tds गणना कैसे होती है, और कितना टीडीएस ठीक है (TDS level in water in Hindi)

टीडीएस क्या है?

पानी में घुली हुई सभी चीजों को टीडीएस (टोटल डिसॉल्वर्ड सॉलिड्स) कहते हैं। इसमें सॉल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, कार्बोनेट, क्लोराइड आदि आते हैं। ड्रिंकिंग वॉटर को रोलिंग के लिए टीडीएस पीएच और कठोरता लेवल देखा जाता है। बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) टीडीएस सहन कर सकता है। अगर यह लेवल 1000 पीपीएम हो जाता है तो शरीर के लिए नुकसानदेह हैं। लेकिन वर्तमान में आरओ से फिल्टर्ड पानी में 18 से 25 पीपीएमएम टीडीएस मिल रहा है जो काफी कम है। यह ठीक नहीं माना जा सकता है। इससे शरीर में कई तरह के मिनरल नहीं मिल पाते हैं। यहां एक सवाल और है कि हमारे घरों में जो पीने के पानी की सप्लाई सरकारी एजेंसियां ​​करती हैं, उनकी कितनी जांच होती है?1

सरकारी एजेंसियां ​​पानी कैसे साफ करती हैं?

एजेंसियों के शीतकालीन ट्रीटमेंट प्लांट में पानी नदी या नहर के जरिए आता है तो सबसे पहले पानी में मौजूद अशुद्धियों की जांच होती है। इसके बाद तय किया जाता है कि उस पानी को किस विधि से साफ किया जाना चाहिए।

1. पानी की जांच करने के बाद इसमें क्लोरीन मिलाई जाती है। उसके बाद फिटकरी, पोली एल्युमिनियम क्लोराइड मिलाया जाता है, जिससे पानी की गंदगी साफ हो सकती है।

2. इसके बाद पानी क्लोरीफायर में चला जाता है, जहां अशुद्धियां और गाद नीचे बैठ जाती हैं। यहां पानी की दो बार टेस्टिंग होती है।

3. क्लेरीफायर से पानी फिल्टर हाउस में जाता है, जहां पानी छाना जाता है। फिर से पानी की जांच होती है। इसके बाद पानी को प्लांट में मौजूद जलाशयों में भेजा जाता है। यहां पर दोबारा से क्लोरीनेशन होता है। पानी साफ करने के बाद जितना बार पानी की जांच होती है, उसमें घनीकरण और अघनीकरण अशुद्धियों की जांच की जाती है। अगर पानी में कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो पानी की सप्लाई रोक दी जाती है। प्लांट से पानी साफ होने के बाद अंडर ग्राउंड रिजरवॉयरों में जाता है। यहां भी घरों में सप्लाई करने से पहले जांच की जाती है। इसके बाद भी जल बोर्ड के लोगों के घरों में भी पानी के सैंपल जांच के लिए उठाता है। इसलिए आरओ कंपनियों का आरोप गलत है कि जल बोर्ड पानी की जांच सही से नहीं करता है।

पीने के पानी के लिए


बीआईएस मानक
टीडीएस: 0-500 पीपीएम
पीएच स्तर: 6.5-7.5


डब्ल्यूएचओ मानक
- पानी में 300 से कम टीडीएस है तो उसे एक्सेलेंट कैटिगरी का माना जाता है।
- 300 से 600 के बीच की टीडीएस को चाहे कैटिगरी में माना जाता है।
- 600 से 900 के बीच के टीडीएस को फेयर कैटिगरी में माना जाता है।
- 1200 से ज्यादा के टीडीएस वाले पानी को खराब कैटिगरी में माना जाता है।

 

टीडीएस को समझने के लिए इन लेखों का अध्ययन जरूर करें।

1 - टीडीएस (TDS) सम्बन्धी सवाल

2 - टीडीएस (कुल विघटित ठोस) का का मतलब होता है पूर्णत: घुले हुए ठोस पदार्थ। टीडीएस पानी में घुले हूए सभी कार्बनिक और अकार्बनिक ठोस पदार्थों का माप है। पानी में अकार्बनिक पदार्थ जैसे कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, सोडियम, क्लोराइड और सल्फेट्स आदि पाए जाते हैं और कुछ मात्रा में कार्बनिक पदार्थ भी होते हैं। पानी में इन खनिजों की एक निश्चित मात्रा तक उपस्थिति स्वास्थ के लिए आवश्यक है। लेकिन एक स्तर से अधिक ये नुकसान'सक्रिय है। टीडीएस का उपयोग पानी की शुद्धता को जांचने के लिए किया जाता है। इसका माध्यम से पता लगाया जाता है कि पानी शुद्ध है या नहीं और पीने योग्य है या नहीं। टीडीएस को एमजी प्रति इकाई मात्रा (मिलीग्राम / लीटर) की इकाइयों में लिखा जाता है या इसे भागों प्रति मिबिलियन (पीपीएम) के रूप में भी व्यक्त किया जाता है।

 

स्रोत  - 

1 -  नवभारत टाइम्स 

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Post By: RuralWater
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