पूरा विश्व लगातार हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तनों को लेकर चिंतित है। खतरे में पड़ी प्रजातियों की सूची में लगातार इज़ाफा हो रहा है, ऐसे में पूरी दुनिया में वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन के लिए काम करने वाले विशेषज्ञों की मांग बढ़ती जा रही है। बढ़ती हुई इस मांग ने इस क्षेत्र को कॅरिअर के एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। आने वाले सालों में रिसर्च से लेकर फील्ड में बेहतर माहौल तैयार करने के लिए दुनिया भर के नेशनल पार्क और कंजर्वेशन रिजर्व में ऐसे विशेषज्ञों की भारी मांग होने वाली है।
मानवीय गतिविधियों की वजह से पूरी दुनिया की जैव विविधता और संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, पर्यावरण विशेषज्ञ उन प्रभावों के विश्लेषण, उनके दूरगामी असर और उनसे बचाव के रास्ते खोजते हैं। साथ ही वे मौजूदा वन्यजीवन और विविधता को सहेजने की कोशिश भी कर रहे हैं। विश्व के सभी देशों में अब किसी भी बड़ी मानवीय गतिविधि या प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले पर्यावरण संरक्षण संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। इस काम के लिए सरकार और कंपनियां दोनों ही पर्यावरण विशेषज्ञों को नियुक्त करती हैं। इसके अलावा खतरे में पड़ी प्रजातियों के संरक्षण का काम भी ये विशेषज्ञ करते हैं। दुनिया भर के चिड़ियाघरों में ऐसे विशेषज्ञों को सलाह और काम के लिए बुलाया जाता है।
वन्यजीव विज्ञान, पारिस्थितिकी विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त उम्मीदवार इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा कई संस्थान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी करवाते हैं, जो वन्यजीव वातावरण में व्यावहारिक ज्ञान के साथ इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने की इच्छा रखने वालों के लिए एक बेहतरीन अनुभव है। इन कोर्सेज में प्रवेश लेने के लिए संबंधित विज्ञान विषय में उच्च माध्यमिक या स्नातक उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा कुछ संस्थान वन्यजीवन दर्शन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते हैं जिसमें कला से संबंधित उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं।
दुनिया भर की वन्य जीव संरक्षण एजेंसियाँ व संस्थान जैसे वर्ल्डवाइल्ड फंड फॉर नेचर, डब्ल्यूसीएस, डब्ल्यूटीआई और पेटा जैसे एनजीओ तथा राष्ट्रीय पार्कों एवं बाघ अभ्यारण्यों में इस क्षेत्र से जुड़े अवसर उपलब्ध हैं। आप यहां वन्यजीव-जीवविज्ञानी, वन्यजीव पारिस्थितिकी विज्ञानी, वन्यजीव प्रबंधक, वन्यजीव शिक्षक, वन्यजीव संरक्षक, वन्यजीव फॉरेंसिक विशेषज्ञ, वन्यजीव स्वास्थ्य और पशुपालन विशेषज्ञ, वन्यजीव वैज्ञानिक, वन्यजीव शोधकर्ता, वन्यजीव फोटोग्राफर व पत्रकार, पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषक, पक्षीविज्ञानी और वन्यजीव सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा सकते हैं। दुनिया भर के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करने के लिए समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं।
इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए वन्यजीव प्रबंधन स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीएचडी, जैविक विज्ञान, एमफिल, वन्यजीव विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान में एमएससी, बीएससी या बीवीएससी एंड ए.एच, एमएससी, जैविक विज्ञान, वानिकी में बीएससी, पारिस्थितिकी विकास में एमएससी, वन्यजीव?बीएससी डिग्री, प्रबंधन स्नातकोत्तर डिग्री और पारिस्थितिकी एवं प्रबंधन में प्रमाण-पत्र प्राप्त कर आप अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
रिसर्च और विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले पर्यावरण विशेषज्ञों का शुरुआती वेतन करीबन 25,000 रुपए प्रतिमाह है। कॉर्पोरेट में यह आंकड़ा 50,000 रुपए से दो लाख के बीच होता है। फील्ड में काम करने के लिए शुरुआत किसी विशेषज्ञ के साथ सहायक के तौर पर जुड़कर की जा सकती है। अनुभव बढऩे के साथ वेतन में भी अच्छी बढ़ोतरी होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले विशेषज्ञों को वर्ष भर के लिए 25 लाख रुपए या उससे भी ज्यादा का भुगतान किया जाता है।
कुवेम्पु विश्वविद्यालय, शिमोगा, कर्नाटक
kuvempu.ac.in/
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई
tifr.res.in/index.php/en/
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून
fri.icfre.gov.in/
नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरु
ncbs.res.in/
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून
envfor.nic.in/wii/wii.html
गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर
ggu.ac.in/
क्या करते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
मानवीय गतिविधियों की वजह से पूरी दुनिया की जैव विविधता और संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, पर्यावरण विशेषज्ञ उन प्रभावों के विश्लेषण, उनके दूरगामी असर और उनसे बचाव के रास्ते खोजते हैं। साथ ही वे मौजूदा वन्यजीवन और विविधता को सहेजने की कोशिश भी कर रहे हैं। विश्व के सभी देशों में अब किसी भी बड़ी मानवीय गतिविधि या प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले पर्यावरण संरक्षण संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। इस काम के लिए सरकार और कंपनियां दोनों ही पर्यावरण विशेषज्ञों को नियुक्त करती हैं। इसके अलावा खतरे में पड़ी प्रजातियों के संरक्षण का काम भी ये विशेषज्ञ करते हैं। दुनिया भर के चिड़ियाघरों में ऐसे विशेषज्ञों को सलाह और काम के लिए बुलाया जाता है।
योग्यता
वन्यजीव विज्ञान, पारिस्थितिकी विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त उम्मीदवार इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा कई संस्थान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी करवाते हैं, जो वन्यजीव वातावरण में व्यावहारिक ज्ञान के साथ इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने की इच्छा रखने वालों के लिए एक बेहतरीन अनुभव है। इन कोर्सेज में प्रवेश लेने के लिए संबंधित विज्ञान विषय में उच्च माध्यमिक या स्नातक उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा कुछ संस्थान वन्यजीवन दर्शन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते हैं जिसमें कला से संबंधित उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं।
अवसर
दुनिया भर की वन्य जीव संरक्षण एजेंसियाँ व संस्थान जैसे वर्ल्डवाइल्ड फंड फॉर नेचर, डब्ल्यूसीएस, डब्ल्यूटीआई और पेटा जैसे एनजीओ तथा राष्ट्रीय पार्कों एवं बाघ अभ्यारण्यों में इस क्षेत्र से जुड़े अवसर उपलब्ध हैं। आप यहां वन्यजीव-जीवविज्ञानी, वन्यजीव पारिस्थितिकी विज्ञानी, वन्यजीव प्रबंधक, वन्यजीव शिक्षक, वन्यजीव संरक्षक, वन्यजीव फॉरेंसिक विशेषज्ञ, वन्यजीव स्वास्थ्य और पशुपालन विशेषज्ञ, वन्यजीव वैज्ञानिक, वन्यजीव शोधकर्ता, वन्यजीव फोटोग्राफर व पत्रकार, पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषक, पक्षीविज्ञानी और वन्यजीव सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा सकते हैं। दुनिया भर के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करने के लिए समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं।
क्या पढऩा होगा
इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए वन्यजीव प्रबंधन स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीएचडी, जैविक विज्ञान, एमफिल, वन्यजीव विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान में एमएससी, बीएससी या बीवीएससी एंड ए.एच, एमएससी, जैविक विज्ञान, वानिकी में बीएससी, पारिस्थितिकी विकास में एमएससी, वन्यजीव?बीएससी डिग्री, प्रबंधन स्नातकोत्तर डिग्री और पारिस्थितिकी एवं प्रबंधन में प्रमाण-पत्र प्राप्त कर आप अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
वेतन
रिसर्च और विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले पर्यावरण विशेषज्ञों का शुरुआती वेतन करीबन 25,000 रुपए प्रतिमाह है। कॉर्पोरेट में यह आंकड़ा 50,000 रुपए से दो लाख के बीच होता है। फील्ड में काम करने के लिए शुरुआत किसी विशेषज्ञ के साथ सहायक के तौर पर जुड़कर की जा सकती है। अनुभव बढऩे के साथ वेतन में भी अच्छी बढ़ोतरी होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले विशेषज्ञों को वर्ष भर के लिए 25 लाख रुपए या उससे भी ज्यादा का भुगतान किया जाता है।
यहां से करें कोर्स
कुवेम्पु विश्वविद्यालय, शिमोगा, कर्नाटक
kuvempu.ac.in/
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई
tifr.res.in/index.php/en/
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून
fri.icfre.gov.in/
नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरु
ncbs.res.in/
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून
envfor.nic.in/wii/wii.html
गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर
ggu.ac.in/
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