भारत में सूखे की चपेट में आने वाले गाँव, शहरों और लोगों की कहानी बयाँ करने वाली किताब ‘ड्रॉट बट वाई’ का शुक्रवार को विमोचन हो गया। गांधी स्मृति दर्शन में आयोजित कार्यक्रम में किताब का विमोचन डाउन टू अर्थ के मैनेजिंग एडिटर रिचर्ड महापात्रा और फिल्म कड़वी हवा के निर्देशक नीला माधब पांडा ने किया। सूखे ने किस तरह से भारत के विभिन्न राज्यों, गाँवों लोगों सहित सरकारी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है, इसकी जानकारी किताब में दी गई है। डाउन टू अर्थ और सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) की इस किताब में सूखे से लड़ने के उपाय, पानी संरक्षण और क्लाइमेंट चेंज जैसी बड़ी चुनौती से लड़ने और बचने के उपाय भी बताये गये हैं।
क्लाइमेट चेंज और कम बारिश के बावजूद क्या-क्या कदम उठाकर सूखे से बचा जा सकता है, इसकी जानकारी भी किताब में दी गई है। पानी संरक्षण और उसके बजट को लेकर उठाए जा रहे कदमों और इसमें मिल रही सफलता का जिक्र भी किताब में किया गया है। इससे उन सूखा प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों जो जानकारी मिलेगी जो सूखा पड़ने के दौरान असहाय महसूस करते हैं। किताब का विमोचन करने के बाद ड्रॉट और क्लोइमेट चेंज विषय पर समूह चर्चा का भी आयोजन किया गया। इसमें फिल्म कड़वी हवा के निर्देशक नीला माधब पांडा ने कहा कि क्लाइमेट चेंज ने भारत सहित विश्वभर को बुरी तरह से प्रभावित किया है। देश की आबो-हवा बीमार हो गई है।
इसका इलाज खुद लोगों को ही समझदारी सो खोजना होगा तभी हमारा वातावरण स्वच्छ बन पाएगा। इस मौके पर डाउन टू अर्थ के मैनेजिंग एडिटर रिचर्ड महापात्रा ने कहा कि केरल जैसा राज्य जहाँ सबसे ज्यादा बारिश होती है, उसके भी कुछ हिस्से सूखे की चपेट में हैं। सूखा पड़ने से किस तरह से बचा जा सकता है और क्या-क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है, किताब में इसकी जानकारी मौजूद है।
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