झारखंड के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मन्त्री सरयू राय लम्बे समय से दामोदर बचाओ आन्दोलन की अगुआई कर रहे हैं। तब और अब में काफी फर्क आ गया है। पहले वे सरकार में नहीं थे, अब सरकार में है। दामोदर बचाओ आंदोलन में अब क्या स्थिति होगी। इस सन्दर्भ में बातचीत-
दामोदर नदी के सन्दर्भ में क्या मान्यताएँ हैं?
हिन्दू धर्म के अनुसार दामोदर नदी का उत्पत्ति गंगा नदी से पहले हुई है इसलिए दामोदर नदी का नाम पहले देवनद था। वर्तमान भौतिक युग में इस नदी के दोनों ओर औद्योगिक साम्राज्य स्थापित हो गया है। जिसके कारण दामोदर नदी के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
दामोदर आन्दोलन कब से आरम्भ हुआ?
वर्ष 2004-2005 में स्वयंसेवी एवं सामाजिक संगठनों के साझा के रूप में दामोदर बचाओ आन्दोलन की शुरूआत हुई। 29 मई 2004 को गंगा दशहरा के दिन इसके उद्गम स्थल चुल्हापानी से लेकर डीभीसी के मुख्यालय कोलकाता तक एक अध्ययन सह जनजागरण यात्रा आयोजित की गई और जगह-जगह से प्रदूषित जल के नमूने एकत्र किए गए। इसके जाँच के निष्कर्ष से सरकारों को वाकिफ कराया गया। इसके बाद से तो सिलसिला चल पड़ा।
अब तक किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जब कोई आन्दोलन होता है तो अनेक चुनौतियाँ आती हैं और अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। आन्दोलन की सफलता तभी है जब हम निरन्तर उसे आगे बढ़ाते रहें।
सरकार पर दवाब डालने के लिए क्या प्रयास किए गए?
सरकार दवाब बनाने के लिए अनेक मोर्चों पर प्रयास किया गया। संसद के समक्ष घरना से लेकर अनेक कार्यक्रम जहाँ किए गए और आन्दोलन में लोकभागीदारी बनाई गई। गंगा दशहरा के दिन दामोदर महोत्सव मनाने का फैसला लिया गया और लगातार इसका आयोजन किया जाता रहा है। नदी को प्रदूषण मुक्त करने तथा इसे औद्योगिक साम्राज्य से बचाने के लिए इसकी शुरुआत लोहरदगा-लातेहार जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चूल्हा पानी से हुई। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
आन्दोलन का क्या असर पड़ा?
आन्दोलन का असर तो पड़ा है। केन्द्रीय कोयला व ऊर्जा मन्त्री पियूष गोयल का रूख सकारात्मक है। इसके लिए सरकार ने विशेष बैठक बुलाई। केन्द्रीय कोयला व ऊर्जा मन्त्री पियूष गोयल ने दामोदर वैली कारपोरेशन तथा कोल इण्डिया की कम्पनियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि तीन माह के भीतर वे सुनिश्चित करें कि उनकी गतिविधियों से दामोदर नदी एवं इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण नहीं होगा। उन्होंने आदेश दिया कि छाई और स्लरी युक्त पानी की एक बूँद भी दामोदर में नहीं गिरे बल्कि इसे बन्द परिपथ में रखकर इसका विविध उपयोग किया जाए।
जल संसाधन मन्त्री ने भी तो दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए विशेष राशि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है?
हाँ उन्होंने आश्वासन दिया है।
क्या इसके लिए कोई कार्ययोजना बनी है?
राज्य और केन्द्र इस नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कार्य योजना बनायें। हम तो यह कह रहे हैं कि इस नदी को गन्दा करने का खेल बन्द होना चाहिए। सरकार ने तीन माह का समय माँगा है।
आपने न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाने की बात कही है?
हमें उम्मीद है कि सरकार ऐसी स्थिति नहीं आने देगी।
/articles/udayaoga-pahalae-na-daiyaon-kao-ganadaa-karanaa-banada-karae-sarayauu-raaya