सहारनपुर शहर के बीच से प्रवाहित नाले के समान दिखने वाली पाँव धोई नदी को पुनर्जीवित करने की पहल ने एक बार फिर तेजी पकड़ ली है। यह प्रयास नदी को नया जीवन देने के लिये जिले के आला सरकारी अफसरों और नागरिक संगठनों से जुड़े प्रबुद्ध लोगों की पहल पर गठित की गई ‘पाँव धोई बचाव समिति’ के माध्यम से किया जा रहा है।
गौरतलब है कि सहारनपुर स्मार्ट सिटी योजना के तहत नामित देश के 100 शहरों में से एक है। केन्द्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के अन्तर्गत ही ‘पाँव धोई नदी’ के उत्थान की कवायद शुरू हो गई है। इस कार्य के लिये तैयार की गई योजना के अनुसार नदी को पूर्णतः प्रदूषण मुक्त किया जाना है। इस विषय पर बात करते हुए ‘पाँव धोई बचाव समिति’ के उपसचिव डॉ. पीके शर्मा ने कहा “नदी में गिरने वाले सभी नालों के अवजल का उपचार किये जाने की योजना है ताकि इसे प्रदूषण मुक्त किया जा सके। इसके लिए प्रयास शुरू कर दिये गये हैं। जिसका असर भी अब दिखने लगा है।” उन्होंने बताया कि नदी के ऊपरी बहाव क्षेत्र से मलबे को साफ करने, किनारों को चौड़ा करने के साथ ही तल को गहरा करने का कार्य शुरू हो चुका है।
मिली जानकारी के अनुसार आठ किलोमीटर लम्बी इस नदी को कचरामुक्त करने और सदानीरा बनाने के लिये गोमती नदी के विकास का मॉडल अपनाये जाने की योजना है। इसके तहत नदी के ऊपरी बहाव क्षेत्र में दो चेक डैम बनाने का निर्णय लिया गया है जो इसे सदानीरा बनाये रखने में मददगार साबित होंगे।
“इस नदी का उद्गम स्थल एक स्प्रिंग है। इसका जल स्तर कम है। इसीलिए चेक डैम का निर्माण आवश्यक है ताकि पानी के स्तर को बरकरार रखा जा सके,” डॉ. पीके शर्मा ने कहा। इन दोनों चेक डैम के बीच की दूरी एक किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा कचरा शोधन के लिए यहाँ 40 एमएलडी की क्षमता वाले दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाने की भी योजना है।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले पाँव धोई नदी के ऊपरी बहाव क्षेत्र में व्यापक सफाई अभियान चलाया गया। इस अभियान की बागडोर कमिश्नर चंद्र प्रकाश त्रिपाठी के हाथों में थी। उनकी अगुआई में हजारों की संख्या में उपस्थित होकर लोगों ने इस सफाई अभियान में हिस्सा लिया। इस दौरान सहारनपुर शहर के समीप शकलापुरी में स्थित नदी के उद्गम स्थल की विशेष तौर पर सफाई की गई। इस अवसर पर कमिश्नर ने कहा कि कभी शहर की शान माने जाने वाली इस नदी को फिर उसी रूप में लाना है और यह तभी सम्भव है जब इस पुनीत कार्य में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। नदी की सफाई के लिये “पाँव धोई हमारी शान, सब मिलकर भर दें इसमें जान” नारा भी दिया गया है।
लेकिन ये विवरण नदी को पुनर्जीवित करने के इस अभियान के केवल सकारात्मक पहलू हैं। इसके कई नकारात्मक पहलू भी हैं। इस अभियान से जुड़े लोगों की मानें तो नदी को निर्मल बनाने की यह कवायद 2010 से ही शुरू हो गई थी लेकिन स्थिति लगभग वहीं की वहीं है। हालाँकि, पूर्व में चलाये गये सभी अभियान नागरिक संगठनों द्वारा चलाये गये थे। वहीं, वर्तमान में शुरू किया गया अभियान पूर्णतः सरकारी है। ‘पाँव धोई बचाव समिति’ के सदस्य सुशांत सिंघल के अनुसार वर्तमान में चलाये जा रहे अभियान से कुछ उम्मीद तो जगी है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वो कहते हैं कि “नदी को साफ और स्वच्छ बनाने के लिये सबसे पहले इसमें गिरने वाले नालों के पानी को ट्रीट करना होगा। इसके लिये सरकारी स्तर पर प्रयास करना जरूरी है”।
आपको बता दें कि पाँव धोई नदी में बहने वाले सैकड़ों नालों में से 98 सहारनपुर नगर निगम के हैं। लेकिन इनसे नदी में आने वाले गन्दे पानी को ट्रीट करने की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हाँ नदी में गिरने वाले इस अवजल को साफ करने की योजना जरूर बनाई गई है जो अभी पेपरों तक ही सिमटी है। इसके अलावा चीनी मिलों से निकलने वाला कचरा भी पाँव धोई के अतिरिक्त अन्य नदियों के प्रदूषण की एक मुख्य वजह है। पाँव धोई, धमोला नदी की सहायक नदी है।
पाँव धोई के अतिरिक्त धमोला में भी चीनी मिल से निकलने वाला कचरा गिरता है जिससे ये प्रदूषित हो रही है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘पाँव धोई बचाव समिति’ को नदी को स्वच्छ बनाने के लिये लम्बी जद्दोजहद करनी होगी। सहारनपुर के जिलाधिकारी इस समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं। समिति में जिलाधिकारी के अलावा कुल 22 लोग शामिल हैं जिसमें 10 सरकारी अफसर और अन्य विभिन्न क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले शहर के प्रतिष्ठित लोग हैं।
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