सूखती झीलों और तालाबों को बचाएगा डीडीए

जल संकट से निपटने की चुनौती


दिल्ली में जल समस्या को देखते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) से अपनी भूमि पर स्थित मुख्य जलाशयों के पुनर्जीवन, संरक्षण और विकास की बड़े पैमाने पर योजना बन रहा है। डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस तरह के फैसले किए गए। डीडीए अधिकारियों ने कहा कि 63 जलाशयों के पुनर्जीवन, संरक्षण, विकास के कार्य शुरू किए जाएंगे। इससे इन जलशयों की सुंदरता के अलावा शहर की जल समस्या का समाधान लंबे समय के लिए किया जा सकेगा।

फैसले के मुताबिक, डीडीए ने इसी साल अप्रैल में उन सभी एनजीओ, सेल्फ हेल्प ग्रुपों, सोसायटियों और अन्य निकायों को आमंत्रित किया जिन्हें जलाशयों की सफाई, पुनर्विकास और रख-रखाव का अनुभव है। इन एजंसियों के पास गैर सरकारी स्रोतों, जिनमें कारपोरेट सेक्टर भी शामिल है से फंड की व्यवस्था करने की क्षमता का आकलन होगा। पात्रता मानदंड में जलाशयों की सफाई में न्यूनतम पांच साल का अनुभव और संगठन, एनजीओ का प्रतिष्ठित होने और उसके पास ऐसे कार्य को करने के लिए अपेक्षित तकनीकी स्टाफ हो और उन्हें हाइड्रोलाजी, सिंचाई इंजीनियरिंग का ज्ञान होना सम्मिलित था।

डीडीए ने सभी जांच के बाद चार एजेंसियों का चयन किया है। इनमें मथुरा और वृंदावन में काम करने वाले ब्रज फाउंडेशन, केरल में झीलों की सफाई करने वाली सामर्थ्य, फोरम फॉर आर्गनाइज्ड रिसोर्सेज कंजरवेशन एंड इनहैंसमेंट (फोर्स) जो दिल्ली में पहले ही काम कर चुकी है और इसने हौज खास झील को पुनर्जीवित करने के लिए भी काम किया है, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटैक) जो हौज खास और संजय झील को पुनर्जीवित करने के लिए परामर्श प्रदान कर रही है शामिल है।

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