करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी किसानों के खेतों को जहाँ पानी उपलब्ध करने में सक्षम नहीं हो पाती है। वहीं एक अनपढ़ बाबा (सरकार) ने लगभग 24 गाँव के किसानों के खेतों को पानी से लबालब कर दिया। बाबा का यह अनूठा जल प्रबंधन लोगों के लिए एक मिरेकल से कम नहीं है।
एक वर्ष पूर्व सोने के भंडार होने की घोषणा ने उ.प्र. के गाँव डोंडियाखेड़ा को सुर्खियों में ला दिया था। ये सुर्खियाँ लोगों के लिए और भी महत्त्वपूर्ण हो गई थी क्योंकि ये घोषणा एक ऐसे बाबा ने की थी जिन्हें उस गाँव के आस-पास के लोग ईश्वर की तरह मानते हैं। लोग मानते हैं लेकिन केन्द्र की सरकार भी सोने की चमक में अँधी हो गयी जिसने बिना सोचे समझे बाबा की बात को तथ्य मानते हुए अपने अमले को सोने की ख़ोज में उतार दिया जब कि केन्द्र के पास सभी संसाधन उपलब्ध थे सत्यता को परखनें के लेकिन सोने की चमक ने डूबती मनमोहन सरकार को अँधा बना दिया। इस पूरे प्रकरण में सरकार की फज़ीहत तो हुई ही बाबा का विश्वास भी डगमगा गया। मीडिया ने केन्द्र सरकार को कम बाबा को ज्यादा ज़िम्मेदार ठहराया जब कि सवाल केन्द्र सरकार से खड़े करने चाहिए थे। असल बात थी केन्द्र सरकार अपनी लालची प्रवृत्ति को नहीं रोक पाई और औंधे मुँह गिरी।
कानपुर से लगभग 20 कि.मी. दूर शिवली के पास शोभन गाँव के पास एक मंदिर शोभन सरकार के नाम से प्रसिद्ध है इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा बाबा के द्वारा की गयी। मंदिर जैसे-जैसे प्रसिद्ध होता गया बाबा की प्रसिद्धि भी दिनोंदिन बढ़ने लगी और लोग उन्हें शोभन सरकार कहने लगे। बाबा के दर्शन को अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों तथा धन्नासेठों की आवक बढ़ गयी। बाबा की कृपा उन पर बरसे स्वार्थवश लोगों ने दान देना शुरू कर दिया। बाबा ने इस धन को आस-पास के ग्रामीणों के सुख-दुःख में लगाने का मन बना लिया और शुरू हुई एक अनूठी जल प्रबंधन की प्रक्रिया जिसने उस क्षेत्र के लगभग 20 गाँवों में मिरेकल कर दिया। मंदिर के चारों ओर लगभग एक सैकड़ा बोरिंग कर झील का निर्माण कराया।
झील के सामानांतर खेतों को पानी देने को एक नहर का निर्माण कराया इसको संचालित करने के लिए पांडु नदी का बेहतरीन उपयोग किया गया। बाबा ने पांडु नदी के पानी को लिफ्ट कर सामानांतर चलने वाली नहर को पानी से भर दिया। पांडु नदी जैसे ही वर्षा के पानी से लबालब हो जाती है पानी को लिफ्ट कर नहर में डाल दिया जाता है। जिससे पानी का उपयोग किया जा सके साथ ही बाढ़ से भी ग्रामीणों को बचाया जा सके। मालूम हो कि पांडु नदी के पाट की चौड़ाई अधिक न होने के कारण नदी थोड़े से ही पानी से उफना जाती है।
नहर का पानी ग्रामीणों को मुफ्त में दिया जाता है। किसानों के खेतों तक पानी ले जाने की भी व्यवस्था की गयी है। नहर में 100-100 मीटर की दूरी पर कुलाबे बनाये गए हैं जिससे किसान आसानी से समय पर सिंचाई कर सके। नहर से झील में तथा झील से नहर में पानी ले जाने के लिए भी शटर डाल कर व्यवस्था की गयी है। इन गाँवों में धान की खेती किसान कर रहा है जो तराई क्षेत्रों के अलावा सम्भव नहीं है। जहाँ एक ओर प्रदेश में तालाबों पर अतिक्रमण हो रहा है वहीं इन गाँवों में नए तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है इन तालाबों को पानी से कैसे भरा जाय इसकी भी चिन्ता की जा रही है जो प्रशंसनीय है। तालाबों का निर्माण तो कर दिया जाता है लेकिन उनकों कैसे पानी से पोषित किया जाय इसकी चिन्ता नहीं की जाती है जिससे तालाब मर जाते हैं बाबा के जल प्रबंधन से गाँव शोभन, सवाई बैरी, संबलपुर, जादेपुर, पुरवा, निगोहा तथा इन गाँवों से सटे हुए 18 पुरखों के खेतों की सिंचाई होती है। इन 6 गाँवों तथा 18 पुरखों में एक लाख से भी अधिक ग्रामीण रहते हैं।
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