सीढ़ीदार खेत (Terracing) किनारों पर बंध का निर्माण कर नमी संरक्षण1. अंत: वेदिका (Inter-terrace)/ अंत: भूखण्ड (Inter-plot) जल संचय
वेदिकाओं (Terraces) का निर्माण करते समय उनके निचलने किनारों पर एक बंध का निर्माण किया जाता है। यह बंध वेदिकाओं में एक निश्चित ऊचांई तक पानी इकट्ठा करने में सहायक होती है। वेदिकाओं पर एकत्र जल वेदिकाओं में नमी संरक्षित कर फसलों की उत्पादकता बढ़ाता है तथा साथ ही साथ अपवाह वेग को भी कम करता है।
इसी प्रकार किसी भूखण्ड की एक निश्चित क्षेत्रफल (सामान्यतय एक एकड) में बांटकर उनकी मेंडबंदी कर दी जाती है। इस प्रकार के भूखण्डों को अंत: भूखण्ड (Inter plot) कहते है। किसी बड़े भूखण्ड को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने से वर्षाजल का अपवाह (Runoff), वेग नहीं पकड़ पाता है, साथ ही साथ इकट्ठा होने वाला वर्षाजल भूखण्ड में समाहित होकर मृदा की नमी बढ़ाता है परिणामस्वरूप भूखण्ड की फसल उत्पादन क्षमता में वृध्दि होती है।
2. संरक्षण सीढ़ीनुमा खेत
इस प्रकार के खेतों का निर्माण पर्वतीय क्षेत्रों में किया जाता है। जहां भूमि का ढाल बहुत ज्यादा होता है। सीढ़ीनुमा खेत बनाकर अपवाह वेग को निंयत्रित किया जाता है तथा साथ ही साथ खेत में नमी को भी संरक्षित किया जाता है। अधिक अपवाह को विभिन्न यांत्रिक एंव वानस्पतिक विधियों से उपचारित नालियों द्वारा सुरक्षित नीचे स्थित नदी नालों तक पहुचायां जाता है।
3. सूक्ष्म जलागम (Micro watershed) / सूक्ष्म भूखण्ड
इस प्रकार के जलसंग्रहण विधि में खेत में ही छोटी-छोटी ऐसी सरंचनाएं बनाई जाती है जो वर्षाजल अपवाह का एक हिस्सा अपने में समाहित कर लेती है। ऐसी संरचनाओं के सूक्ष्म कहते है। उदाहरण के लिये पौधों के लिये गोल, अर्ध चन्द्राकार या चौकोर थाले बनाना, वी आकार का जलग्रहण क्षेत्र, संसोधित जलागम इत्यादि।सूक्ष्म जलाशय निर्माण की विधियां
सूक्ष्म जलाशय निर्माण की विधियां
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