दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली के तालाबों, जलाशयों, झीलों और बावड़ियों की स्थिति रिपोर्ट और उनके संरक्षण के लिये सरकार की नीति एवं उठाए गए कदम की जानकारी माँगी थी। उसके बाद दिल्ली में तालाबों एवं जलाशयों की स्थिति पर एक सर्वेक्षण कराया गया। सर्वेक्षण में कई तालाब लुप्त हो चुके थे।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार दिल्ली में कुल 1012 तालाब दर्ज हैं। लेकिन भौतिक सत्यापन के दौरान 629 तालाब ही सामने आये। दिल्ली में तालाबों को पुनर्जीवित करने में एक तरफ सरकारी विभाग तो दूसरी तरफ गैर सरकारी एवं सामाजिक संगठन लगे हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिये जो नीति बनाई है। उसमें तालाब के चारों तरफ सौंदर्यीकरण के नाम पर पहले पार्क बनाता है।
तालाब के चारों तरफ पक्का निर्माण कराया जाता है। पक्की पगडंडी एवं तालाब में पानी के लिये ट्यूबवेल की बोरिंग कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में तालाब में बारिश का पानी नहीं जा पाता है। जिससे उसके भूमिगत जलस्रोत सूख जाते हैं। डीडीए के इस तरीके पर पर्यावरणविद सवाल उठाते रहे हैं।
दरअसल, डीडीए ने दिल्ली के मसूदपुर में एक तालाब को ऐसे ही चारों तरफ से कंक्रीट से घेर दिया। कुछ साल में ही वह तालाब सूख गया। अब डीडीए उसी तरह से पूर्वी दिल्ली के संजय झील को सजा रहा है। संजय झील कृतिम झील है जो त्रिलोकपुरी में 170 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
दिल्ली विकास प्राधिकरण के इस कदम का पर्यावरणविदों ने विरोध किया लेकिन डीडीए अपने गति से काम में लगा है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के पास भी डीडीए की इस नीति के अलावा दूसरी कोई नीति नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक छोटा केन्द्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ तेजी से बढ़ती आबादी वाला अत्याधुनिक शहरीकृत राज्य है। दिल्ली का अपना राजनैतिक व आर्थिक महत्व है। हालांकि, दिल्ली अपनी पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये काफी हद तक बाहरी संसाधनों जैसे-गंगा बेसिन, यमुना उप बेसिन, सिंधु बेसिन पर निर्भर है।
इन संसाधनों का तेजी से दोहन होने की वजह से इनकी क्षमता में तेजी से गिरावट आ रही है। इसके अलावा दिल्ली की 1.8 करोड़ लोगों की आबादी के लिये एक कुशल और नियमित रूप से प्रभावी मलजल उपचार की जरूरत है। वर्ष 2001 में दिल्ली की मौजूदा जनसंख्या में 138 लाख की वृद्धि दर्ज की गई थी और 167 लाख की वृद्धि वर्ष 2011 में दर्ज की गई।
इसी तरह वर्ष 2021 तक दिल्ली की जनसंख्या में 230 लाख तक की वृद्धि का अनुमान है। फिलहाल दिल्ली में 33.41 लाख घरों में से सिर्फ 20 लाख घरों में पीने के पानी का पाइप कनेक्शन उपलब्ध है। इसी तरह एक अन्य अध्ययन में खुलासा हुआ है कि लगभग 50 लाख लोग ऐसे हैं जिनके घरों में आज भी पीने के पानी का पाइप कनेक्शन नहीं है और ये लोग टैंकर, बोरवेल नदी, नहर और तालाबों सहित अन्य पानी के स्रोतों के जरिए अपनी पानी की जरूरतें पूरी करते हैं।
दिल्ली में भूजल के स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है और यह बेहद चिन्ता का विषय है। दक्षिण व दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं जहाँ भूजल का स्तर सामान्य स्तर से 30-70 मीटर तक नीचे चला गया है। भूमिगत जल भण्डारों की गुणवत्ता भी बिगड़ती जा रही है और कई इलाकों में ये दूषित पानी मानव शरीर के लिये हानिकारक साबित हो रहे हैं।
दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिल्ली में भूमिगत जल में खारापन बढ़ रहा है। आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के समय दिल्ली के प्राकृतिक जलस्रोतों, जलाशयों एवं यमुना को लेकर कई वादे किये थे। ऐसी सोसाइटियाँ जो पीने के पानी के लिये भूजल पर निर्भर है वहाँ स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिये आरडब्ल्यूए और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी से एक नेटवर्क स्थापित करने की बात कही थी।
भूजल भण्डार के संरक्षण के लिये वर्षाजल संग्रहण बढ़ाने और दोहन को अनिवार्य बनाने एवं इस काम में लगे परिवारों को वाटर फ्रेंड फैमिली नाम देने की बात कही थी। इसके साथ ही यमुना नदी को फिर से जीवित का वादा किया था। यमुना नदी में गन्दे व प्रदूषित पानी की निकासी पर भी ध्यान देने की बात के साथ आम आदमी पार्टी ने नए-नए विचारों को तलाश कर वर्षाजल संग्रहण, पुनर्भरण कुओं, बोरवेल, मिट्टी-जल संरक्षण कार्यक्रमों और अन्य छोटी परियोजनाओं को विकसित करने पर जोर देने का वादा किया था।
स्थानीय और विकेन्द्रीकृत जल संसाधनों के विकास को प्राथमिकता देने के साथ झीलों, तालाबों, बावड़ियों जैसे पुराने जल निकाय फिर से जीवित करने की बात जोर-शोर से उठाया था। इस काम में मोहल्ला सभा जैसे स्थानीय निकायों की साझेदारी से उनके संरक्षण पर जोर देने का वादा आम आदमी पार्टी ने किया था। आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने की दशा में तमिलनाडु की तरह वर्षा जल संग्रहण (आरडब्ल्यूएच) को अनिवार्य करने की बात कही थी।
इसके साथ ही यमुना नदी को पुनर्जीवित करने के लिये आम आदमी पार्टी ने निम्नलिखित बात कही थी।
1. यमुना नदी दिल्ली की संस्कृति का एक हिस्सा है। इसे पुनर्जीवित करना हमारी जिम्मेदारी है।
2. ब्रिटेन में सख्त नियमों के द्वारा टेम्स नदी को पुनर्जीवित किया गया। यमुना को पुनर्जीवित करने के लिये आम आदमी पार्टी की भी ऐसी ही योजना है।
3.उन उद्योगों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी जहाँ के अपशिष्टों की निकासी यमुना नदी में होती है। मौजूदा समय में दिन में निगरानी का प्रावधान है। जबकि अधिकांशत प्रदूषण रात के दौरान होता है। यमुना नदी में चौबीसों घंटे नजर रखने की व्यवस्था की जाएगी।
4. मल जल उपचार संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा और उसके पानी के सेकेंडरी इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा। इस पानी का इस्तेमाल बागवानी, कार धोने, शौचालयों में और अन्य प्रयोजनों के लिये किया जा सकता है।
5. यह पानी दिल्ली जल बोर्ड के लिये और अधिक राजस्व उत्पन्न कर सकते हैं। 45% घर अभी भी वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट से जुड़े नहीं हैं। 350 एमजीडी अपशिष्ट जल रोजाना बर्बाद हो जाता है। ट्रीटमेंट प्लांट अपशिष्ट जल का 30% तक की पुनरावृत्ति कर सकते हैं। और इससे रोजाना 100 एमजीडी अधिक पानी की आपूर्ति हो सकती है।
6. बाढ़ के पानी संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
7. यमुना पर सभी सरकारी और निजी निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
8. यमुना बाँध का निर्माण बन्द हो।
9. किसी तरह के अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
10 नदी की साफ-सफाई पर भी ध्यान दिया जाएगा।
लेकिन सत्ता में आने के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के पास भी तालाबों, जलाशयों, झीलों एवं बावड़ियों के लिये कोई कारगर नीति नहीं दिखती है।
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