सूखी झील को देखकर
आसमान के चेहरे पर
गहरी बेचैनी है
सतह का चेहरा भी
रूखा है
बिवाई की तरह फटा हुआ
बहुत सूख गयी है झील
तल की दरारों का अँधेरा
रात के पाँव में गड़ता है
जिस झील का पानी
पालता था पूरा शहर
वही झील आज
अपनी प्यास में छटपटाती है
उछलती लहरें बीत गयीं
और बचा हुआ पानी
गूँगा हो गया है!
आसमान के चेहरे पर
गहरी बेचैनी है
सतह का चेहरा भी
रूखा है
बिवाई की तरह फटा हुआ
बहुत सूख गयी है झील
तल की दरारों का अँधेरा
रात के पाँव में गड़ता है
जिस झील का पानी
पालता था पूरा शहर
वही झील आज
अपनी प्यास में छटपटाती है
उछलती लहरें बीत गयीं
और बचा हुआ पानी
गूँगा हो गया है!
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