वायु प्रदूषण: चीन के ये पांच कदम अपनाने से सुधर सकती भारत की हवा

air pollution
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दुनिया की दो उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं (भारत और चीन) वायु प्रदूषण की वृहद समस्या से जूझ रहे हैं। संयुक्त रूप से दोनों देशों की दो बिलियन से अधिक आबादी के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चीन में वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा समस्या बीजिंग सहित आसपास के क्षेत्रों में है, तो वहीं भारत में वायु प्रदूषण के कारण राजधानी दिल्ली की धड़कने लगातार कम हो रही है, लेकिन वायु प्रदूषण के प्रति गंभीरता दिखाते हुए चीन ने एक नए युग की शुरूआत करने के लिए वर्ष 2013 में वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग की घोषणा की। वायु प्रदूषण को कम करने के जिस लक्ष्य को यूरोप और यूएस ने दशकों में हांसिल किया, वह चीन को पांच वर्षो में पूरा करना था। साथ ही अर्थव्यस्थाक की रफ्तार को भी बनाए रखना था। जिसके लिए चीनी सरकार ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई और राजनीतिक स्तर पर उत्कृष्ट संसाधनों की खरीद की, तीन सौ से अधिक राष्ट्रीय नीतियों, विभिन्न विनियमों, क्षेत्रीय मानकों और योजनाओं को वर्ष 2013 से 2017 तक लागू किया गया था।

मजबूत इच्छा शक्ति और नियमों के कार्यान्वयन की बदौलत पूरे चीन में पार्टिकुलेट मैटर का स्तर 23पीसी से कम हो गया और अत्यधिक प्रदूषित बीजिंग तथा आसपास के क्षेत्र में 40पीसी तक का सुधार देखा गया। जिससे असंभव दिख रखे लक्ष्य को चीन ने हांसिल किया, लेकिन भारत ने अभी तक चीन से सीख नहीं ली। परिणामतः भारत में वायु लगातार प्रदूषित होती जा रही है। जिस कारण चीनी पर्यावरण थिंक टैंक ब्लूटेक क्लीन एयर एलायंस (बीसीसीए) ने ‘वायु प्रदूषण के खिलाफ तेजी से जीत हासिल करनाः भारत कैसे चीन के अनुभव से सीख सकता है’ विषय पर एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें चीन में वायु प्रदूषण से जंग में अपने अनुभवों को साझा किया है जो वायु प्रदूषण को कम करने में भारतीय परिप्रेक्ष में प्रासंगिक सिद्ध हो सकते हैं। साथ ही रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं जिनका अनुपालन कर भारत में वायु की गुणवत्ता को काफी हद तक सुधारा जा सकता है।

1. मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता

स्वच्छ वायु कार्य योजना (2013-2017) पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय द्वारा नहीं बल्कि चीन के राज्य परिषद द्वारा जारी और मूल्यांकन की गई थी। उच्च स्तर पर चीनी सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को वायु प्रदूषण कम करने का मुख्य कारक माना जाता है। भारत मे भी मजबूत राजनीतिक संकेतों औरा उच्चतम स्तरों पर दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाते हुए वायु प्रदूषण से निपटा जाना चाहिए। साथ ही राज्य सरकारों को भी राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाने की आवश्यकता है और प्रतिबद्धताओं को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कार्यवाही के रूप में बदला जाना चाहिए। 

2. विज्ञान आधारित नीति निर्माण

वायु प्रदूषण का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जो कई प्राथमिक स्रोतों से और प्रदूषकों के बीच भौतिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से माध्यमिक कणों के गठन जैसी प्रक्रियाओं से होती है। प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन को डेटा मॉनीटरिंग, उत्सर्जन सूची, वायु गुणवत्ता मॉडलिंग, स्रोत मूल्यांकन विश्लेषण और परिवहन नियोजन जैसे विभिन्न को वैज्ञानिक मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। यह भी आवश्यक है कि नीतिगत निर्णय किए जाएं और नवीनतम वैज्ञानिक निष्कर्षों को प्रतिबिंबित करें। चीन के पाठों से पता चला है कि महत्वपूर्ण निवेश और प्रयास जिनकी विज्ञान में कोई नींव नहीं है, व्यर्थ हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

3. नियमित रूप से समन्वित वायु गुणवत्ता प्रबंधन

प्रदूषक क्षेत्रीय वायु पैटर्न के माध्यम से पूरे वातावरण में यात्रा करते हैं और फैलते हैं, जिस कारण कोई भी शहर अपने दम पर वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई नहीं जीत सकता है, इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन को शहरों और क्षेत्रों में समन्वित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नीतियों को एक ही एयरशेड के तहत शहरों और क्षेत्रों के लिए एक समन्वित फैशन में डिजाइन किया गया है। जिसमें प्रशासनिक सीमाओं से परे जाकर कार्य करने की भी जरूरत है। यह भारतीय संदर्भ में भी एक महत्वपूर्ण कारक है।

4. उन्नत वायु गुणवत्ता नीति प्रवर्तन

चीन के लिए व्यापक निगरानी और एक पर्यावरण निरीक्षण प्रणाली दो घटक महत्वपूर्ण थे। व्यापक और विश्वसनीय वायु गुणवत्ता निगरानी डेटा नीति-निर्माण के लिए आवश्यक है क्योंकि यह प्रवर्तन का मूल्यांकन करने और नीतियों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। चीन ने पांच हजार से अधिक निगरानी स्थलों के साथ एक बड़ा वायु निगरानी नेटवर्क बनाया था। इसके अलावा 2015 में स्थापित पर्यावरण संरक्षण निरीक्षण की एक प्रणाली प्रांतीय और नगरपालिका स्तरों पर प्रवर्तन का मार्गदर्शन और मूल्यांकन करने के लिए केंद्र सरकार के लिए साधन के रूप में रही है। प्रांतो और शहरों में निरीक्षको को भेजकर और सार्वजनिक शिकायतों और रिपोर्टों को संभालने के लिए, निरीक्षण प्रणाली से स्थानीय सरकारों और कंपनियों के बीच हिातें के टकराव को हल करने में सफलता मिली। जिसके मजबूत और त्वरित परिणाम भी सामने आए। इन्हें आधारों पर चीन का सफलता भी मिली। 

5. स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों का विकास और अनुप्रयोग

चीन के 2017 वायु गुणवत्ता लक्ष्य को पूरा करने के लिए आरएमबी 1.8 ट्रिलियन का निवेश किया गया था, और इसने बदले में आरएमबी 2 ट्रिलियन जीडीपी वृद्धि उत्पन्न की। चीन का अनुभव बताता है कि वायु गुणवत्ता में सुधार को प्रौद्योगिकी विकास और आर्थिक विकास के साथ जोड़ा गया है। चीनी बाजार में बड़े पैमाने पर तैनाती के बाद, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की लागत में गिरावट आई है। कुल मिलाकर, यह स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के चीनी आपूर्तिकर्ता हैं, जो वायु प्रदूषण पर देश की दरार से लाभान्वित हुए हैं, और उनके उत्पादों को अब वैश्विक बाजार में तैनात किया जा सकता है, जिसमें भारत भी शामिल है।

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