उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), द्वारा टेक फॉर सेवा के संयुक्त तत्वाधान में 19 मई 2022 को देहरादून जिले के स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिये यूसर्क सभागार में ‘‘तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम‘‘ का दीप प्रज्जवलन कर आयोजन प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये यूसर्क की निदेशक प्रो0 (डा0) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा विगत वर्ष आयोजित पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह निर्णय लिया गया कि राज्य के जल स्रोतों के महत्व को देखते हुये मासिक आधार पर ‘जल विज्ञान प्रशिक्षण’ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये। इसी के अन्तर्गत प्रत्येक माह जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन प्रारंभ किया गया है। प्रो0 रावत ने कहा कि जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को जल के विभिन्न आयामों जैसे जल की गुणवत्ता का अध्ययन, जल संरक्षण, जलस्रोतों का संवर्धन आदि को विभिन्न व्याख्यानों, हैण्डस आन टेनिंग, फील्ड विजिट आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में सम्बन्धित विषय पर ज्ञानवर्धन हेतु एक प्लेटफार्म प्रदान किया गया है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक व यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुये इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को विशेषज्ञ व्याख्यान तथा हैण्डस आन टेनिंग के माध्यम से जल विज्ञान विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। डा0 शर्मा ने बताया ने इस तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम में देहरादून जनपद के पांच उच्च शिक्षण संस्थानों राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर; राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर, विकास नगर; ग्राफिक ऐरा (हिल) विश्वविद्यालय; डाॅल्फिन पी. जी. इंस्टीट्यूट आफ बायोमेडिकल एण्ड नेचुरल साइंसेज; साईं इंस्टिट्यूट देहरादून के बी0एस0सी0 एवं एम0एस0सी0 कक्षाओं के 20 छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।
कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने यूसर्क की विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों तकनीकी आधारित विज्ञान शिक्षा, मेंटरशिप कार्यक्रम, ज्ञान कोष पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया तथा सभी छात्र-छात्राओं से उसमें जुड़ने तथा ऑनलाइन मार्गदर्शन प्राप्त करने को कहा। वैज्ञानिक डॉ मंजू सुंदरियाल द्वारा समस्त विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
प्रथम तकनीकी सत्र का प्रथम विशेषज्ञ व्याख्यान वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर संतोष राय ने ‘‘यूज ऑफ आइसोटोप इन स्प्रिंग रेजुवेनशन‘‘ विषय पर अपना व्याख्यान दिया । उन्होंने बताया कि आइसोटोप तकनीकी द्वारा पर्वतीय जलस्रोतों का पुनर्जीवीकरण किया जा सकता है तथा पर्वतीय भूभाग में जल की उपलब्धता विषयक समस्या को हल किया जा सकता है। अलग अलग जगह के जलस्रोतों के जल की पहचान आइसोटोप तकनीकी द्वारा की जा सकती है और पुराने जल स्रोत विज्ञान एवम तकनीकी द्वारा फिर से जीवित किये जा सकते हैं ।
तकनीकी सत्र का दूसरा व्याख्यान ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय देहरादून के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर संजीव कुमार ने ‘‘रेन वाटर हार्वेस्टिंग एंड ग्रे- वाटर मैनेजमेंट‘‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीकी देश के ग्रामीण भागों में जहां पर कोई सतही जल का स्रोत नहीं है वहां पर उपयोगी होने के साथ साथ जहां जहां भूजल में आर्सेनिक आदि का प्रदूषण है वहां पर भी उपयोगी है। उन्होंने घर के बाथरूम एवम रसोई से निकलने वाले ग्रे-वाटर को उपचारित कर पुनः प्रयोग करने के विषय में बताया । उन्होंने कहा कि ग्रे-वाटर प्रबंधन करके जल की समस्या का समाधान किया जा सकता है ।
तकनीकी सत्र का तीसरा व्याख्यान यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ‘‘जल संरक्षण की विधिया‘‘ विषय पर देते हुए घरेलू कार्यों, औद्योगिक स्थलों, सार्वजनिक स्थानों, कृषि कार्यों में जल संरक्षण की विधियों को बताया । डॉक्टर शर्मा ने वर्षा जल का प्रयोग भूजल रिचार्ज में करने की विभिन्न विधियों जैसे रिचार्ज पिट, रिचार्ज सॉफ्ट, रिचार्ज ट्रेंच, परकोलशन टैंक, पुराने अनुपयोगी कुओं का प्रयोग करके भूजल रिचार्ज करने के साथ साथ जलागम प्रबंधन करने के तरीके बताये जिससे जल की समस्या का स्थायी समाधान हो सके ।
कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों के प्रश्नों का समाधान विशेषज्ञों द्वारा किया गया । कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम् प्रकाश नौटियाल, डॉ मंजू सुंदरियाल, डा0 भवतोष शर्मा, डॉ राजेंद्र सिंह राणा, आईसीटी टीम के उमेश चन्द्र सहित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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