सूखा क्षेत्र के लिए बना वरदान

बांदा। दिल में अगर कुछ कर दिखाने का प्रशासनिक जज्बा हो तो अनेक दुरूह प्राकृतिक एवं भौगोलिक समस्या का निदान हो जाता है। कुछ यही जज्बा दिखाया है नरैनी तहसील के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट (आईएएस) जुहैर बिन सगीर ने, इन्होंने जिले के भूगर्भ के गिरते जलस्तर को रिचार्ज करने के लिए अपनी एक अनोखी तरकीब को मूर्त रूप दिया है। इसका नाम रिचार्जिग रिंग वेल रखा है। प्रदेश में यह अपने आपमें अनोखी विधि का यह ईजाद माना जा रहा है जो सूखा प्रभावित बुंदेलखंड के लिए वरदान साबित हो सकती है।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने अपनी इस परिकल्पना को तहसील क्षेत्र के 83 गांवों में साकार कर दिखाया है। इसके तहत सूखे के संकट से जलविहीन हो गए तालाबों में साढ़े चार मीटर चौड़ाई में पंद्रह फुट गहरा गड्ढा किया गया है। इसके अंदर मोटे-मोटे पत्थरों की एक परत डाली जाती है फिर मध्यम साइज के पत्थर के टुकड़े। इसके बाद छोटे पत्थर, गिट्टी के बाद बालू और मौरंग की परतें डाली गई हैं।

जिन तालाबों में यह रिचार्जिग वेल बनवाए गए हैं, उनमें पानी भरने पर देखा गया है कि इस वेल के माध्यम से पानी वेल के अंदर जाता है। इसमें मौरंग, गिट्टी एवं पत्थर अंदर धीरे-धीरे रिसाव कर जा रहे पानी को छानते हुए उसको एक तरह से फिल्टर कर देते हैं। रिंग वेल में पहुंचा यह पानी दो स्क्वायर मीटर क्षेत्र में भूगर्भ जल की रिचार्जिग कर देता है।

अपनी इस अनोखी विधि को मूर्त रूप देने में लगे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जुहैर बिन सगीर का कहना है कि इस विधि से लगभग पंद्रह साल तक यह रिंग वेल रिचार्जिग का कार्य करने में सक्षम है। इनका परीक्षण भी क्षेत्र के लहुरेटा, पुकारी, बरसड़ा, मानपुर आदि गांवों में किया जा चुका है। अब तक क्षेत्र में ऐसे 83 रिंग वेल बना दिए गए हैं।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने बताया कि चार सालों से सूखे के चलते बुंदेलखंड में भूगर्भ जल स्तर बहुत नीचे खिसक गया है। ऐसे क्षेत्र में यह विधि वरदान साबित होगी।

साभार जागरण/याहू
 

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