तालाब-पोखर नहीं, तो कैसे होगा जलसंचय


नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष रजिया सलीम खान ने बताया कि सरकार सिर्फ योजना बना सकती है। उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रशासन की है। प्रशासन ईमानदारी नहीं बरतेगा, तो ऐसा होगा ही। उन्होंने डीएम से क्षेत्र में जलसंचय के लिये पोखर-तालाबों का पुराना अस्तित्व बहाल करने की मांग की है।

खुरजा/बुलंदशहर। सूखे की गंभीर समस्या से जूझ रहे बुलंदशहर में आखिर बारिश के जल का संचय कैसे हो। इसको लेकर सामाजिक संगठनों में मंथन शुरू हो गया है। प्रशासनिक साठगांठ से तालाब व पोखरों का अस्तित्व समाप्त होने से खुरजा में जल संचय करने का संकट मुँह बाए खड़ा है। देश-प्रदेश को आगामी वर्षों में सूखे से बचाने को केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत के निर्देश पर बारिश का जल संचयन के तमाम पुराने तालाब व पोखरों का अस्तित्व बहाल कर, उनकी खुदाई की जाएगी।

जल संचयन की दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन किस तालाब व पोखर में जल संचय किया जाए, इसे लेकर अब संकट खड़ा हो गया है। खुरजा के तेलियाघाट, ढांकर मोड़, देवी दुर्गा मन्दिर के पीछे, गंदे पानी की निकासी के साधन नाला है। जहाँ पर ढाई दशक पूर्व तक बड़ी-बड़ी पोखर थी, जिनका अस्तित्व समाप्त कर माफियाओं ने प्रशासन की साठ-गांठ से गगनचुम्बी इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। इस खेल में तहसील के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध बनी है। इसके अलावा शिवद्धेश्वर मंदिर मार्ग पर पीडब्ल्यूडी विभाग कर्मियों के आवास के निकट मस्जिद के पास बड़ी पोखर हुआ करती थी आज उस पर सड़क निर्माण कर पोखर के चिन्ह ही मिटा दिए हैं।

इससे इतर स्थिति सुभाष रोड पर लोहे की टंकी के पास एवं माताघाट की नहीं है। यहाँ भी माफियाओं ने पोखर पर कब्जा कर जमीन बेच बिल्डिंग खड़ी की है। नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष रजिया सलीम खान ने बताया कि सरकार सिर्फ योजना बना सकती है। उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रशासन की है। प्रशासन ईमानदारी नहीं बरतेगा, तो ऐसा होगा ही। उन्होंने डीएम से क्षेत्र में जलसंचय के लिये पोखर-तालाबों का पुराना अस्तित्व बहाल करने की मांग की है।

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