सूखे सकलाना को लहलहाते जंगल में बदला

विश्वेश्वर दत्त सकलानी (फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान)
विश्वेश्वर दत्त सकलानी (फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान)

विश्वेश्वर दत्त सकलानी (फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान) नई टिहरी: कोई अपना पूरा जीवन पौधे लगाने और उनका संरक्षण करने में लगा सकता है। यकीन करना मुश्किल है। लेकिन सच मानिये, टिहरी जिले के सकलाना पट्टी के पुजारगाँव निवासी विश्वेश्वर दत्त सकलानी ऐसी ही शख्सियत थे। जिन्होंने आठ साल की उम्र से पौधे लगाना शुरू किया और बाँज, बुरांश, सेमल व देवदार के इतने पौधे रोपे कि कभी वृक्ष विहीन रही सकलाना पट्टी में आज घना जंगल लहलहा रहा है।

आज सकलाना पट्टी में बाँज, बुरांश, सेमल, भीमल और देवदार के पेड़ लहलहा रहे हैं। ये सम्भव हो पाया, वृक्ष मानव या ट्री-मैन के नाम से प्रसिद्ध विश्वेश्वर दत्त सकलानी के प्रयासों से।

पत्नी शारदा और बड़े भाई नागेन्द्र दत्त सकलानी की मौत के बाद विश्वेश्वर दत्त ने अपना पूरा जीवन प्रकृति को समर्पित कर दिया। भाई की स्मृति में विश्वेश्वर दत्त ने सकलाना पट्टी में ही नागेन्द्र स्मृति वन भी तैयार किया। आज सकलाना पट्टी के पुजार गाँव का डांडा और आस-पास के करीब 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँज, बुरांश, भीमल, सेमल व देवदार का हरा-भरा जंगल लहलहा रहा है। वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी जीवन के आखिरी पलों में भी प्रकृति को याद किया करते थे। उनके मुख से लड़खड़ाते हुए केवल ये ही शब्द निकलते थे… वृक्ष मेरे माता-पिता, वृक्ष मेरी सन्तान, वृक्ष ही मेरे संगी साथी, वृक्ष ही मेरे भगवान।

वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जीवन समर्पित करने वाले वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी को 19 नवम्बर, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने इन्दिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया था।

सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने जताया शोक

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी के निधन पर शोक जताया है। अपने सन्देश में सीएम ने कहा कि वृक्ष मानव के नाम से प्रसिद्ध टिहरी में जन्मे विश्वेश्वर दत्त सकलानी प्रकृति प्रेमी, वृक्ष मित्र थे। वे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आजीवन पर्यावरण रक्षा के लिये प्रयासरत रहे। सीएम ने उनकी आत्मा की शान्ति की कामना की।

राहुल और राज्यपाल ने भी जताया शोक

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी, राज्यपाल डॉ. बेबी रानी मौर्य पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा ने भी विश्वेश्वर दत्त सकलानी के निधन पर दुख जताते हुए उनकी आत्मा की शान्ति की कामना की। कहा कि सकलानी आजीवन पर्यावरण रक्षा के लिये प्रयासरत रहे। सकलाना पट्टी में सघन पौधरोपण के जरिए हरा-भरा जंगल विकसित करने पर सकलानी को वृक्ष मानव के नाम से भी जाना जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी सकलानी को श्रद्धाजंलि दी। उन्होंने सीएम से सकलानी के निधन के शोक में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित करने की माँग भी की।

वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी का निधन क्षेत्र के साथ राज्य के लिये अपूरणीय क्षति है। विश्वेश्वर दत्त ने हाथों में कुदाल और गैंती लेकर जंगल खड़ा कर दिया। -विजय जड़धारी, बीज-बचाओ आन्दोलन के प्रणेता

 

 

 

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