दुनिया को धीरे-धीरे अपनी चपेट में ले रही ग्लोबल वार्मिंग ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अटलांटा, चीन और इंडोनेशिया में तूफानों के कहर में ग्लोबल वार्मिंग की अहम भूमिका है। पिछले कुछ सालों में दुनिया भर के कई देशों में तूफानों की संख्या में इजाफा हुआ है। नवीनतम शोध के मुताबिक इस सदी के अंत तक अटलांटा और न्यूयॉर्क में तूफानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। रिसर्चरों का मानना है कि मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैसों में लगातार इजाफे से भी ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है। वेस्ट लेफेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेफ टे्रप ने बताया कि इससे असमय बारिश, बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं बढ़ी है। प्रभावित इलाकों में आर्थिक नुकसान के अलावा सामाजिक तानाबाना पर बुरा असर पड़ता है।
ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) बढ़ने का मतलब है कि हमारी पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है। इससे आने वाले दिनों में सूखा, बाढ़ ओर मौसम की मिजाज बुरी तरह बिगड़ने की आशंका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय दुनिया का औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड है। वर्ष 2100 तक इसमें 1.5-6 डिग्री तक बढ़ोतरी हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण औद्योगीकरण, जंगलों का तेजी से कम होना, पेट्र्रोलियम पदार्थों से उत्सर्जित प्रदूषण, फ्रिज-एयरकंडीशन का बढ़ता प्रयोग आदि है।
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