सूचना-प्रौद्योगिकी से कृषि क्षेत्र में नयी क्रान्ति


कृषि क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण महत्वपूर्ण है और इस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सूचना प्रौद्योगिकी न केवल प्रौद्योगिकी के तेजी से विस्तार के लिए आवश्यक है बल्कि इसके उपयोग से विभिन्न कृषि कार्यों को जल्दी से और आसान तरीके से किया जा सकता है। विश्व बैंक और अन्य शोध संस्थानों के अनुसंधानों ने यह सिद्ध कर दिया कि ऑनलाइन शिक्षा, रेडियो, उपग्रह और दूरदर्शन जैसे आधुनिक संचार माध्यमों द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी का विस्तार करके किसानों की जागरूकता, दक्षता था उत्पादकता में कई गुणा वृद्धि की जा सकती है। आज सूचना प्रौद्योगिकी ने कृषि के हर काम को आसान बना दिया है।

किसान अपने घर बैठे किसान कॉल सेंटर में 1551 या 18001801551 पर नि:शुल्क फोन करके अपनी कृषि समस्या का समाधान पा सकता है। हमारे देश के अधिकतर कृषि व बागवानी विश्वविद्यालयों ने अपने क्षेत्र विशेष की फलों व अन्य फसलों की उत्पादन से संबंधित सभी जानकारियां अपने वेबसाइट पर डाल रखी हैं जिन्हें किसान इन्टरनेट के माध्यम से घर बैठे अपने कम्प्यूटर पर प्राप्त कर सकते हैं। इन विश्वविद्यालयों के इन वेबसाइटों पर भविष्य में कृषि कार्यों की जानकारी तथा मौसम की जानकारी भी समय-समय पर किसानों को नियमित रूप से दी जाती है।

सूचना प्रौद्योगिकी व संचार माध्यमों द्वारा हम कृषि में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी का सबसे अधिक उपयोग हम आधुनिक व विकसित तकनीकों को प्राप्त करने में कर सकते हैं। ये जानकारियां हम रेडियो, दूरदर्शन, केबल नेटवर्क, इन्टरनेट, टेलीफोन, मोबाइल फोन व कम्प्यूटर पर चलने वाले विभिन्न ‘साफ्टवेयरÓ के माध्यम से हम आसानी से व तेजी से प्राप्त कर सकते हैं। रेडियो व दूरदर्शन द्वारा आजकल किसानों के लिए ऐसे सीधे प्रसारण वाले कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं जहां किसान हर सप्ताह रेडियो व दूरदर्शन केन्द्रों में बैठे हुए कृषि विशेषज्ञों से सीधे बात कर सकते हैं और अपनी कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। टेलीफोन से हम किसान कॉल सेंटर पर 1551 नम्बर पर तथा मोबाइल से हम सेंटर के 18001801551 नम्बर पर फोन करके कृषि संबंधी जानकारी मुफ्त प्राप्त कर सकते हैं।

कई विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान मोबाइल फोन पर ‘एस.एम.एस.Ó द्वारा भी किसानों को जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। किसान अपने कम्प्यूटर द्वारा या गांव में सामुदायिक सूचना केन्द्रों के माध्यम से भी कृषि संबंधी जानकारी कृषि विश्वविद्यालयों के वेबसाइट पर इन्टरनेट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। गुजरात में पंचायतों को इस प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों से जोड़ा गया है ताकि कम्प्यूटर और इन्टरनेट के माध्यम द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण तेजी से हो। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र द्वारा भी कृषि विश्वविद्यालयों में ऐसी प्रणाली स्थापित की गई जहां किसान प्रदेशों के विभिन्न भागों में फैले हुये कृषि विज्ञान केन्द्रों से विश्वविद्याल के मुख्य केन्द्र पर मौजूद विशेषज्ञों से कैमरे पर सीधे बातचीत कर सकते हैं। इसके अलावा रेडियो व दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों पर विभिन्न विषयों पर पाठशालाओं का आयोजन भी किया जाता है जहां उस विषय पर सभी जानकारियां क्रमवद्ध तरीके से किसानों को घर बैठे ही दी जाती हैं। कम्प्यूटर से जुट़े हुये किसान, सीडी व ‘पैन ड्राइव’ के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त करके अपने कम्प्यूटर पर देख सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी का सबसे बढ़ा उपयोग किसान अपने विभिन्न कृषि कार्यों को करने में कर सकते हैं। आज कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े खेतों की जुताई व उन्हें समतल करना, बुवाई करना, निराई-गुड़ाई करना, खाद देना, सिंचाई करना, कीटनाशी व रोगनाशी रसायनों के छिड़काव जैसे कार्य सफलतापूर्वक किये जा रहे हैं। इसके साथ कम्प्यूटर कृषि उत्पादों को डिब्बाबंद करने, बेचने के लिए उपयुक्त मंडियों का चयन करने और मूल्यों का निर्धारण करने मेें भी सहायता करते हैं। कम्प्यूटर नियंत्रित मशीनों का सब्जियों, फूलों व फलों की पॉलीहाउस के अन्दर होने वाली संरक्षित खेती मेें महत्वपूर्ण योगदान है। संरक्षित खेती में जहां फसलों को पानी, खाद और नमी इत्यादि की मात्रा और समय कम्प्यूटर ही निर्धारित करता है।

इस दिशा में स्पेन, हालैंड, इजाराइल, तुर्की, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। इन देशों में कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित मशीनों से किये गये कार्य से संरक्षित खेती में फसलों से 3 से 4 गुणा अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। इस तरह के स्वचालित यंत्रों की मदद से कोई भी किसान 350 एकड़ भूमि की आसानी से सिंचाई कर सकता है। कम्प्यूटर नियंत्रित मशीनों का उपयोग फसल उत्पाद के सही ढंग से डिब्बाबंदी में भी किया जाता है। फलों व सब्जियों की डिब्बाबंदी करते समय कम्प्यूटर की सहायता से फलों को कैसे और कितनी संख्या में रखने संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। इस तरह फल व सब्जियों रगड़ लगने से बच जाते हैं जिससे ढुलाई व विपणन के समय कम नुकसान होता है। इस तरह के कम्प्यूटर नियंत्रित कार्यों से सिंचाई में पानी, खाद व दूसरे जीवनाशी तथा अन्य रसायनों की कम खप्त होती है और इनके सही समय पर निर्धारित उपयोग से अधिक उत्पादन भी मिलता है।

यद्यपि भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय देश के प्रत्येक गांव में ऐसे सार्वजनिक व सामुदायिक सूचना केन्द्र स्थापित कर रहा है जहां कम्प्यूटर व इंटरनेट जैसी सुविधायें मौजूद होंगी, लेकिन फिर भी ये कार्य तेजी से होना चाहिए। इन सूचना केन्द्रों को कृषि विश्वविद्यालयों तथा जिला के सूचना केन्द्रों से भी जोड़ा जाना चाहिए जिससे प्रौद्योगिकी और सूचनाओं का प्रसार तेजी से हो। देश के कृषि व बागवानी विश्वविद्यालयों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए विशेष आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। सूचना और संचार क्रांति का कृषि में अधिक से अधिक उपयोग करके हम कृषि को नई दिशा दे सकते हैं जिससे देश में अन्न और दूसरे कृषि व पशुधन से प्राप्त उत्पादों का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी।
 
Path Alias

/articles/sauucanaa-paraaudayaogaikai-sae-karsai-kasaetara-maen-nayai-karaanatai

Post By: Hindi
×