उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटिरी अथॉरिटी (रेरा) में स्टाफ की कमी है, ऐसे में रेरा सख्ती कैसे करें? पर्याप्त स्टाफ न होने से काम प्रभावित रहा है। यहीं वजह है कि प्रदेश में बिल्डरों और कॉलोनाइजर की मनमानी पर अंकुश लगाने के जिस उद्देश्य से रेरा का गठन किया गया था, वह परवान नहीं चढ़ पा रहा है।
मौजूदा समय की बात करें तो रेरा में आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए अध्यक्ष के अलावा तीन सदस्य हैं। वहीं चपरासी समेत पांच अन्य कर्मचारी तैनात हैं। लेकिन, इतना स्टाफ पर्याप्त नहीं है जिसके चलते करीब 450 में से 220 मामलों में फैसला हो पाया है, जबकि अन्य मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है। स्टाफ को लेकर रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार के मुताबिक रेरा सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) ने एक साल पहले 50 पदों का प्रस्ताव शासन को भेजा था। जिसमें से 17 पद स्वीकृत हुए थे। मौजूदा समय की बात करें तो रेरा में चार प्रमुख अनुभाग हैं। जिनमें सभी में कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है। इसको लेकर सचिव आवास को भेजे गए पत्र में हर अनुभाग की उपयोगिता के बारे में बताते हुए विभिन्न पदों पर करीब 25 कर्मचारियों की मांग की है।
ये कार्य हो रहे प्रभावित
बिल्डरों/प्रमोटरों के रजिस्ट्रेशन के अलावा उनके अभिलेखों की जांच, नियमावली के अनुरूप विभिन्न कार्यों में सहयोग, आदेशों का अनुपालन, रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी तकनीकी कार्यों में सहयोग, लेखा सम्बन्धी कार्य, लम्बित वादों के निस्तारण आदि।
ये पद भरने की जरूरत
आईटी एक्सपर्ट, तकनीकी अधिकारी, कनिष्ठ तकनीकी अधिकारी, मुख्य सहायक, विधि सहायक, वरिष्ठ कार्यालय सहायक, कार्यालय सहायक लेखाकार, कनिष्ठ लिपिक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, आशुलिपिक, बहुउद्देशीय कार्मिक आदि।
रेरा में स्टाफ की कमी बनी हुई है। जिसके कारण मामलों के निस्तारण में गति धीमी है। बीते दिनों शासन को पत्र भेजा है। कर्मचारियों की भर्ती होने से कार्य में तेजी आएगी- विष्णु कुमार, अध्यक्ष, रेरा
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