दुनिया के समुद्रों में बढ़ते हुए पानी के चलते मालदीप जैसे द्वीपीय देश के वजूद मिट जाने की आशंका तो जताई ही जा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के सुंदरवन के द्वीप भी ख़तरे से बाहर नहीं हैं. स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि लोहरछड़ा नामक एक द्वीप जलमग्न हो चुका है, जबकि घोड़ामार जैसे अनेक द्वीप इन ख़तरों से अछूते नहीं रहे, उन द्वीपों के ज़्यादार हिस्से पानी में डूब गए हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार अगर इसी तरह समुद्र का पानी बढ़ता रहा तो सागर द्वीप सहित इस इलाक़े के अधिकतर द्वीप 30 से 40 सालों के अंदर-अंदर पानी के नीचे चले जाएंगे.
सागर द्वीप से ही घोड़ामारा द्वीप को देखा जा सकता है, वहाँ की स्थिति को भाँपा भी जा सकता है कि किस तरह द्वीप पाना में डूबता जा रहा है. इसका असर सागर द्वीप में विस्थापितों के रूप में देखा जा रहा है. जहाँ बड़ी तादाद में लोग विस्थापितन के बाद अपना ठिकाना तलाश रहे हैं.
घोड़ामारा का एक हिस्सा जो अब भी पानी के ऊपर है सरकार उसे बचाने की आख़िरी कोशिश कर रही है. बड़े-बड़े लोहों के पिजड़ों में पत्थर भरकर तटवर्तीय इलाक़ों में रखा जा रहा है, ताकि द्वीप को समुद्र के पानी से रोका जा सके.
द्वीप डूब रहे हैं
घोड़ामारा के निवासी गाँधी मंडल का कहना है कि सरकार की इस कोशिश से वहाँ कुछ लोगों को काम मिल रहा है.
सागर द्वीप और इसके आसपास अधिकतर लोग सरकार के दिए घरों में रहते हैं और मज़दूरी करके जीवनयापन करते हैं. ज़्यादातर लोग मछली पकड़े और झींगा के कारोबारी या सरकारी परियोजनाओं में काम करते हैं.
शेख़ शहाबुद्दीन का कहना है, 'मेरे दो भाई घोड़ामारा के उन इलाक़ों में रहते हैं जहाँ अब भी पानी नहीं गया है और सरकारी योजनाओं के तहत बाँध पर दिए घर में रहते हैं और मछली पकड़ने का काम करते हैं. लेकिन ये ज़्यादा दिन नहीं चल सकेगा.'
स्थिति यह है कि घोड़ामारा के लोग अपनी लड़िकयों की शादी दुसरी जगहों में करने लगे हैं, ताकि उनकी लड़कियों को कभी बेघर नहीं होना पड़े. इसी चलते घोड़ामारा के सालेहा बीबी की शादी कागद्वीप में कराई गई. पर सालेहा बीबी को तलाक झेलने के बाद अपने बच्चों के साथ सागर द्वीप में रहना पड़ रहा है.
पैंतीस साल पहले जब घोड़ामारा के द्वीप पर पानी चढ़ने लगा था उस समय सालेहा बीबी का परिवार वहाँ के सबसे बड़ा ज़मीनदार था और साढ़े तीन सौ एकड़ ज़मीन के मालिक थे, लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं बचा है.
सराकरी योजना का सहारा
सुंदरवन का लोहरछड़ा द्वीप पानी में डूब गया है जबकि घोड़ामारा का बहुत बड़ा हिस्सा पानी के नीच है. मौसनी जैसे कई अन्य द्वीप का वजूद ख़तरे में है.
लेकिन सुंदरवन को बचाने के लिए सरकार क्या कर रही है? पश्चिम बंगाल के सुंदरवन मामलों के मंत्री कांति गंगुली का कहना है कि राज्य सरकार ने इस सिलसिले में एक महत्वकाँक्षी परियोजना बनाई है जिसके लिए पाँच हज़ार करोड़ रुपये के ज़रूरत है जिसका इंतज़ाम अभी तक नहीं हो सका है.
कांति गंगुली कहते हैं, 'पहले प्राकृतिक तरीक़े से बचाव करना होगा फिर बाँध बनाने होंगे, साथ वहाँ जो पेड़ पौधे हैं उसे और अधिक लगाने होंगे. इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को ज़िम्मेदारी लेनी पड़ेगी.'
गंगुली का कहते हैं, 'अभी तक इस के लिए पैसा नहीं आया है और ये काम एक-दो साल में नहीं होने वाला है, बल्कि चार-पाँच साल तक लगेगा. लोगों का पुनर्वास भी करना होगा. उन्हें ज़मीन देनी होंगी.'
पर अब स्थिति बद से बदतर हो रही है और अगर सरकारी योजना सफल नहीं हुआ तो इन द्वीपों को बचाना आसान नहीं होगा.
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