पाँच दिन पहले अपने जन्मदिन पर देश को सरदार सरोवर बाँध समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ जिले के रण क्षेत्र को सूखाग्रस्त इलाके के समान मानने का निर्णय किया है।
ऐसे में इस इलाके तक पर्याप्त पेयजल व सिंचाई का जल पहुँचाने को सरदार सरोवर योजना की नहर के लिये 15 सौ करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार की एक्सेलेरेटेड इरीगेशन बेनिफिट प्रोग्राम (एआईबीपी) केंद्रीय सहायता योजना है। इसके तहत केंद्र सरकार केनालों (नहरों) के काम के लिये सूखाग्रस्त इलाकों के लिये केंद्रीय सहायता 75 प्रतिशत तक देती है। जबकि राज्य सरकार का योगदान कुल लागत का 25 प्रतिशत रहता है। जबकि रण इलाकों में केंद्र की ओर से 25 प्रतिशत ही आर्थिक मदद दी जाती है। इस शर्त को सुधारने के लिये नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हुई। केंद्र में अब जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार है तो उन्होंने गुजरात के हित में इस शर्त को बदलते हुए रण इलाकों में नहर बनाने के लिये आर्थिक सहायता 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत देने की मंजूरी दी है। इससे योजना के तहत अब केंद्र सरकार के हिस्से में जहाँ 38 प्रतिशत होती थी। वह अब 57 प्रतिशत हो जाएगी। इससे राज्य को 15 सौ करोड़ का फायदा नर्मदा योजना के लिये होगा।
ओएनजीसी की ओर से 73 सौ करोड़ की रॉयल्टी भी
उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया कि देश के क्रूड ऑयल उत्पादक राज्यों में गुजरात अहम है। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद गुजरात को अब ओएनजीसी की ओर से 73 सौ करोड़ रुपए की रॉयल्टी भी मिली है। पहले चरण में 1300 करोड़ और दूसरे चरण में छह सितम्बर को 6000 कोरड़ की रॉयल्टी गुजरात सरकार की तिजोरी में ओएनजीसी की ओर से जमा कराई गई है। इससे पहले इस रॉयल्टी को पाने के लिये गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक लड़ाई लड़ी। यूपूए सरकार के शासनकाल में रॉयल्टी की शर्तों में बदलाव किए जाने के चलते राज्य को काफी नुकसान हो रहा था।
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