कानपुर: प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग का असर अब तेज होता जा रहा है। इसकी वजह से इस बार जाड़े के दिन कम होंगे। मौसम विभाग के अनुसार आने वाली गर्मी भी पिछली कुछ गर्मियों से ज्यादा गर्म रहने का अनुमान है। पिछले दिनों कर्नाटक में हुए मौसम विज्ञानियों के सेमिनार में आगामी मौसम को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की गई है उसमें जलवायु में तेजी से परिवर्तन आने की बात कही गई है। इसकी मुख्य वजह बढ़ते प्रदूषण को बताया गया है।
मौसम विज्ञानियों की रिपोर्ट के अनुसार जमीन से करीब तीन किलोमीटर ऊपर प्रदूषण की एक परत लगातार घनी होती जा रही है। ज्यादातर ठंड के मौसम में ऐसी स्थिति पैदा होती है। हवा में नमी होने की वजह से प्रदूषित कण एक जगह जमा होकर परत बना लेते हैं। इसकी वजह से जमीन से उठने वाली गर्मी उस परत से टकरा कर लौटती रहती है और वातावरण में फैलकर तापमान बढ़ाती है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। सीएएम मौसम विभाग के निदेशक नौशाद खान ने बताया कि इस बार 15 दिसम्बर से 31 जनवरी के बीच ही ठंड ज्यादा पड़ने की उम्मीद है। फरवरी में तापमान धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो जाएगा। आम तौर पर मार्च तक ठंड रहती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं रहेगा।
इनसे फैल रहा प्रदूषण
वाहनों के धुँए, तेल जलने, पराली और कूड़ा जलने से। इनसे कार्बन डाइआक्साइड निकलती है। फसलों में यूरिया, नाइट्रोजन, जिंक और डाई उर्वरकों का इस्तेमाल इनसे नाइट्रस आक्साइड निकलता है। इसी तरह मीथेन गैस भी प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक है।
इस तरह तापमान बढ़ाता ग्लोबल वार्मिंग
सूरज की किरणें जब जमीन पर आती हैं तो किरणों से निकलने वाली ऊर्जा का कुछ हिस्सा जमीन के अन्दर रह जाता है। बाकी हिस्सा जमीन से उठकर आसमान में वापस जाता है। इस वापस जाने वाली ऊर्जा के साथ जमीन की गर्मी भी ऊपर जाती है। जितनी ज्यादा मात्रा में जमीन की गर्मी ऊपर जाती है, उतनी ही ज्यादा ठंड पड़ती है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जमीन से ऊपर जाने वाली गर्मी आवश्यकता से अधिक रुक रही है। इसी वजह से गर्मी बढ़ रही है।
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