अरविन्द केजरीवाल ने इस मौके पर कहा कि पानी का निजीकरण नहीं किया जाएगा, क्योंकि पानी के निजीकरण से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा पानी भी जीवन के लिये अतिआवश्यक है। सरकार का यह दायित्व है कि वह जनता को पानी की आपूर्ति करे। यह जनता का अधिकार है। सरकार के सुशासन और प्रबन्धन से ही पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या को पानी की आपूर्ति करने का दबाव दिल्ली पर है।
भास्कर न्यूज, नई दिल्ली। दिल्ली वालों को सस्ता, सुरक्षित, प्रदूषण रहित पेयजल की आपूर्ति के लिये दिल्ली सरकार एक नई जल नीति बनाने जा रही है, जो देश के लिये एक बेस्ट मॉडल होगी। गुरुवार को दिल्ली सचिवालय में आयोजित वर्कशॉप में दिल्ली सहित अन्य राज्यों और विभिन्न क्षेत्रों के जल विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि पानी का निजीकरण नहीं किया जाएगा।दिल्ली सरकार ने जल नीति को अमलीजामा पहनाने के लिये आम जनता से भी आपत्ति एवं सुझाव लेने का फैसला किया है। इस बाबत जल्द ही विज्ञापन के जरिए लोगों को सूचित किया जाएगा।
वर्कशॉप में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के अलावा जल मंत्री कपिल मिश्रा, जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया, मुख्य सचिव केके शर्मा, जल बोर्ड के सीईओ एसएस यादव सहित विभिन्न विभागों के कई अधिकारी व कई गैर सरकारी संगठनों के जल विशेषज्ञों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस मौके पर कहा कि पानी का निजीकरण नहीं किया जाएगा, क्योंकि पानी के निजीकरण से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा पानी भी जीवन के लिये अतिआवश्यक है। सरकार का यह दायित्व है कि वह जनता को पानी की आपूर्ति करे। यह जनता का अधिकार है। सरकार के सुशासन और प्रबन्धन से ही पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या को पानी की आपूर्ति करने का दबाव दिल्ली पर है। जबकि पानी की आपूर्ति के लिये दिल्ली को पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः हमें सुनिश्चित करना होगा कि दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाएँ। साथ ही पानी के उपयोग और इस पर खर्च होने वाली धनराशि का भी ऑडिट किया जाएगा।
जलाशयों का विकास करेगा जल बोर्ड
दिल्ली के सभी जलाशयों का विकास दिल्ली जल बोर्ड करेगा। जलाशयों के विकास के लिये इन जलाशयों को अब दिल्ली जल बोर्ड के अन्तर्गत लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है ताकि इनका ठीक ढंग से विकास हो सके। दिल्ली जल बोर्ड ने शुरुआती स्तर पर ग्रामीण क्षेत्र के जलाशयों का विकास करेगा।
इस बाबत विभिन्न विभागों के अन्तर्गत आने वाले जलाशयों को जल बोर्ड के अन्तर्गत लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बता दें कि दिल्ली के अधिकांश जलाशय राजस्व विभाग के अन्तर्गत आते हैं, लेकिन अब इन जलाशयों को दिल्ली जल बोर्ड के अन्तर्गत लाया गया है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग, बाढ़ एवं सिंचाई विभाग के जलाशयों को भी शामिल किया गया है।
साथ ही दिल्ली नगर निगम के अन्तर्गत आने वाले जलाशयों को भी जल बोर्ड के अन्तर्गत लाने की योजना बनाई जा रही है। जल मंत्री कपिल मिश्रा कहते हैं कि दिल्ली के 98 फीसदी जलाशय ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। अतः हमारी पहली प्राथमिकता इन जलाशयों का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
सीएम के सुझाव
1. हमें यह सोचना होगा कि किस तरह से हमें उच्च लागत वाली परियोजनाओं से ध्यान हटाकर विकेन्द्रीकृत छोटी परियोजनाओं पर लगाना चाहिए, जिससे लोगों के जीवन में बदलाव आये।
2. दिल्ली जल बोर्ड की जरूरत के अनुसार सभी वित्तीय मॉडल के बारे में सोचना होगा।
3. नीति के मुख्य बिन्दु ऐसे हों जो परिकल्पना का वर्णन करते हुए जल परियोजनाओं पर कार्य की ओर अग्रसर कर सके।
4. एक विस्तृत और एकीकृत ड्रॉफ्ट जल नीति हो और इसे जल पुनःचक्रण और पुनःउपयोग के बारे में होनी चाहिए।
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Post By: RuralWater