उधार काढ़ि ब्यौहार चलावै छप्पर डारै तारो


उधार काढ़ि ब्यौहार चलावै छप्पर डारै तारो।
सारे के सँग बहिनी पठवै तीनिउ का मुँह कारो।।


शब्दार्थ- ब्यौहार-सूद पर रूपया उधार देना। तारो- ताला।

भावार्थ- उधार लेकर कर्ज देने वाला, छप्पर में ताला लगाने वाला और साले के साथ बहन भेजने वाला, घाघ कहते हैं इन तीनों का मुँह काला होता है।

Path Alias

/articles/udhaara-kaadhai-bayaauhaara-calaavaai-chapapara-daaraai-taarao

Post By: tridmin
×