सुन्दरता का आलाप

मुल्क हिन्दुस्तान में
शहर भोपाल
भोपाल में बड़ी झील:
जोड़ती शहर-गाँव

फिक्र हो बहुत-सिर भारी हो
मिलिए झील से-बात करिए जी खोल
फिर आपका रहे नहीं मन-मलीन
उदासी जाय झर
प्रवासी पाखियों की निहार-निहार
क्रीड़ा-काकलि
(गूलर-मछरी भी कम खिलण्दड़े नहीं)

बड़ी झील कृतार्थ करती है
लम्बे आलाप की तरह वह
अपने ही आरोह-अवरोह में अनुशासित
लहरा रही है जब वह
पानी सुखी है
प्यास निश्चिंत

बड़ी झील सिरजा जिसे राजा भोज ने
और मेहनती हाथों ने बाँधा-सहेजा सुंदर भीट
सँवारती है जिसे कुदरत
खूबसूरती के नित-नए प्रतिमान से
किस्सों-कहावतों में
जिसकी सुन्दरता का है समाहार

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