वर्टिकल फार्मिंग में खेती सपाट जमीन पर न होकर बहुमजली इमारतों पर की जाती है. इसे बहुमंजिला ग्रीनहाउस भी कहा जाता है. वर्टिकल फार्मिंग के अन्तर्गत बहुमंजली इमारतों पर नियंत्रित स्थितियों में फल, सब्जियाँ आदि उगाए जाते हैं. बहुमजली इमारत में रैकों के ऊपर पौधे उगाए जाते हैं. इन रैकों को हाइड्रोपोनिक सिस्टम के द्वारा पोषक तत्व पहुँचाए जाते हैं. हाइड्रोपोनिक सिस्टम में पौधों को उगाए जाने के लिए मिट्टी के स्थान पर खनिजयुक्त घोल का प्रयोग किया जाता है. इन रेकों का प्रबंधन बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है. इमारतों की दीवारे काँच की होती हैं. इसमें आधुनिक तकनीक से सिंचाई की जाती है. काँच की दीवारों के कारण पौधोंको निरन्तर सूर्य की रोशनी प्राप्त होती रहती है. सूर्य का प्रकाश पर्याप्त न होने पर एल.ई.डी. के बल्ब द्वारा प्रकाश व्यवस्था की जाती है।
कम्प्यूटर के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि घूमने वाली रैकों में उगने वाले प्रत्येक पौधे को एकसमान ही प्रकाश की प्राप्ति हो इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि पानी के पम्पों से पोषक तत्वों का वितरण एकसमान रूप से हो किसान अपने स्मार्ट फोन से सम्पूर्ण बहुमंजिला खेत की देखभाल कर सकते हैं.
वर्टिकल फार्म अथवा ऊर्ध्वाधर खेत में पौधों को ऊर्ध्वाधर अभिविन्यास में रोपित कर उत्पादन प्राप्त करना इसमें स्थान के वर्ग फूटेज के उपयोग को अधिकतम किया जा सकता है। अकसर यह एक दीवार अथवा बाड़ पर निलम्बित बढ़ते टंगे हुए ऊर्ध्वाधर रैकों के उपयोग के माध्यम से किया जाता है। ऊर्ध्वाधर खेती में बहुत छोटे स्थान का उपयोग किया जाता है। अतः यह छत के ऊपर और कृषि के अन्य शहरी रूपों के लिए एक लोकप्रिय एवं पसंदीदा तरीका हो सकता है। वर्टिकल खेती में इनडोर परिवेश में भी सावधानी से नियंत्रित परिस्थितियों (तापमान, आर्द्रता और प्रकाश व्यवस्था) में उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है (उदाहरण के लिए एक इमारत या गतिशील कंटेनर) कुछ ऊर्ध्वाधर खेतों में ग्रीन हाउस के समान स्थितियाँ होती हैं. इसमें दिन के समय सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए पैदावार ली जाती है. अन्य ऊर्ध्वाधर खेतों में पूरी तरह से घर के अन्दर कृत्रिम प्रकाश, नमी और तापमान को नियंत्रित कर खेती की जाती है।
सब्जियाँ हैं कृषि की कुछ फसलों जैसे- मक्का या अनाज आदि व्यवहारिक नहीं हैं। ऊर्ध्वाधर खेती के बाहरी भाग पर फलदार पेड़ों की छटाई करके (ताकि परम्परागत बाग के पौधों की तरह अधिक शाखाएं न हो) ऊर्ध्वाधर अभिविन्यास में जाली के ऊपर उगाया जा सकता है. कुछ लताएं विशेषकर अंगूर को भी लगाया जा सकता है.
वर्टिकल तकनीक का परिचय
वर्टिकल कृषि को सामान्य भाषा में खड़ी खेती भी कहा जा सकता है, जो खुले में की जा सकती है. इमारतों अथवा अपार्टमेंटों की दीवारों पर भी छोटी-मोटी फसलें उगाई जा सकती है. वर्टिकल फार्मिंग एक मल्टी-लेवल प्रणाली है। इसके तहत कमरों में एक बहुमजली ढाँचा खड़ा किया जाता है. यह कमरे की ऊँचाई के बराबर भी हो सकता है, वर्टिकल ढाँचे के सबसे निचले वाले खाने में पानी से भरा एक टैंक रख दिया जाता है. टैंक के ऊपरी खानों में पौधों के छोटे-छोटे गमले रख दिए जाते हैं।
पहले से ही पानी में पोषक तत्व मिश्रित रखे जाते हैं तथा पम्पों के द्वारा यह पानी काफी कम मात्रा में पौधों तक पहुँचाया जाता है। इसमें पौधों की वृद्धि तीव्र गति से होती है। सूर्य के प्रकाश से प्राप्त प्राकृतिक रोशनी अथवा एल.ई.डी. बल्बों के द्वारा कमरे में कृत्रिम प्रकाश उत्पन्न किया जाता है। इस प्रणाली में खेती के लिए मृदा की आवश्यकता नहीं होती है। इस तकनीक से उगाए गए फल एवं सब्जियाँ खेतों में उगाए गए फलों एवं सब्जियों की अपेक्षा अधिक पोषक और ताजे होते हैं. छत पर खेती करने के लिए तापमान को नियंत्रित करना आवश्यक है।
अमरीका, चीन, मलेशिया और सिंगापुर जैसे दुनिया के कई देशों पहले से ही वर्टिकल फार्मिंग की जा रही है। मार्च 2014 में अमरीका के स्क्रैटन शहर में दुनिया के सबसे बड़े वर्टिकल खेत का उद्घाटन हुआ था। यह एक मंजिला खेत है और 3-25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। पौधे उगाने के लिए यहाँ एक-दूसरे के ऊपर कई रैकें लगाई गई हैं। इसका निर्माण मिशिगन की ग्रीन स्पिरिट फार्मस (जीएसएफ) नामक एक कम्पनी ने किया है. यहाँ करीब 1-70 करोड़ पौधों को उगाया जा रहा है। इस वर्टिकल फार्म में प्रत्येक वर्ष लेट्यूस (सलाद पत्ते) की 14 फसलें तैयार की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ टमाटर, मिर्च, पालक, तुलसी और स्ट्राबेरी आदि की खेती भी की जा रही है। कम्पनी ने अमरीका के कई भागों में सूखे को देखते हुए इस वर्टिकल फार्म को डिजाइन किया है। अमरीका की रक्षा अनुसंधान एजेंसी, टैक्सॉस में एक 18 मंजिला फार्म में अनुवांशिक रूप से संशोधित पौधे उगा रही है. इन पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का उपयोग टीके बनाने में किया जाएगा।
दुनिया के दूसरे देशों में भी इन बहुमंजिला फार्मों को अपनाया जा रहा है। सिंगापुर में 4 मंजिला स्काईग्रीन वर्टिकल फार्म में पौधों के विकास के लिए कृत्रिम रोशनी के स्थान पर प्राकृतिक रोशनी को प्रयोग में लाया जाता है। इस फार्म में रखी चलती-फिरती रैकों में पत्तागोभी और सलाद पत्ते उगाए जाते हैं। जापान के क्योटो शहर में एक इंडोर फार्म में सलाद पत्तों का उत्पादन किया जाता है।
वर्टिकल फार्मिंग का उपयोग औषधीय खेती के लिए भी किया जा रहा है। कई कम्पनियों ने शहरी सेटिंग्स में स्टैकिंग पुनर्नवीनीकरण शिपिंग कंटेनरों को भी बनाया जा रहा है। बाइर्ससाईड कंसल्टिंग फर्म ने एक पूर्ण ग्रिड कंटेनर सिस्टम बनाया है। फ्रैंट फॉर्म एक 'पत्तेदार हरी मशीन' का उत्पादन करता है यह ऊर्ध्वाधर हाइड्रोपोनिक्स, एल ई.डी. प्रकाश और शिपिंग कंटेनर के भीतर निर्मित सहज प्रकाश नियंत्रण के साथ एक पूर्ण कार्म टू-टेबल सिस्टम है। पौडपोनिक्स ने अटलांटा में एक बड़े पैमाने पर ऊर्ध्वाधर खेत का निर्माण किया है। इसमें 100 से अधिक स्टैक 'प्रोपोड्स' शमिल हैं. ऐसे ही एक वर्टिकल फार्म का निर्माण ओमान में भी किया गया है. टेरा फार्म के पास शिपिंग कंटेनर प्रणाली का स्वामित्व है। इसमें पौधों की निगरानी के लिए तंत्रिका जाल (Neutral Net) के साथ एकीकृत कम्प्यूटर दृष्टि शामिल है. सभी पौधे दूर से ही कैलिफोर्निया स्थित एक केन्द्रीय स्थान से ही मॉनिटर किए जा सकते हैं।
उपयोग में आने वाले उपकरण
प्रभावी वर्टिकल खेती के लिए विभिन्न भौतिक विधियों का उपयोग किया जाता है. वर्टिकल फार्मिंग को वास्तविक बनाने के लिए इन प्रौद्योगिकियों और उपकरणों को जोड़ना भी आवश्यक है। इनमें सबसे आम प्रौद्योगिकियाँ निम्नलिखित हैं-
- ग्रीनहाउस
- ऊर्ध्वाधर बढ़ते अर्किटेक्चर
- एरोपोनिक्स
- कम्पोस्ट
- नियंत्रित पर्यावरण
- गमले
- कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था
- हाइड्रोपोनिक्स
- फाइटोरेमेडिएशन
- प्रेसीजन कृषि
- गगनचुंबी इमारत
- टेराफार्म
आज के बदलते परिवेश में वर्टिकल फार्मिंग एक वरदान
वर्टिकल फार्मिंग के समर्थकों का कहना है कि वर्टिकल खेत दुनिया में खाद्य आपूर्ति को अधिक सुनिश्चित कर सकते हैं। इन पर मौसम की अनिश्चितताओं का भी कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा। प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों में भी जरूरत की फसलें उगाई जा सकेंगी। यदि किसान हानिकारक कीटों से थोड़ी-सी सावधानी बरते तो वर्टिकल फार्मिंग में कीटनाशकों की आवश्यकता ही नहीं होगी। इस प्रकार के खेतों में सामान्य खेतों की तुलना में पानी की खपत भी कम होती है। इस प्रकार यह खेती हमें बदलती जलवायु में जैविक तथा अजैविक दोनों ही घटकों के विरुद्ध लड़कर हमें उच्चतम पैदावार देने में सक्षम है।
वर्टिकल फार्मिंग की भारत में वर्तमान स्थिति
आबादी बढ़ने के साथ निरन्तर कम होती कृषि योग्य भूमि को दृष्टिगत रखते हुए हमारे देश में भी वर्टिकल फार्मिंग पर विभिन्न शोध किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जयपुर में वर्टिकल खेती का सफल प्रयोग किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि इस खेती में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होता है, यानी कि उत्पादन पूर्ण रूप से आर्गनिक होता है। जयपुर स्थित एक विश्वविद्यालय में पिछले एक वर्ष से वर्टिकल खेती पर रिसर्च की जा रही है, जिसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक आए हैं. इस शोध के बाद आम लोग अपने घर की छतों पर भी उपयोग लायक सब्जियाँ पैदा कर सकेंगे. इसके लिए न तो उन्हें मृदा की आवश्यकता होती है और न ही तेज धूप की।
अब शहरों में भी होगी बहुमंजिला खेती
दुनिया भर की आबादी का तेजी सेन शहरीकरण हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक विकसित देशों की 86 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करने लगेगी। अतः बढ़ती हुई आबादी की खाद्य आवश्यकताओं को पारम्परिक तरीकों से पूरा करना कठिन हो जाएगा। दुनिया के शहरों में तेजी से बढ़ रही आबादी की खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कृषि वैज्ञानिक वर्टिकल खेती और बाग-बगीचे आदि को विकसित करने में जुटे हुए हैं।
हरित क्रान्ति अब बहुमंजिला इमारतों में भी होगी इस प्रकार खेत न केवल हमारे पर्यावरण के अनुकूल होंगे बल्कि इनसे शहरों की साग-सब्जियों तथा अन्य खाद्य सामग्रियों के संकट का हल खोजने में भी सहायता मिलेगी। खेत और फल-सब्जियों के बगीचे अकसर शहरों से काफी दूर होते हैं, इन खेतों का उत्पादन सदैव मौसम की दया पर निर्भर रहता है। सूखे जैसी परिस्थितियों में कृषि का उत्पादन भी प्रभावित होता है और - में कृषि का उत्पादन भी प्रभावित होता है और - शहरी आबादी का पेट भरना कठिन हो जाता है। 'ऊर्ध्वाधर खेती' शब्द गिलबर्ट एलिस बेली - के द्वारा वर्ष 1915 में अपनी पुस्तक वर्टिकल फार्मिंग में प्रयुक्त किया गया था। न्यूयॉर्क सिटी - में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के पर्यावरणशास्त्री डिक्सन डेस्पोमियर पिछले 15 वर्षों से वर्टिकल फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका सुझाव है कि ऐसे खेतों में हमें पूरे वर्ष साग-सब्जियाँ उगानी चाहिए. इससे परिवहन का व्यय बचेगा और कार्बन का उत्सर्जन करने वाले वाहनों का उपयोग भी कम हो जाएगा।
वर्टिकल फार्मिंग के लाभ
• बड़े पमाने पर यदि यह खेती की जाती है, तो खाने-पीने की वस्तुएं की कीमत भी कम हो जाएगी.
• वर्षभर आलू, टमाटर और पत्तेदार सब्जियाँ आदि को उगाया जा सकेगा।
• परिवहन का व्यय कम हो जाएगा।
• एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करने लगेगीअतः वर्टिकल फार्मिग एक तरह से भविष्य के लिए सुरक्षित होगी
• इससे पौधों में होने वाले रोग और कीट आदि समाप्त हो जाएंगे, जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी सीमित हो जाएगा।
• इसका लाम हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को होगा।
• काफी हद तक खाद संकट पर भी काबू पाया जा सकेगा, क्योंकि इस खेती में अनाज और सब्जियाँ शहरों में इमारतों के ऊपर ही पैदा किए जाते हैं।
• वर्टिकल फार्मिंग में पारम्परिक तरीकों की तुलना में 10 गुना कम पानी और 100 गुना कम भूमि का उपयोग किया जाता है।
• खेती के पारम्परिक तरीकों को छोड़ कर वर्टिकल फार्मिंग के उपयोग से कम लागत के साथ-साथ कम समय में अच्छी पैदावार और अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
• जहाँ पैदावार की खपत हो, उसी के आस-पास वर्टिकल फार्मिंग की जा सकती है, ताकि उपभोक्ता को लम्बी दूरी से परिवहन की आवश्यकता न हो।
• यह खेती देखने में भी आकर्षक लगती है और सिंचाई के पानी के लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग हो जाती है.
स्रोत :- प्रतियोगिता दर्पण/दिसम्बर/2023/106
/articles/steps-towards-vertical-farming