सरकार ने मनरेगा दिवस मनाया

पिछले एक साल के दौरान मन्त्रालय ने इस योजना को युक्तिसंगत बना दिया है ताकि यह स्थानीय लोगों की जरूरतों एवं लाभार्थियों की माँग के लिहाज से और ज्यादा प्रासंगिक बन सके। इसके तहत् पिछले क्षेत्रों पर ज्यादा-से-ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मन्त्रालय ने मनरेगा कामगारों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों के कौशल तथा उद्यमिता का इस्तेमाल ‘एनआरएलएम’ के साथ मिलान में भी करने का इरादा व्यक्त किया है। ग्रामीण विकास मन्त्रालय ने टिकाऊ एवं उपयोगी परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए मनरेगा (महात्मा गाँधी नरेगा) में अन्य योजनाओं को मिलाने पर ध्यान केन्द्रित करने का फैसला किया है। मन्त्रालय ने इन योजनाओं को आपस में मिलाने सम्बन्धी पहल के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक नया मॉड्यूल पेश किया है।

21 राज्य इन योजनाओं को आपस में मिलाने की रूपरेखा पहले ही तैयार कर चुके हैं। इस तरह के मिलान को सम्बन्धित कार्यों के नतीजों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर उनके असर से जोड़कर देखा जा रहा है। यह जानकारी ग्रामीण विकास मन्त्री बीरेन्द्र सिंह ने दी। ग्रामीण विकास मन्त्री सोमवार को दिल्ली में आयोजित दसवें मनरेगा दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि मनरेगा का इस्तेमाल आजीविका आधारित सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिए किया जाए।’

ग्रामीण विकास मन्त्री ने बताया कि मनरेगा से हर साल करोड़ों परिवारों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और यह गरीब ग्रामीणों की आजीविका को बेहतर करने का एक अहम् साधन बन गई है। उन्होंने कहा कि मनरेगा से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन का आधार भी मजबूत हो रहा है।

पिछले एक साल के दौरान मन्त्रालय ने इस योजना को युक्तिसंगत बना दिया है ताकि यह स्थानीय लोगों की जरूरतों एवं लाभार्थियों की माँग के लिहाज से और ज्यादा प्रासंगिक बन सके। इसके तहत् पिछले क्षेत्रों पर ज्यादा-से-ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मन्त्रालय ने मनरेगा कामगारों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों के कौशल तथा उद्यमिता का इस्तेमाल ‘एनआरएलएम’ के साथ मिलान में भी करने का इरादा व्यक्त किया है।

ग्रामीण विकास मन्त्री ने मनरेगा में पारदर्शिता तथा जवाबदेही से जुड़े मसले सुलझाने के लिए मन्त्रालय द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों पर भी विशेष जोर दिया। उदाहरण के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आधारित कुच विशेष दुरदर्शी कदम उठाए गए हैं। ईएफएमएस का सार्वभौमिकरण, प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण (डीबीटी) के तहत् मनरेगा की अधिसूचना और मोबाइल के जरिए निगरानी की व्यवस्था इन विशेष कदमों में शामिल हैं। इसके अलावा, सामाजिक ऑडिट (लेखा-परीक्षा) प्रणालियों को भी मजबूत बनाया गया है।

मन्त्री महोदय ने कहा कि मनरेगा योजना शौचालयों के निर्माण के माध्यम से स्वच्छ भारत अभियान जैसे अन्य प्रमुख कार्यक्रमों का भी समर्थन करती है। स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के एक हिस्से के रूप में वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए मनरेगा योजना को इस पहल के साथ जोड़ दिया गया है, जिसके द्वारा अगले 5 वर्षों के दौरान लगभग 2 करोड़ व्यक्तिगत परिवार शौचालयों (आईएचएचएल) का निर्माण किया जाएगा।

राज्यों से भी आग्रह किया गया है कि वे प्रधानमन्त्री जन-धन योजना के अधीन मौजूदा मनरेगा श्रमिकों को बैंक खाते से जोड़ें और इस योजना के अधीन नए श्रमिकों के लिए बैंक खाता खुलवाएँ। बीरेन्द्र सिंह ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि मौजूदा पहलों से मनरेगा से जुड़ी कुछ समस्याओं का निदान एक निर्धारित तरीके से हो सकेगा और योजना के और भी अधिक प्रभावकारी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

इस अवसर पर मनरेगा दस्तावेज- ‘रिपोर्ट टू द पीपल’ और ‘रिपोर्ट ऑन कैपेसिटी बिल्डिंग’ भी जारी किए गए। मन्त्रालय ने तस्वीरों के एक संग्रह- ‘मनरेगा के अधीन सतत्संसाधनों के सृजन की ओर’ के माध्यम से कई उपलब्धियों को भी दर्शाया। मनरेगा के साथ योजनाओं को जोड़ने तथा आजीविका में सहायता करने में महत्वपूर्ण कार्य के लिए मध्य प्रदेश को पुरस्कृत किया गया है।

मनरेगा के प्रभावकारी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विशिष्टता दर्शाने और विशेष पहल करने के लिए तीन राज्यों, 11 जिलों, डाक विभाग के 15 अधिकारियों और 9 सरपंचों की पहचान करके उन्हें पुरस्कृत किया गया। ये पुरस्कार अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित और प्रेरित करेंगे ताकि योजना के कार्यान्वयन में और भी अधिक सुधार हो सके।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मन्त्रालय की ओर से आयोजित 10वें मनरेगा दिवस समारोह में ग्रामीण विकास मन्त्री बीरेन्द्र सिंह, ग्रामीण विकास राज्यमन्त्री सुदर्शन भगत, पेयजल और स्वच्छता राज्य मन्त्री राम कृपाल यादव, पंचायती राज राज्यमन्त्री निहाल चन्द, राज्यों के ग्रामीण विकास मन्त्रियों, राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, ग्रामीण विकास सचिव एल. सी. गोयल और ग्रामीण विकास मन्त्रालय के अधिकारियों, ख्याति प्राप्त व्यावसायिकों, पंचायती राज संस्थाओं के प्रति निधियों, मनरेगा कामगारों, जिला अधिकारियों और जिला कार्यक्रम समन्वयकों तथा उनकी टीम के सदस्यों ने भाग लिया।

आयात-निर्यातकों को आसानी


विदेश व्यापार महानिदेशायल ने आयातक-निर्यातक कोड (आईईसी) सम्बन्धी आवेदनों का ऑनलाइन दाखिला, ऑनलाइन प्रक्रिया तथा डिजिटल रूप में ई-आईईसी जारी करना शुरू कर दिया है। अब नए उद्यमी/निर्यातक/आयातक क्षेत्रीय प्राधिकरण कार्यालय गए बिना अपने घर अथवा आईटी कियोस्क से ही नए आईईसी जारी करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और कागजात अपलोड करने के साथ ही नेट बैंकिंग के माध्यम से आवश्यक शुल्क का भी भुगतान कर सकते हैं।

इतना ही नहीं, विदेश व्यापार महानिदेशालय का क्षेत्रीय प्राधिकरण भी ऐसे आवेदनों की ऑनलाइन प्रक्रिया करेगा और आवेदकों के पास दो कार्यदिवसों में ही डिजिटल हस्ताक्षर वाले ई-आईईसी जारी करेगा अथवा ई-मेल द्वारा भेजेगा। यदि आवेदन अधूरा अथवा अपठनीय है तो उसे रद्द किया जाएगा और आवेदक के पास केवल दो कार्यदिवसों में ही स्वतः सृजित अस्वीकृत पत्र अतवा ई-मेल भेजा जाएगा जिसमें अस्वीकृति का कारण भी शामिल रहेगा।

ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि शुल्क का भुगतान डेबिट/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से हो सके और इस प्रक्रिया में आसानी हो। यह प्रधानमन्त्री के ‘डिजिटल इण्डिया’ और ‘व्यापार में आसानी’ के दृष्टिकोण से प्रेरित वाणिज्य विभाग/विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व पहल है।

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Post By: Shivendra
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