पानी जब हमें आसानी से मिल जाता है तो हम शायद उसकी कीमत नहीं समझते। लेकिन आंखें तब खुलती हैं जब किसी बड़े शहर में एक पानी के टैंकर के पास लोगों की लाइन लग जाती है। इसकी कीमत का एहसास तब होता है जब किसी शहर की बस्ती में एक दिन भी सप्लाई का पानी न आने से जिंदगी भी ‘सूख’ जाती है और गुस्सा तब आता है। जब यह यह पता चले कि हमारे ही पानी को लोग न सिर्फ बर्बाद कर रहे हैं बल्कि उसका ‘काला’ कारोबार कर रहे हैं, जो कि भविष्य में हमें ही संकट में डाल सकता है। आज हम ऐसे ही कुछ वाटर माफियाओं के बारे मे बात करेंगे। जो हमारे बेमोल पानी का मोल लगाकर अपनी जेब तो भर रहे हैं, लेकिन हमारे भविष्य को ‘प्यासा’ कर रहे हैं।
क्या आपको पता है कि पानी को प्यूरीफाई करते समय करीब तीन गुना पानी बर्बाद हो जाता है? ऐसे में आपके लिए तैयार किया गया 20 लीटर पानी 60 लीटर पानी को वेस्ट करने के बाद आता है। अब जबकि हमें पता है कि पानी को लेकर कई शहरों में इमरजेंसी जैसे हालात बन जाते हैं। वहां पानी की इस कदर बर्बादी और वो भी चोरी से सोचने पर विवश कर देती है।
अवैध वाटर प्लांट
दुकानों, मार्केट और कई घरों में पहुंचने वाला जार वाला पानी, जगह-जगह बिकने वाली अन ब्रांडेड बोतल बंद पानी आप खरीदते हैं। लेकिन आपको पता है यह पानी कहां से आता है? आपके शहर में ज्यादातर लोकल ब्रांड का पानी उन छोटे-छोटे वाटर प्लांट से आता है जो न सिर्फ अवैध होते हैं, बल्कि सेहत से भी खिलवाड़ करते हैं। शहर में पंजीकृत वाटर प्लांट तो आप उंगलियों में गिन सकते हैं लेकिन बिना पंजीकृत प्लांट की संख्या सैकड़ों और हजारों में पहुंच जाती है। इन तमाम पंजीकृत वाले प्लांट पर लगाम लगा पाना भी आसान नहीं दिख रहा है।
देश में पानी की उपलब्धता
- इस समय देश में कुल 190 खरब क्यूबिक मीटर कुल पानी है। अतिरिक्त पानी बंग्लादेश, नेपाल चला जाता है।
- पूरे देश में 20 हजार किमी. तटबंध वाली 14 बड़ी नदियां हैं। पूरे देश में 44 फीसदी पानी संचय करने की व्यवस्था है।
- 30 अरब एकड़ फीट वर्षा पानी सालाना मिलता है, लेकिन अधिकांश पानी वाष्प हो जाता है।
राजस्व का नुकसान
हम सभी अपने घरों में उपयोग किए जाने वाले पानी पर वाटर टैक्स देते हैं। जो पानी हम 20 रुपए या उससे अधिक की कैन के लिए खर्च करते हैं, उस कैन के सप्लायर जब बिना रजिस्ट्रेशन के पानी का काम करते हैं तो वो कमाई तो अच्छी करते हैं, लेकिन इसके बदले सरकार को कोई टैक्स नीं देते। अगर आप अपने घर में सबमर्सिबल पंप लगवाना चाहते हैं तो आपको जल संस्थान से परमिशन लेनी होती है, वरना जुर्माना देना होगा। देश के कई शहरों में सैंकड़ों फर्जी वाटर प्लांट लगे हैं जो सरकार का राजस्व का नुकसान कर रहे हैं।
पानी की बर्बादी
शहर में ज्यादातर वाटर प्लांट प्रशासन की निगरानी में नहीं हैं। ऐसे में इनकी गुणवत्ता की कोई चेकिंग नहीं हो पाती। कई प्लांट तो सिर्फ पानी ठंडा कर केन में भरके बेच देते हैं। वाटर प्यूरीफायर का प्रोसेस ही नहीं फाॅलो होता है। ऐसे में लोग जिस पानी को प्यूरीफाइड मानकर पीते हैं वो ठंडा होता है लेकिन शुद्ध नहीं। ऐसे वाटर माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए सीधे कोई कानून नहीं है। रजिस्टर्ड न हो पाने के कारण ये प्रशासन और जिम्मेदार लोगों की नजर में भी नहीं आ पाते। जो नजर में आते भी हैं, वो बाहरी रास्तों से हल निकालकर अपना काम चला लेते हैं।
क्या आपको पता है कि पानी को प्यूरीफाई करते समय करीब तीन गुना पानी बर्बाद हो जाता है? ऐसे में आपके लिए तैयार किया गया 20 लीटर पानी 60 लीटर पानी को वेस्ट करने के बाद आता है। अब जबकि हमें पता है कि पानी को लेकर कई शहरों में इमरजेंसी जैसे हालात बन जाते हैं। वहां पानी की इस कदर बर्बादी और वो भी चोरी से सोचने पर विवश कर देती है।
चौंकाने वाली स्थिति
- देश में गिरता भूगर्भ जलस्तर सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। अगर हालातों पर संजीदगी से अभी कदम नहीं उठाए गए तो यकीन मानिये साल 2025 तक भारत भीषण जल संकट वाला देश बन जाएगा।
- आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2025 तक भारत की जनसंख्या 139 करोड़ और वर्ष 2050 तक 165 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
- इस बढ़ती हुई जनसंख्या का असर सीधे तौर पर जल की उपलब्धता पर पड़ेगा। देश के तमाम शहरों में अवैध तरीके से चल रहे आरओ प्लांट जमकर जल दोहन कर रहे हैं। जिन पर सरकारी विभाग भी नियंत्रण नहीं लगा पाए हैं।
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