आम बजट को लेकर भले ही कई क्षेत्रों में निराशा का माहौल हो लेकिन जलवायु खतरों, पर्यावरण की सुरक्षा आदि को लेकर इसमें सकारात्मक पहल की गई है। सबसे बड़ी 4400 करोड़ रुपए की घोषणा ‘स्वच्छ हवा कार्यक्रम’ के लिए है। इससे शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए कारगर योजनाएं बनाना सम्भव होगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट पेश करते हुए जलवायु परिवर्तन के खतरों का जिक्र किया। सबसे बड़ी बात उन्होंने यह कहा कि परियोजनाओं के निर्माण में प्राकृतिक आपदाओं के खतरे का ध्यान रखा जाएगा। जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाए बढ़ रही हैं। लेकिन यदि योजनाओं को बनाते समय खतरे का पूर्व आकलन किया गया, तो इसे कम किया जा सकता है। नवीन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी उपायों की घोषणा की गई है। रेलवे की बेकार भूमि, किसानों की बंजर जमीन पर सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगेंगी। इससे रेलवे की आय बढ़ेगी। किसानों की बेकार जमीन भी उनके लिए फायदेमंद हो जाएगी।
उत्सर्जन के मानक तय
सीतारमण ने यह भी ऐलान किया है कि कोयले से चल रहे पुराने बिजलीघरों को बंद किया जाएगा। देश में 300 से ज्यादा बिजलीघर हैं, जिनके लिए उत्सर्जन मानक सरकार ने तय किए हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जा सका है।
प्रदूषण से बचने को बदलना होगा
- एक अप्रैल से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी व्यवस्था शुरू होगी।
- 10 जनवरी को गत वर्ष नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम लाॅन्च
- 102 शहरों को योजना में शामिल किया गया।
- दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर दायरे में।
- 46 बड़ी आबादी वाले शहरों की बदलेगी फिजा।
- सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के एजेंडा का अक्स इस आम बजट में भी।
- हर साल देश में प्रदूषण से और खराब होते हालात को देखते हुए सरकार सक्रिय हुई।
- प्रदूषण को ध्यान में रखकर विकास की परियोजनाएं तैयार की जाएंगी।
- वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2017 में अकेले भारत में 12 लाख लोगों की मौत हुई।
- 2019 की ग्लाबेल एयर रिपोर्ट में वायु प्रदूषण दुनिया का तीसरा बड़ा खतरा।
आवंटन बढ़ने से 102 से ज्यादा शहरों की हवा स्वच्छ होगी
आरती खोसला, हिन्दुस्तान, 2 फरवरी, 2020
जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपने और स्वच्छ हवा के लिए सरकार की घोषणाएं सकारात्मक हैं। सरकार ने बजट में इस मुद्दे को प्रमुखता देकर इसकी गम्भीरता को समझा है। अब असली चुनौती इसके क्रियान्वयन की होगी। स्वच्छ हवा कार्यक्रम के लिए 4400 करोड़ रुपए का आवंटन बड़ी घोषणाओं में एक है। पिछले बजट में मद में 460 करोड़ रुपए ही दिए गए थे। यह छोटी राशि थी, लेकिन इस बार इसमें दस गुना से भी ज्यादा की बढोत्तरी की गई है।
दरअसल, सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनएसीसी) में अभी तक 102 शहर शामिल हैं, जिन्हें दस-दस करोड़ रुपए सरकार ने देने का ऐलान किया था. लेकिन दस लाख से ज्यादा आबादी वाले एक बड़े शहर की हवा दस-करोड़ में नहीं सुधारी जा सकती। इसलिए, बजट बढ़ाया गया है। इससे जहाँ शहरों को ज्यादा आवंटन होगा, वहीं और दूसरे प्रदूषित शहरों को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा। देश के सिर्फ 102 शहर नहीं बल्कि करीब-करीब सभी शहर प्रदूषण की चपेट में हैं।
बंजर व खाली जमीन पर सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने का ऐलान भी अच्छा है इससे पर्यावरण के साथ उस खाली जमीन के मालिक का भी फायदा हगा। वैसे भी सौर ऊर्जा के उत्पादन में भारत विश्व को नेतृत्व प्रदान कर रहा है। आज जब भी भारी बारिश, तूफान या बाढ़ का प्रकोप होता है तो जाने के खतरे के साथ-साथ इससे हमारे बुनियादी ढांचे को भी भारी क्षति पहुंचती है। सड़कें, बिजली, फोन के टावर टूट जाते हैं। यदि हम ऐसी सड़कें बना दें जो बाढ़ से टूटें और डूबें नहीं तो ठीक रहेगा। तूफान से टेलीफोन टावर और बिजली की लाइनों को नुकसान नहीं पहुंचेगा, तो यह बड़ी बात होगी।
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