे;
(च) वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों का ऐसे अन्तरालों पर, जो वह आवश्यक समझे, निरीक्षण करना, वायु की क्वालिटी का निर्धारण करना और ऐसे क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिये उपाय करना;
(छ) केन्द्रीय बोर्ड के परामर्श से और केन्द्रीय बोर्ड द्वारा वायु की क्वालिटी के बारे में अधिकथित मानकों को ध्यान में रखते हुए, औद्योगिक संयंत्रों तथा आटोमोबाइल से वायुमण्डल में वायु प्रदूषण के उत्सर्जन के लिये मानक अधिकथित करना या किसी पोत या किसी वायुयान से भिन्न किसी भी अन्य स्रोत से वायुमण्डल में किसी वायु प्रदूषक के उत्सर्जन के लिये कोई मानक अधिकथित करना:

परन्तु ऐसे औद्योगिक संयंत्रों से वायुमण्डल में वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन के परिमाण और सम्मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न औद्योगिक संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के लिये इस खण्ड के अधीन भिन्न-भिन्न मानक अधिकथित किये जा सकेंगे;
(ज) राज्य सरकार के ऐसे किसी उद्योग को जिसमें वायु प्रदूषण होना सम्भाव्य है, चलाने के लिये किसी परिसर या अवस्थान की उपयुक्तता के सम्बन्ध में सलाह देना;
(झ) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना जो केन्द्रीय बोर्ड या राज्य सरकार द्वारा विहित किये जाएँ या उसे समय-समय पर सौंपे जाएँ;
(ञ) ऐसी अन्य बातें और ऐसे अन्य कार्य करना जो वह अपने कृत्यों के उचित पालन के लिये और साधारणतया इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये आवश्यक समझे।
(2) राज्य बोर्ड इस धारा के अधीन अपने कृत्यों का दक्ष पालन करने के लिये अपने को समर्थ बनाने के लिये एक या अधिक प्रयोगशालाएँ स्थापित कर सकेगा और उन्हें मान्यता दे सकेगा।

18. निदेश देने की शक्ति


1{(1), इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के पालन में}-

(क) केन्द्रीय बोर्ड ऐसे लिखित निदेशों से आबद्ध होगा जो केन्द्रीय सरकार उसे दे; और
(ख) प्रत्येक राज्य बोर्ड ऐसे लिखित निदेशों से आबद्ध होगा जो केन्द्रीय बोर्ड या राज्य सरकार उसे दे:

परन्तु यदि राज्य सरकार द्वारा दिया गया कोई निदेश केन्द्रीय बोर्ड द्वारा दिये गए निदेश से असंगत है तो वह मामला केन्द्रीय सरकार को उसके विनिश्चय के लिये, निर्देशित किया जाएगा।

1{(2) जहाँ केन्द्रीय सरकार की यह राय है कि किसी राज्य बोर्ड ने उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय बोर्ड द्वारा दिये गए किन्हीं निदेशों का अनुपालन करने में व्यतिक्रम किया है और ऐसी असफलता के परिणामस्वरूप गम्भीर आपात स्थिति उत्पन्न हो गई है और लोकहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, तो वह, आदेश द्वारा, केन्द्रीय बोर्ड को, ऐसे क्षेत्र के सम्बन्ध में, ऐसी अवधि के लिये और ऐसे प्रयोजनों के लिये, जो आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ, राज्य बोर्ड के किन्हीं कृत्यों का पालन करने का निदेश दे सकेगी।

(3) जहाँ केन्द्रीय बोर्ड, उपधारा (2) के अधीन किसी निदेश के अनुसरण में राज्य बोर्ड के किन्हीं कृत्यों का पालन करता है, वहाँ केन्द्रीय बोर्ड द्वारा ऐसे कृत्यों के पालन की बाबत उपगत व्यय, यदि कोई हों, यदि राज्य बोर्ड ऐसे व्ययों को वसूल करने के लिये सशक्त है, तो, केन्द्रीय बोर्ड द्वारा उस तारीख से जब व्ययों के लिये माँग की जाती है उस तारीख तक के लिये जब तक उनका सन्दाय नहीं कर दिया जाता है, उस पर ब्याज सहित (ऐसी उचित दर पर जो केन्द्रीय सरकार आदेश द्वारा नियत करे) सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों से भू-राजस्व या लोकमाँग की बकाया के रूप में वसूल किये जा सकेंगे।

(4) शंकाओं के निवारण के लिये, यह घोषित किया जाता है कि किसी क्षेत्र की बाबत उपधारा (2) के अधीन दिये गए किसी राज्य बोर्ड के कृत्यों का पालन करने के लिये कोई निदेश राज्य बोर्ड को राज्य के किसी अन्य क्षेत्र में ऐसे कृत्यों का या उस क्षेत्र में उसके किन्हीं अन्य कृत्यों का पालन करने से प्रवारित नहीं करेगा।

अध्याय 4


वायु प्रदूषण का निवारण तथा नियंत्रण


19. वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित करने की शक्ति


(1) राज्य सरकार, राज्य बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये राज्य के भीतर किसी क्षेत्र या क्षेत्रों को ऐसी रीति से, जो विहित की जाये, वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर सकेगी।

(2) राज्य सरकार, राज्य बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, -

(क) किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र का विस्तार करके या उसे घटाकर उसमें परिवर्तन कर सकेगी,
(ख) ऐसा कोई नया वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर सकेगी जिसमें एक या अधिक विद्यमान वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र या उसका कोई भाग अथवा उसके कोई भाग सम्मिलित किये जा सकें।

(3) यदि राज्य सरकार की, राज्य बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात यह राय है कि किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में या उसके किसी भाग में किसी अनुमोदित ईंधन से भिन्न किस ईंधन के प्रयोग से वायु प्रदूषण हो सकता है या होना सम्भाव्य है, तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा उस क्षेत्र में या उसके किसी भाग में ऐसे ईंधन के प्रयोग को, ऐसी तारीख से (जो अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से कम-से-कम तीन मास पश्चात की होगी), जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाये, प्रतिषिद्ध कर सकेगी।

(4) राज्य सरकार, राज्य बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगी कि ऐसी तारीख से जो उक्त अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाये, अनुमोदित साधित्र से भिन्न किसी साधित्र का प्रयोग किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में स्थित परिसरों में नहीं किया जाएगा:

परन्तु किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र के भिन्न-भिन्न भागों के लिये या भिन्न-भिन्न साधित्रों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें विनिर्दिष्ट की जा सकेंगी।

(5) यदि राज्य सरकार की, राज्य बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात यह राय है कि किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में या उसके किसी भाग में किसी सामग्री (जो ईंधन नहीं है) के जलाए जाने से वायु प्रदूषण हो सकता है या होना सम्भाव्य है, तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र में या उसके किसी भाग में ऐसी सामग्री के जलाए जाने को प्रतिषिद्ध कर सकेगी।

20. आटोमोबाइल से उत्सर्जनों के मानक सुनिश्चित करने के लिये अनुदेय देने की शक्ति


यह सुनिश्चित करने की दृष्टि से कि धारा 17 की उपधारा (1) के खण्ड (छ) के अधीन राज्य बोर्ड द्वारा आटोमोबाइल से वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन के लिये अधिकथित मानकों का अनुपालन किया जा रहा है, राज्य सरकार, राज्य बोर्ड के परामर्श से, मोटर यान अधिनियम, 1939 (1939 का 4) के अधीन मोटर यानों के रजिस्ट्रीकरण के भारसाधक सम्बन्धित प्राधिकारी को ऐसे अनुदेश दे सकेगी, जैसे वह ठीक समझे और ऐसा प्राधिकारी उस अधिनियम में या उसके अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, ऐसे अनुदेशों के अनुपालन के लिये आबद्ध होगा।

21. कुछ औद्योगिक संयंत्रों के प्रयोग पर निर्बन्धन


1{(1) इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, कोई व्यक्ति राज्य बोर्ड की पूर्व सम्मति के बिना, किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में कोई औद्योगिक संयंत्र स्थापित या प्रचालित नहीं करेगा:

परन्तु वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 1987 की धारा 9 के प्रारम्भ के ठीक पूर्व किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में किसी औद्योगिक संयंत्र को प्रचालित करने वाला व्यक्ति, जिसके लिये ऐसे प्रारम्भ के पूर्व कोई सम्मति आवश्यक नहीं थी, ऐसे प्रारम्भ से तीन मास की अवधि तक या यदि उसने उक्त तीन मास की अवधि के भीतर ऐसी सम्मति के लिये कोई आवेदन किया है, तो ऐसे आवेदन का निपटारा किये जाने तक ऐसा करता रहेगा।}

(2) उपधारा (1) के अधीन राज्य बोर्ड की सम्मति के लिये, आवेदन के साथ ऐसी फीस होगी, जो विहित की जाये और वह विहित प्रारूप में दिया जाएगा और उसमें औद्योगिक संयंत्र की विशिष्टियाँ और ऐसी अन्य विशिष्टयाँ भी होंगी, जो विहित की जाएँ:

परन्तु जहाँ कोई व्यक्ति, वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र के रूप में किसी क्षेत्र के घोषित किये जाने से ठीक पूर्व, 2***ऐसे क्षेत्र में कोई औद्योगिक संयंत्र प्रचालित करता है, वहाँ ऐसा व्यक्ति इस उपधारा के अधीन आवेदन ऐसी अवधि के अन्दर (जो ऐसी घोषणा की तारीख से कम-से-कम तीन मास की होगी), जो विहित की जाये, करेगा और जहाँ ऐसा व्यक्ति ऐसा आवेदन करता है वहाँ उसके बारे में यह समझा जाएगा कि वह उस समय तक, ऐसा औद्योगिक संयंत्र राज्य बोर्ड की सम्मति से प्रचालित कर रहा है जब तक कि सम्मति के लिये राज्य बोर्ड को किया गया आवेदन अस्वीकृत नहीं हो जाता।

(3) राज्य बोर्ड, उपधारा (1) में निर्दिष्ट सम्मति के लिये आवेदन के सम्बन्ध में ऐसी जाँच कर सकेगा जो वह ठीक समझे और ऐसी कोई जाँच करते समय ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जो विहित की जाये।

(4) राज्य बोर्ड, उपधारा (1) में निर्दिष्ट सम्मति के लिये आवेदन की प्राप्ति के पश्चात चार मास की अवधि के भीतर लिखित आदेश द्वारा, 1{और उसके लिये जो कारण हैं उन्हें आदेश में लेखबद्ध करके ऐसी सम्मति जिसके लिये आवेदन किया गया है, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए और ऐसी अवधि के लिये जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाये, प्रदान कर सकेगा या ऐसी सम्मति से इनकार कर सकेगा:,

3{परन्तु उस अवधि की समाप्ति के पूर्व जिसके लिये वह प्रदान की गई है, ऐसी सम्मति को रद्द करने की या ऐसी समाप्ति के पश्चात आगे सम्मति देने से इनकार करने की राज्य बोर्ड को छूट होगी यदि वे शर्तें, जिनके अधीन ऐसी सम्मति दी गई है, पूरी नहीं की जाती हैं:

परन्तु यह और कि पहले परन्तुक के अधीन किसी सम्मति को रद्द करने या आगे सम्मति देने से इनकार करने से पूर्व सम्बन्धित व्यक्ति को सुने जाने का उचित अवसर दिया जाएगा।}

(5) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसे राज्य बोर्ड द्वारा सम्मति उपधारा (4) के अधीन दी गई है, निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन करेगा, अर्थात:-

(i) ऐसे विनिर्देशों वाला नियंत्रण उपस्कर, जो राज्य बोर्ड द्वारा इस निमित्त अनुमोदित किया जाये ऐसे परिसर में संस्थापित और प्रचालित किया जाएगा जहाँ उद्योग चलाया जाता है या चलाए जाने की प्रस्तावना है;
(ii) विद्यमान नियंत्रण उपस्कर में, यदि कोई है, परिवर्तन या उसके स्थान पर दूसरे उपस्कर का प्रतिस्थापन, राज्य बोर्ड के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा;
(iii) खण्ड (i) या (ii) में निर्दिष्ट नियंत्रण उपस्कर सभी समयों पर अच्छी चालू हालत में रखा जाएगा;

(iv) ऐसे परिसरों में ऐसे विनिर्देशनों की चिमनी, जहाँ कहीं आवश्यक है, जो बोर्ड इस निमित्त अनुमोदित करे, लगाई जाएगी या पुनः लगाई जाएगी;
(v) ऐसी अन्य शर्तें, जो राज्य बोर्ड इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे; और
(vi) खण्ड (i), खण्ड (ii) और खण्ड (iv) में विनिर्दिष्ट शर्तों का अनुपालन ऐसी अवधि के भीतर किया जाएगा जैसी राज्य बोर्ड इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे:

परन्तु ऐसे किसी व्यक्ति के मामले में, जो वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र के रूप में किसी क्षेत्र के घोषित किये जाने से ठीक पूर्व, 1***ऐसे क्षेत्र में कोई औद्योगिक संयंत्र प्रचालित कर रहा है, इस प्रकार विनिर्दिष्ट की जाने वाली अवधि छह मास से कम की नहीं होगी:

परन्तु यह और कि -

(क) खण्ड (i) के अधीन विनिर्देशों के अनुसार किसी नियंत्रण उपस्कर के संस्थापन के पश्चात या
(ख) खण्ड (ii) के अधीन राज्य बोर्ड के निदेशों के अनुसार किसी नियंत्रण उपस्कर में परिवर्तन या उसके स्थान पर दूसरे उपस्कर के प्रतिस्थापन के पश्चात या
(ग) खण्ड (iv) के अधीन किसी चिमनी के लगाए जाने या पुनः लगाए जाने के पश्चात, कोई भी नियंत्रण उपस्कर या चिमनी राज्य बोर्ड के पूर्व अनुमोदन के सिवाय, न तो परिवर्तित की जाएगी और न उसके स्थान पर दूसरी प्रतिस्थापित की जाएगी और, यथास्थिति, न तो लगाई जाएगी और न पुनः लगाई जाएगी।

(6) यदि किसी तकनीकी सुधार के कारण या अन्यथा राज्य बोर्ड की राय है कि उपधारा (5) में निर्दिष्ट सभी शर्तों में या किसी शर्त में परिवर्तन अपेक्षित है (इसमें किसी नियंत्रण उपस्कर का, भागतः या पूर्णतः परिवर्तन भी सम्मिलित है) तो राज्य बोर्ड उस व्यक्ति को जिसे सम्मति प्रदान की गई है, सुनवाई का अवसर देने के पश्चात ऐसी सभी या किन्हीं शर्तों में परिवर्तन कर सकेगा और तब ऐसा व्यक्ति उस प्रकार परिवर्तित शर्तों का अनुपालन करने के लिये आबद्ध होगा।

(7) यदि कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (4) के अधीन राज्य बोर्ड द्वारा सम्मति प्रदान की गई है, किसी अन्य व्यक्ति को उद्योग में अपना हित अन्तरित करता है तो ऐसे सम्मति ऐसे अन्य व्यक्ति को प्रदान की गई समझी जाएगी और वह उन सभी शर्तों के, जिनके अधीन ऐसी सम्मति प्रदान की गई थी, अनुपालन के लिये उसी प्रकार आबद्ध होगा मानों ऐसी सम्मति मूलतः उसे ही प्रदान की गई हो।

22. उद्योग आदि चलाने वाले व्यक्ति राज्य बोर्डों द्वारा अधिकथित मानकों से अधिक वायु प्रदूषक उत्सर्जित नहीं होने देंगे


2{कोई व्यक्ति जो किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में कोई औद्योगिक संयंत्र प्रचालित करता है,} राज्य बोर्ड द्वारा धारा 17 की उपधारा (1) के खण्ड (छ) के अधीन अधिकथित मानकों से अधिक किसी वायु प्रदूषक का न तो उत्सर्जन करेगा, न कराएगा और न करने की अनुज्ञा देगा।

3{22क. बोर्ड की वायु को प्रदूषित करने से व्यक्तियों को रोकने के लिये न्यायालय को आवेदन करने की शक्ति


(1) जहाँ बोर्ड को यह आशंका है कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में औद्योगिक संयंत्र प्रचालित करने के कारण या अन्यथा धारा 17 की उपधारा (1) के खण्ड (छ) के अधीन राज्य बोर्ड द्वारा अधिकथित मानकों से अधिक किसी वायु प्रदूषक के उत्सर्जित होने की सम्भावना है, वहाँ बोर्ड ऐसे व्यक्ति को, ऐसे वायु प्रदूषक का उत्सर्जन करने से रोकने के लिये ऐसे किस
Path Alias

/articles/vaayau-paradauusana-naivaarana-aura-naiyantarana-adhainaiyama-1981-air-pollution

×