तेरह कातिक तीन अषाढ़।
जो चूका सो गया बजार।।
शब्दार्थ- चूका- भूलना।
भावार्थ- जो किसान तेरह बार कार्तिक और तीन बार आषाढ़ में खेत जोतने से चूका, वह बाजार से ही अन्न खरीद कर खायेगा अर्थात् जो ऐसा नहीं करेगा उसे अन्न नहीं मिलेगा।
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