जसपुरा/बाँदा। बुन्देलखण्ड में सूखे से मुकाबले के लिये दो हजार तालाब खोदे जाएँगे। शासन का मानना है कि खेत में तालाब खोदे जाने से पानी एकत्र होगा। जो सिंचाई के काम आयेगा। उद्देश्य यह है कि इस योजना से जहाँ किसान जल संचयन कर खेती किसानी के लिये पानी का सिंचाई के लिये प्रयोग करेंगे वहीं घटते जलस्तर को सुधारा जा सकता है। साथ ही प्यासे जानवरों को भी पीने के लिये पानी की व्यवस्था हो जायेगी। शासन ने इस योजना को हरी झण्डी दे दी है। बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में दो हजार तालाब निर्माण कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन दिनों समूचा बुन्देलखण्ड सूखे की मार से जूझ रहा है। सूखे का सबसे अधिक असर महोबा जनपद में दिखाई देता है। इसके लिये शासन ने इस जिले में तालाब निर्माण का लक्ष्य भी सबसे अधिक 500 रखा है, वहीं अन्य जनपदों के लिये 250-250 का ही लक्ष्य रखा गया है।
50 फीसदी भूमि ही सिंचित
शासन की ओर से कहा गया है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र वर्षा पर आधारित है। यहाँ कुल कृषि योग्य 20.34 लाख हेक्टेयर भूमि हैं। इसमें से 10.18 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है।
नहरों से 4.66 लाख हेक्टेयर, निजी नलकूपों से 1.49 हेक्टेयर खेती की सिंचाई की जाती है। वर्षा न होने की वजह से सिंचित क्षेत्र में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में तालाबों का खोदा जाना आवश्यक है। जो इस समस्या से निजात दिलाएँगे।
क्षेत्र में औसत बारिश 875 मि.मी.
बुन्देलखण्ड में तालाब निर्माण का लक्ष्य व लागत | ||
जनपद | तालाबों की संख्या | लागत लाख में |
झाँसी | 250 | 262.50 |
जालौन | 250 | 262.50 |
ललितपुर | 250 | 262.50 |
बाँदा | 230 | 241.50 |
चित्रकूट | 250 | 262.50 |
हमीरपुर | 250 | 262.50 |
महोबा | 500 | 525.00 |
कृषि विवि | 020 | 021.00 |
योग | 2000 | 2260.00 |
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बारिश का औसत बेहद कम है। बारिश के दिनों में 50-55 दिनों में ही बारिश थम जाती है। जो औसत सामान्य वार्षिक 875 मि.मी. है। कई वर्षों से असामायिक बारिश भी होती है। ऐसे में बारिश होने से खेतों की उपजाऊ मिट्टी बहकर नदी नालों में चली जाती है। सिंचाई के अभाव में किसान फसलों की बुआई भी नहीं कर पाते हैं। तालाब बनेंगे तो किसान सिंचाई आदि कर पायेंगे।
दिया जायेगा प्रशिक्षण
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आसामयिक बारिश होने से वाष्पोत्सर्जन द्वारा पानी की हानि का प्रतिशत अत्यधिक होने के कारण कृषकों को खेती की विशेष तकनीक एवं वर्षाजल संचय, सूक्ष्म सिंचाई के लिये किसानों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर और जनपद स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जायेगा। जिसमें किसानों को सभी जानकारी दी जायेगी।
इस योजना का प्रारुप
सभी कृषकों को इसकी पात्रता श्रेणी में रखा जायेगा। चयन के समय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा लघु एवं सीमान्त किसानों को प्राथमिकता दी जायेगी। स्थल का चयन माइक्रा वाटर शेड के आधार पर किया जायेगा। तालाब का निर्माण वाटर शेड के लोअर रिज पर या ड्रेनेज प्वाइंट पर किया जायेगा। तालाब स्थल ऐसी जगह होनी चाहिये जहाँ प्राकृतिक रूप से वर्षा का जल बहकर एकत्रित हो सके।
कैसे होगा तालाब निर्माण
योजना के तहत तालाब की खुदाई जेसीबी से कराई जायेगी। यदि लाभार्थी कृषक अपने स्वयं के ट्रैक्टर एवं जेसीबी द्वारा खुदाई करवायी जाती है तो उक्त कार्य पर किया गया व्यय मात्राकृत करते हुये कृषक अंश में सम्मिलित किया जायेगा। तालाब खुदाई के बाद तालाब की भीट व अन्य कार्य श्रमिकों द्वारा कराया जायेगा।
निर्माण पर रहेगी नजर
खेत में तालाब निर्माण के लिये परियोजना स्तर पर भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा क्रियान्वित कराया जायेगा। योजना की संचालन की जिम्मेदारी डीएम की होगी। कार्यक्रम की समीक्षा कर मासिक प्रगति मण्डलायुक्त व कृषि निदेशक भूमि संरक्षण अनुभाग कृषि भवन लखनऊ को उपलब्ध कराएँगे। मण्डल स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये उप कृषि निदेशक भूमि संरक्षण उत्तरदाई होंगे।
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