![जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करेगी राज्य सरकार](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/springs_3.png?itok=MnVvW0g3)
जल जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करेगी राज्य सरकार,फोटो:इंडिया वाटर पोर्टल(फ्लिकर)
उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों से सूखे की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने जल स्रोतों को दोबारा ज़िंदा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य सरकार करीब 300 करोड़ रुपए खर्च करेगी। हालहि में पानी की बढ़ती समस्या को लेकर पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें ये निर्णय लिया गया कि पानी की कमी को दूर करने के लिए जल संरक्षण की विभिन्न तकनीक और जल स्त्रोतों को पुनः पुनर्जीवित किया जाएगा।
इस दौरान उन्होंने यह कहा कि योजना के तहत ग्राम पंचायत के जरिए उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा जहां पेयजल की सबसे अधिक समस्या है और पानी के स्त्रोत नहीं है इसे पंचायत के माध्यम से कार्य किया जाएगा। इसमें लगभग 300 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है(सांख्यिकी डायरी के अनुसार) जिसमें 86.07 प्रतशित भाग पर्वतीय है जबकि 13.93 भाग मैदानी है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में 8 से 10 किलोमीटर के बीच ऐसे क्षेत्र है जहां जल स्रोत नहीं है या सूख गए हैं।
ऐसे में राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इन क्षेत्रों में जल की समस्या को दूर करने के लिए बरसाती जल स्त्रोत का उपयोग किया जाएगा जिसे ढाई लाख लीटर क्षमता वाले टैंक में संग्रह कर साफ सफाई के बाद बरसात के बाद उपयोग में लाया जाएगा। पहाड़ों में पानी की उपलब्धता 95% वर्षा पर निर्भर करती है।जल संरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने बरसाती जल स्त्रोत पर अधिक जोर दिया है क्योंकि इसका उपयोगपरंपरागत रूप से किया जाता है साथ ही इसमें खर्चा भी काफी कम आता है ।
राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की ओर से साल 2020 में पहाड़ो में बड़े जल स्त्रोतों को लेकर एक अध्ययन किया गया था जिसमें यह बात सामने आई थी प्रदेश में लगभग 14 जल स्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं। 77 स्रोतों का जल स्तर 75 प्रतिशत से अधिक पूरी तरह सूख चुका है।
राज्य के 330 स्रोतों में से करीब 50 प्रतिशत की कमी आ चुकी है। वही 1229 स्प्रिंग स्रोतों के जल स्तर पर्यावरणीय व अन्य वजह से प्रभावित हुए है। राज्य सरकार की ये पहल कितने जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करती है ये आने वाले समय बताएगा। लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा बढ़ती पानी की समस्या को गंभीरता से लेना एक अच्छे संकेत है।
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