लखनऊ, 10 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में मानसून की बेरुखी के चलते झ्झील, तालाब और पोखर तेजी से सूख रहे हैं, जिससे सिंचाई व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। बारिश न होने से राज्य सिंचाई विभाग के अधीन 50 से ज्यादा झीलों का 75 फीसदी पानी सूख चुका है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर और बांदा जिलों में फैली 24 झीलें लगभग सूख चुकी हैं। यही हाल मिर्जापुर जिले की झ्झीलों का हो चुका है। जिले की घोरी झ्झील में केवल 13 फीसदी, बेलन में पांच फीसदी, अदवा में पांच फीसदी और बाखर में चार फीसदी पानी शेष बचा है।
चंदौली जिले की लतीफशाह और भैनसोरा और सोनभद्र जिले की नगावा झ्झीलों में सिर्फ पांच प्रतिशत पानी ही बचा है। जल्द ही अगर पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो स्थिति गंभीर हो जाएगी और सभी झीलें पूरी तरह से सूख जाएंगी।
प्रदेश में अल्पवृष्टि की स्थिति ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन मानसून की सुस्ती को देखकर अब 52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई की उम्मीद है।
मानसून की स्थिति को देखते हुए खरीफ की फसलों की पैदावार पर 20 से 30 फीसदी फर्क पड़ने की आशंका है। अनुमान है कि अब धान की पैदावार 135 मीट्रिक टन के लक्ष्य से घटकर 131 लाख मीट्रिक टन होगी। दलहन और तिलहन फसलों की पैदावार का 245 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य घटकर 245 लाख मीट्रिक टन होगा।
प्रदेश के कृषि निदेशक रजित राम वर्मा ने आईएएनएस को बताया कि सूबे की 70 फीसदी कृषि भूमि की सिंचाई नलकूपों और नहरों के जरिए होती है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की तरफ से साफ निर्देश दिए गए हैं कि गांवों को कम से कम 8 से 10 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए। चाहे इसके लिए शहरों से बिजली की कटौती ही करनी पड़े।
राज्य मौसम विभाग के मुताबिक एक से छह जुलाई के बीच सूबे के हर जिले में औसत 44.4 मिलीमीटर बारिश ही हुई, जो सामान्य से 67 फीसदी कम है। सबसे बुरी स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है, जहां अब तक सामान्य से 76 प्रतिशत कम बारिश हुई।
मौसम विभाग के मुताबिक राज्य में अगले छह-सात दिनों में मानसून के फिर से सक्रिय होने की संभावना है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर और बांदा जिलों में फैली 24 झीलें लगभग सूख चुकी हैं। यही हाल मिर्जापुर जिले की झ्झीलों का हो चुका है। जिले की घोरी झ्झील में केवल 13 फीसदी, बेलन में पांच फीसदी, अदवा में पांच फीसदी और बाखर में चार फीसदी पानी शेष बचा है।
चंदौली जिले की लतीफशाह और भैनसोरा और सोनभद्र जिले की नगावा झ्झीलों में सिर्फ पांच प्रतिशत पानी ही बचा है। जल्द ही अगर पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो स्थिति गंभीर हो जाएगी और सभी झीलें पूरी तरह से सूख जाएंगी।
प्रदेश में अल्पवृष्टि की स्थिति ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन मानसून की सुस्ती को देखकर अब 52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई की उम्मीद है।
मानसून की स्थिति को देखते हुए खरीफ की फसलों की पैदावार पर 20 से 30 फीसदी फर्क पड़ने की आशंका है। अनुमान है कि अब धान की पैदावार 135 मीट्रिक टन के लक्ष्य से घटकर 131 लाख मीट्रिक टन होगी। दलहन और तिलहन फसलों की पैदावार का 245 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य घटकर 245 लाख मीट्रिक टन होगा।
प्रदेश के कृषि निदेशक रजित राम वर्मा ने आईएएनएस को बताया कि सूबे की 70 फीसदी कृषि भूमि की सिंचाई नलकूपों और नहरों के जरिए होती है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की तरफ से साफ निर्देश दिए गए हैं कि गांवों को कम से कम 8 से 10 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए। चाहे इसके लिए शहरों से बिजली की कटौती ही करनी पड़े।
राज्य मौसम विभाग के मुताबिक एक से छह जुलाई के बीच सूबे के हर जिले में औसत 44.4 मिलीमीटर बारिश ही हुई, जो सामान्य से 67 फीसदी कम है। सबसे बुरी स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है, जहां अब तक सामान्य से 76 प्रतिशत कम बारिश हुई।
मौसम विभाग के मुताबिक राज्य में अगले छह-सात दिनों में मानसून के फिर से सक्रिय होने की संभावना है।
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