मानसून आने में अभी डेढ़ माह का समय बचा है और देशभर की नदियाँ और बाँध सूखने के कगार पर पहुँच गए हैं। देश भर के बाँधों में औसतन 23 फीसद ही पानी बचा है, जिनमें से तीन बाँधों में तो पानी का स्तर शून्य पर पहुँच गया है और 82 बाँधों में कुल क्षमता का 40 फीसद से भी कम पानी रह गया है।
लगातार दो साल से सूखे जैसी स्थिति होने और सर्दियाँ भी बिना बर्फबारी के गुजरने के कारण नदियों का पानी औसत से नीचे चला गया है। बर्फ न गिरने से पहाड़ों से निकलने वाली नदियों की हालत खराब है। केवल नर्मदा और साबरमती नदियों में ही औसतन ठीक पानी है। नदियों में पानी न होने के कारण बाँधों की स्थिति बेहद नाजुक दौर में पहुँच गई है। देश के सभी 91 बाँधों की क्षमता पिछले 10 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। इस साल बाँधों में मात्र 23 फीसद पानी बचा है, जबकि पिछले साल यह औसत 77 था।
इस बार अल-नीनो प्रभाव के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून खराब है गया है। भारत में मानसून पहली जून से 30 सितम्बर तक बरसता है। लगातार दूसरे वर्ष भारत में मानसून कम बरसा है। बार-बार 14 फीसद कम बारिश हुई है। मौसम विभाग ने 12 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया था, जो करीब-करीब सही साबित हुआ। पिछले साल 12 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी। हालांकि, इस बार मौसम विभाग का अनुमान है मानसून औसत से अधिक बरसेगा लेकिन अभी उसे आने में लम्बा समय है।नदियों के बहाव औसत से बहुत नीचे हैं। गंगा नदी में पानी का बहाव कम होकर 30 प्रतिशत रह गया है, जबकि पिछले साल यह औसत 38 प्रतिशत था। सिंधु का बहाव पिछले साल के 37 के मुकाबले 22 प्रतिशत रह गया है। नर्मदा में पिछले साल के 30 से मुकाबले 28 प्रतिशत पानी बह रह है। महानदी और उसकी सहयोगी नदियों में पिछले साल के 53 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 35 बहाव बचा है। कावेरी में पिछले साल इसी समय 26 प्रतिशत बहाव था जो कम होकर 22 प्रतिशत रह गया है। सबसे अधिक सूखे से पीड़ित महाराष्ट्र की कुल नौ नदियों में से चार सूख गई हैं और बाकी औसत से एक तिहाई ही बह रही हैं।
लगातार दो साल से सूखे जैसी स्थिति होने और सर्दियाँ भी बिना बर्फबारी के गुजरने के कारण नदियों का पानी औसत से नीचे चला गया है। बर्फ न गिरने से पहाड़ों से निकलने वाली नदियों की हालत खराब है। केवल नर्मदा और साबरमती नदियों में ही औसतन ठीक पानी है। नदियों में पानी न होने के कारण बाँधों की स्थिति बेहद नाजुक दौर में पहुँच गई है। देश के सभी 91 बाँधों की क्षमता पिछले 10 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। इस साल बाँधों में मात्र 23 फीसद पानी बचा है, जबकि पिछले साल यह औसत 77 था।
इस बार अल-नीनो प्रभाव के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून खराब है गया है। भारत में मानसून पहली जून से 30 सितम्बर तक बरसता है। लगातार दूसरे वर्ष भारत में मानसून कम बरसा है। बार-बार 14 फीसद कम बारिश हुई है। मौसम विभाग ने 12 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया था, जो करीब-करीब सही साबित हुआ। पिछले साल 12 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी। हालांकि, इस बार मौसम विभाग का अनुमान है मानसून औसत से अधिक बरसेगा लेकिन अभी उसे आने में लम्बा समय है।नदियों के बहाव औसत से बहुत नीचे हैं। गंगा नदी में पानी का बहाव कम होकर 30 प्रतिशत रह गया है, जबकि पिछले साल यह औसत 38 प्रतिशत था। सिंधु का बहाव पिछले साल के 37 के मुकाबले 22 प्रतिशत रह गया है। नर्मदा में पिछले साल के 30 से मुकाबले 28 प्रतिशत पानी बह रह है। महानदी और उसकी सहयोगी नदियों में पिछले साल के 53 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 35 बहाव बचा है। कावेरी में पिछले साल इसी समय 26 प्रतिशत बहाव था जो कम होकर 22 प्रतिशत रह गया है। सबसे अधिक सूखे से पीड़ित महाराष्ट्र की कुल नौ नदियों में से चार सूख गई हैं और बाकी औसत से एक तिहाई ही बह रही हैं।
अभी मानसून आने में करीब डेढ़ माह का वक्त
प्रदेश | बाँधों की स्थिति |
हिमाचल प्रदेश | 21 |
पंजाब | 48 |
राजस्थान | 10 |
झारखण्ड | 30 |
ओड़िशा | 03 |
गुजरात | 51 |
महाराष्ट्र | 60 |
उत्तर प्रदेश | 06 |
उत्तराखण्ड | 64 |
छत्तीसगढ़ | 23 |
आन्ध्र व तेलंगाना | 80 |
कर्नाटक | 29 |
केरल | 02 |
तमिलनाडु | 53 |
औसत से कम पानी (फीसद में)
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Post By: RuralWater